जन धन योजना क्या एक ऐतिहासिक पहल रहा?
मिली जानकारी के अनुसार जन धन योजना के तहत लगभग 30 करोड़ से अधिक खाते खोले गए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार ग़रीबों की प्रगति के लिए एक ऐतिहासिक पहल है
जन धन योजना की शुरुआत देश में 15 अगस्त 2014 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने की। जिसका मुख्य उद्देश्य था देश भर के लोगों को बैंक और उसके द्वारा दी गयी सुविधाओं के साथ जोड़ना ताकि देश के हर परिवार, हर नागरिक का बैंक में अपना खाता हो। प्रधानमंत्री का कहना था बैंक के साथ जुड़ने के बाद परिवारों को बैंकिंग के साथ साथ कर्ज की भी सुविधा आसानी से मुहैया हो पाएगीं। जानकारी के अनुसार पहले दिन ही तक़रीबन 1.5 करोड़ खाते खोले गए।
योजना का लक्ष्य-
यह योजना दो चरणों में लागू की गई।
प्रथम चरण-
यह चरण 15 अगस्त 2014 से 14 अगस्त 2015 तक का तय हुआ जिसका उद्देश्य था-
1. देश भर में बैंक की सुविधा पहुँचाना।
2.सभी परिवारों को 6 महीने बाद 1 लाख की ओवरड्राफ्ट सुविधा साथ 2 लाख के दुर्घटना बीमा कवर के साथ रुपया किसान कार्ड और डेबिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध करवाना।
3.वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम की शुरुआत जिसका उद्देश्य वित्तीय साक्षरता को गाँव गाँव तक पहुँचाना।द्वितीय चरण
यह चरण 15अगस्त 2015 से 15 अगस्त 2018 तक तय हुआ।
1.क्रेडिट गारंटी फंड स्थापना
2.व्यापार के माध्यम से गैर संगठित पेंशन शुरू करना।
3.सूक्ष्म बीम
मिली जानकारी के अनुसार जन धन योजना के तहत लगभग 30 करोड़ से अधिक खाते खोले गए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार ग़रीबों की प्रगति के लिए एक ऐतिहासिक पहल है।
वहीँ 2016 की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 8 नवंबर को जन धन खातों में लगभग 45,636 की राशि थी लेकिन नोटबन्दी के बाद 8 नवंबर से 30 नवंबर तक जन धन खातों में 28,685 करोड़ की राशि जमा होती है। खबरों की माने तो कई लोगो का काला धन जन धन खाते में सुरक्षा पूर्वक जमा हुआ। कई लोगों ने सरकार पर तंज कस्ते हुए कहा की यह योजना पूँजीपतियों के काले धन को बचाने के लिए बचाने के लिए ही शुरू की गयी।
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि कई जगहों में बैंक के अधिकारी शून्य खाते वाले बैंकों स्वयं ही 1 रुपया जमा करवा रहे है ताकि शून्य खातों से राहत मिल सके। सूत्रों की माने तो बैंक अधिकारियों पर दबाव बनाया जाता है कि बैंक में शून्य खाता कोई न हो इसलिए मजबूरन अधिकारियों को बैंक की देख रेख की राशि या अन्य किसी तरीके से शून्य खातों में 1 या 2 रुपए डालने ही होते है।
वहीँ दूसरी ओर पता चलता है कि जन धन योजना के 4 वर्ष बाद वर्ष 2018 तक लगभग 19 करोड़ वयस्कों का कोई भी बैंक खाता नही था।
सूत्रों के मुताबिक बताया गया कि जन धन योजना के तहत खाता खुलवाकर गरीब और ग्रामीण लोगों नुकसान हुआ है। साल 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार महीने में चार बार खाताधारकों को निकासी की सीमा पार करते ही शुल्क देना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार बुनियादी बचत बैंक खाता जिसमे खाताधारकों को किसी तरह का शुल्क नही देना पड़ता उन्हें नियमित खातों में बदला जा रहा है। खाताधरकों के अनुसार पांचवी निकासी होते ही शून्य खाते को नियमित खाते में बदला जा रहा है।
ऐसे में जन धन खातों से आम जनता को कितना लाभ पहुँचा है आप जान चुके होंगे। गरीब ग्रामीण लोगों के खाते तो खुलवा लिए गए है लेकिन अभी भी कई खातों में राशि का अभाव है। अब देखना होगा की इस हालात में भी देश किस रफ्तार से विकास मार्ग पर दौड़ता है।