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गैर सरकारी संगठन हेरिटेज इंडिया के माध्यम से बुजुर्गों को सम्मान दिलान में जुटे हैं – सत्यनारायण दुबे

बोझ नहीं, विरासत हैं बुजुर्ग :सत्यनारायण दुबे

वरिष्ठ नागरिक ही सही अर्थों में हमारी संस्कृति,परंपराओं और मान्यताओं के धरोहर और अग्रदूत हैं।

कहते हैं बच्चे और बुजुर्ग एक जैसे होते हैं। ऐसे में इनकी देखभाल बेहतर तरीके से होनी चाहिए। पर, होता इसका उल्टा ही है। लोग अपने बच्चों का उचित पालन-पोषण करने के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं, लेकिन वहीं पर बुजुर्ग हो चुके माता-पिता को लोग बोझ मानने लगते हैं। समाज में भी उन्हें दोयम दर्जे का माना जाता है। यहां तक की लोग उनसे बात करना भी जरूरी नहीं समझते। ओल्डएज होम में या घर के किसी कमरे में उन्हें उनके हाल पर छोड़ देते हैं।

उपेक्षित, गुमनामी और निराशा के घने अंधकारों में जीवन के शेष वक्त को काटने के लिए। लेकिन इस स्वार्थी दुनिया में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो बिना किसी लोभ के जरूरतमंदों की मदद के लिए सदैव अग्रिम पंक्ति में खड़े रहते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं हेरिटेज इंडिया के संरक्षक सत्यनारायण दुबे जो उपेक्षित और गुमनामी की जिदगी जी रहे बुजुर्गों को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि, उनका बुजुर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हे सम्मान दिलाने का तरीका जरा अलग है।

श्री दुबे हेरिटेज इंडिया के माध्यम से राजधानी के बुराड़ी क्षेत्र में पिछले सात-आठ सालों में 108 बुजुर्गों को, जो कभी अपने ही घरों में उपेक्षित थे, उन्हें उन्हीं के घरों में फिर से सम्मान दिला चुके हैं। न केवल उन्हें सम्मान दिलाया बल्कि उन बुजुर्गों को सरकार की तरफ से मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं से भी जोड़ा, ताकि उन्हें किसी तरह की दिक्कत न हो। यही नहीं संस्था से जुड़े लोग और स्वयं दुबेजी बीच बीच में जाकर यह जांच भी करते हैं कि उन बुजुर्गों को कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है। कहीं से कोई शिकायत मिलती है तो उसका समाधान भी करते हैं।

विगत दो दशक से वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाली गैर लाभकारी संगठन हेरिटेज इंडिया के संरक्षक सत्यनारायण दुबे कहते हैं कि बुजुर्ग किसी भी तरह से बोझ नहीं हैं। ये तो हमारी विरासत हैं। हमारी उद्दात परंपराओं और मान्यताओं को जानने वाले खजाना हैं। असल में अतुल्य भारत तो हमारे बुजुर्ग ही हैं। ऐसे में इनकी देखभाल, इनकी गरिमा को बनाए रखने और इनके अधिकारों का रक्षा करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। वे कहते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों की दशा कमोवेश पूरी दुनिया में एक जैसी ही है। पश्चिमी देशों में भी भारत से ज्यादा अच्छे हालत में बुजुर्ग नहीं हैं। वहां भी बुजुर्गों को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ता है। वहां तो यह समस्या काफी गंभीर है।

श्री दुबे कहते हैं कि मौजूदा दौर की समस्याओं के समाधान में वरिष्ठ नागरिकों का ज्ञान, अनुभव, समझ काम आ सकता है। आवश्यकता इस बात की है उन्हें हम समझें। उनसे हर मसले पर विमर्श करें, उनके विचारों को महत्व दें, तो समाज में हो रहे विघटन को रोका जा सकता है। क्योंकि, वरिष्ठ नागरिक ही सही अर्थों में हमारी संस्कृति,परंपराओं और मान्यताओं के धरोहर औ अग्रदूत हैं।

बकौल श्री दुबे किसी भी स्थान की परंपराओं या मान्यतओं को जानने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि वहां के वरिष्ठ नागरिकों से संपर्क किया जाए। क्योंकि, हर जगह की परंपराएं अलग होती हैं। उनको देश दुनिया से रूबरू कराने का एकमात्र जरिया बुजुर्ग ही हैं। ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान हर हाल में होना चाहिए।

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से ताल्लुक रखने वाले सत्यनाराण दुबे जो की पूर्व प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर व पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय कल्पनाथ राय जी के सहयोगी भी रहें है वरिष्ठ नागरिकों को मौजूदा वक्त में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए हेरिटेज इंडिया के माध्यम से त्रीस्तरीय प्रयास कर रहे हैं। जो निम्नलिखित है।

प्रथम यह कि वरिष्ठ नागरिकों को ओल्डएज होम भेजने से रोका जाए, उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही गरिमामय जीवन जीने दिया जाए।

दूसरा, बच्चों को वरिष्ठ नागरिकों के साथ घुलमिल कर रहने दिया जाए, ताकि कार्टून देखकर वक्त जाया करने वाले बच्चे अपनी पुरातन संस्कृति और परंपराओं को सहजता से जान सकें। देशज किस्से कहानियों से परिचत हो सकें। इससे बच्चों को वास्तविक भारत को जानने की जिज्ञासा बढ़ेगी। और बुजुर्गों का भी समय ठीक से कट सकेगा।

तीसरे प्रयास के तहत देश के हर शहर में कम से कम 100 युवाओं को बुजुर्गों के सम्मान का शपथ दिलाकर उन्हें तैयार करना है। ताकि वे अपने शहर में वरिष्ठ नागरिकों को मान सम्मान दिला सकें और उनकी देखभाल के लिए लोगों को प्रेरित कर सकें।

विद्यार्थियों को परंपरा और पर्यावरण से जोड़ने की कवायद
हेरिटेज इंडिया पर्यावरण संरक्षण के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करने का काम कर रही है। दिल्ली में मैली हो रही यमुना को साफ करने के लिए बुराड़ी और आसपास क्षेत्रों में स्थित 50 स्कूलों के छात्र-छात्राओं को स्वच्छ यमुना अभियान से जोड़ने की योजना है। कोरोना संक्रमण के खत्म होने के बाद इस मुहिम को तेज किया जाएगा। विद्यार्थियों को जलसंरक्षण और प्रदूषणमुक्त वातावरण के लिए संकल्प दिलाया जाएगा। साथ ही उन्हें अपने आसपास के लोगों को भी इस मुहिम से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

सुझाव आमंत्रित :
श्री दुबे ने बताया कि आज वैश्विक महामारी के समय बुज़ुर्गों के मानवाधिकारों व गरिमा का ध्यान बहुत जरूरी हो गया है। पूरे विश्व भर में कोविड 19 महामारी से मौत का शिकार होने वाले कुल मरीज़ों में 80 वर्ष और उससे ज़्यादा उम्र के वृद्धों की संख्या पांच गुना ज़्यादा है। बुज़ुर्गों के लिए सदी की इस भयावह महामारी के दौरान व बाद में भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनेक चुनौतियों हम सब के सामने होंगी । इन्ही बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए हेरिटेज इंडिया ने इस विषय पर समाज के हर एक बर्ग का ध्यान आकृष्ट करने के लिये एक स्मारिका निकालने की कोशिश में है। तालाबंदी और अन्य पाबंदियों के माहौल में बुज़ुर्ग लोगों को तन्हाई व अन्य तरह की भारी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है घर परिवार समाज में हर जगह उन्हें दोयम दर्जे की स्थिति का सामाना करना पड़ रहा है । बुज़ुर्ग लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हमें छोटे से लेकर के बड़े स्तर पर बल देना, और स्वास्थ्य सेवाओं देखभाल व सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों में और ज़्यादा जागरूकता भी बहुत ज़रूरी है जिससे वृद्ध लोगों के अधिकार व गरिमा सुनिश्चित किए जा सकें।

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Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

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