बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा पर बल देने वाला योजना बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं कितनी सफल
56% तक की राशि सिर्फ योजना प्रचार पर खर्च हुई है। ऐसे में देश की बेटियों व महिलाओं के लिए यह योजना कितनी लाभकारी सिद्ध हुई कहा नहीं जा सकता।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना नमो सरकार द्वारा देश में लिंग अनुपात में समानता लाने के लिए एक ठोस कदम है।यह योजना 22 जनवरी 2015 को हरियाणा से लागू की गयी क्योंकि देश के हरियाणा राज्य में लिंग अनुपात में असमानता सबसे ज़्यादा थी।
उद्देश्य-योजना का मुख्य उद्देश्य थे।
1.देश में लिंग अनुपात में समानता बनाना।
2.बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा पर बल देना।
3.पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया
रणनीतियां-
योजना को सफल बनाने के लिए कई रणनीतियां बनायी गयी
1.सामाजिक और समान मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए बेटियों का बचाव को शिक्षा पर बल देना।
2.अधिक लिंग अनुपात वाले जिलों और राज्यों पर अधिक ध्यान देते हुए कार्यवाही करना।
3.सामाजिक शक्ति बढ़ाने के लिए महिला शक्ति के लिए देश को जागरूक करना।
2001 की जनगणना के मुताबिक 0 से 06 वर्ष तक के बच्चों के लिंग अनुपात का आंकड़ा 1000 लड़कों के अनुपात में 927 लड़कियाँ ही थी जो वर्ष 2010 में घटकर 918 रह गयी थी। अंत इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए यह योजना लागू की गयी। सरकार का कहना था यह नारा यह योजना देश में नारी शक्ति के लिए कारागार साबित होगा।
वहीँ वर्ष 2016 में मेनका गांधी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा था क पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ इस योजना का आंगिकार नही किया गया जिसकी वजह से वहाँ लिंग अनुपात में गिरावट आयी।
वही ममता बनर्जी ने अपनी एक रैली में नमो सरकार की इस योजना पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि यह बिलकुल नाकामियाब योजना है जिस से कोई भी फायदा नही हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक आंकड़ों पर नज़र डालें तो केवल वर्ष 2016 में लगभग 2,064 बलात्कार की वारदाते हुई जिनमे कुछ सामने आयी और कुछ नही आयी। साल 2017 में यह संख्या ना के बराबर घटकर 2,049 तक पहुँच गयी।
साल 2018 के सिर्फ दिसम्बर के महीने पर नज़र डाली जाए तो 16 दिसम्बर 2018 को उत्तराखंड में 18 साल की मासूम लड़की को जलाकर मार दिया गया। 18 दिसम्बर 2018 को आगरा शहर में 15 वर्ष की नाबालिग को जलाया जाता है और 23 दिसम्बर तेलेंगाना में 22 साल की लड़की की निर्मम हत्या कर दी जाती है।
यह सारी वारदाते योजना शुरू होने के बाद की है दूसरी ओर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डा०वीरेंद्र कुमार अपने बयान में बताया कि सरकार योजना पर 2014 से 2019 तक 648 करोड़ आवंटित कर चुकी है जिसमे 159 करोड़ ही जिले व् राज्यों में भेजे गए है। 56% तक की राशि सिर्फ योजना प्रचार पर खर्च हुई है।
ऐसे में देश की बेटियों व महिलाओं के लिए यह योजना कितनी लाभकारी सिद्ध हुई कहा नहीं जा सकता।
लेकिन आने वाले समय में उम्मीद की जा सकती है कि देश को लिंग अनुपात की समस्या से छुटकारा मिलेगा।