तीन कृषि बिल के विरोध में बिहार से भी संयुक्त किसान मोर्चा का एलान।
27 सितंबर को भारत बंद को अभूतपूर्व बनाने का एलान पटना में आयोजित हुआ किसान समागम।


23 सितंबर 2021 पटना : पटना के अतिथि कम्युनिटी सेंटर में किसान संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में किसान समागम आयोजित हुआ। इस समागम में राज्य भर से हजार से अधिक किसान एवं किसान संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए। समागम का उद्घाटन बिहार राज्य के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह जी ने किया।
अध्यक्षता बिहार किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक दिनेश सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन गांधी स्मारक निधि के मंत्री एवं बिहार किसान संयुक्त मोर्चा के कार्यालय मंत्री विनोद रंजन ने किया। मुख्य वक्ता पूर्व मंत्री अखलाक अहमद एवं किसान नेता सुधीर शर्मा ने किया।समागम का उद्घाटन करते हुए पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि आज बिहार के किसान सबसे ज्यादा प्रताड़ित हैं। उन्हें खेती का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। बिहार के किसानों की स्थिति इतनी बद्तर हो गई है कि युवा पीढ़ी किसानी छोड़कर पलायन हो रहे हैं और मजदूरी करने को विवश हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कृषि से जुड़े तीनों काला कानून वापस नहीं हुआ तो देश के किसानों के साथ आम आवाम भी तबाह हो जाएगा। इसके बाद न तो उनकी खेती बचेगी और न ही उनका खेत बचेगा। जब देश गुलाम था तब भी अंग्रेजों द्वारा किसानों को प्रताड़ित करने के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग होती थी और उसी के खिलाफ गांधी चंपारण आए थे और किसानों के इस दमन और प्रताड़ना के खिलाफ अंग्रेजों से लड़े थे।पूर्व नरेंद्र से ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय वस्तु अधिनियम को समाप्त कर मोदी सरकार ने खाद्यान्नों के कालाबाजारी की छूट दै दी है।
उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित भारत बंद को बिहार में ऐतिहासिक बनाने की अपील की।पूर्व मंत्री अखलाक अहमद ने मुख्य वक्ता के रूप में सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़ा यह तीनों विधेयक यह साबित करता है कि पीएम मोदी अब कारपोरेट कंपनियों के एजेंट बन गए हैं। वे किसानों से किसानी तथा उसकी जमीन भी हड़पना चाहते हैं । किसानों से किसानी ही नहीं देश के मजदूरों से उसके श्रम कानून छीनकर देश के आम अवाम को अपाहिज बनाने की साजिश भी कर रहे हैं।
किसान नेता और भाजपा के पूर्व महासचिव रहे सुधीर शर्मा ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा जर्जर स्थिति में बिहार के किसान हैं। किसानों को लाभकारी मूल्य मिलने की बात तो दूर उन्हे न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक बिहार के किसान संघर्ष के लिए सड़क पर नहीं उतरेंगे उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं होने वाला है।
इस भ्रष्ट व्यवस्था से आर-पार की लड़ाई लड़नी होगी।किसान आन्दोलन को संबोधित करने वालों में किसान संयुक्त मोर्चा के संयोजक एवं सभा अध्यक्ष दिनेश सिंह, प्रोफेसर आनंद किशोर, डाक्टर श्यामनंदन शर्मा, कौशलेंद्र शर्मा,प्रणव कुमार सिट्टु, योग गुरु आलोक सिंह सीतामढ़ी, प्रोफेसर योगेन्द्र,श्रीमती नूतन पटेल,जालंधर यदुवंशी, हरिओम,अजय सिंह, अशोक सिंह, सीतामढ़ी, अरूण सिंह, एचएमएस नेता विंदेश्वरी सिंह, सतीरमण, अरुण सिंह बक्सर, रमेश, बक्सर, गोल्डन अंबेडकर और गजेन्द्र मांझी आदि ने संबोधित किया।
सभा के अंत में किसान आंदोलन में शहीद हुए सेनानियों के प्रति एक मिनट का मौन रखकर शोक व्यक्त किया गया।