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मेक इन इंडिया की सच्चाई,आज तक आंकड़े नहीं बन पाई

सरकार का मानना है कि इस योजना से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रो में रोज़गार की बढ़ोतरी होगी।दूसरी ओर इस योजना के तहत सरकार ने दावा किया था कि देश में मोबाइल फोन बनाने के रोज़गार पैदा हो रहे है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिये न जाने कितनी ही योजनाएँ शुरू की। मेक इन इंडिया भी उन्ही में से एक है। जिसका मुख्य उद्देश्य विदेशी निवेश को भारत में अधिक से अधिक लाकर देश के युवाओं को अधिकतर रोज़गार देना।

इसकी शुरुआत दिल्ली के विज्ञान भवन में 25 सितंबर 2014 की गई थी।

मुख्य उद्देश्य-

1.देश के घरेलू उत्पादों को देश के भीतर ही तैयार किया जाये।

2.गरीबी को जड़ से खत्म करना।

3.अधिक से अधिक रोज़गार पैदा करना।

4.देश की आर्थिक हालात को सुधारना।

5.देश में मोबाइल,रेलवे पर्यटन आदि क्षेत्रों में निवेश कर देश को प्रगति के रास्ते पर लाना।

सरकार का मानना है कि इस योजना से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रो में रोज़गार की बढ़ोतरी होगी।

इस योजना से रोज़गार कितना बढ़ा है कह नही सकते लेकिन सूत्रों द्वारा दिए गए आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है वर्ष 2018 में खेती बाड़ी से आयी गयी आमदनी पिछले 14 वर्षों में सबसे कम दर्ज की गयी है। यदि आमदनी घटी है तो मजदूरी का घटना लाज़मी सा है।

बताया जा रहा है कि 2009 से 2013 के बीच खेती बाड़ी द्वारा मजदूरी17.8% बढ़ी थी लेकिन नोटबन्दी के बाद यह 18% से घटकर मात्र 4.7% तक रह गयी।

दूसरी ओर इस योजना के तहत सरकार ने दावा किया था कि देश में मोबाइल फोन बनाने के रोज़गार पैदा हो रहे है।

लेकिन मिली जानकारी बताती है कि मोबाइल फोन देश में सिर्फ जोड़े जा रहे है।सारा सामान चीन से भारत लाकर कार्य किया जा रहा है।साल 2014 में विदेश से 1.3 अरब डॉलर का आयात हुआ था जो साल 2017 तक 9.4 डॉलर तक बढ़ चुका है।पिछले 5 वर्षो से कंपनियों का ख़ज़ाना खाली होता आ रहा है।

देश में आज भी लगभग 20 से 29%लोग गरीबी रेखा के नीचे है।

मध्यप्रदेश,बिहार,उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में आज भी युवा पीढ़ी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रही है। इस योजना से ग्रामीण  क्षेत्रों के लोगो को कितना लाभ हुआ आप जान ही चुके होंगे।

हाल ही में मौजूदा सरकार ने अपना घोषणा पत्र जारी किया इसमें भी सरकारी नौकरियों का बड़ा मुद्दा ग़ायब था।

अगर पूर्ण मात्रा में रोज़गार नही होगा तो देश अर्थव्यवस्था भी नही सुधरेगी और न ही ग़रीबों की दशा।
इस योजना का देश के नौजवान  को कितना मुनाफ़ा हुआ इसका कोई आंकड़ा अभी तक पूर्णता सामने नही आया है। इसलिए देखना होगा कब तक प्रत्येक युवा को रोज़गार की प्राप्ति होती है।

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