बापू हम बेहद शर्मिंदा है क्योंकि आपके कातिल जिन्दा है।
बापू हम बेहद शर्मसार है कल यानी २ अक्टूबर को आप के हत्यारे दुर्दांत गोडसे ट्विट्टीर जैसी सोशल मिडिया पर दिन भर ट्रेंड करते रहे क्या हम कह सकते हैं कि यह बापू का देश है। जहाँ कुछ राजनितिक अंकगणित में सफल लोग गोडसे की पूजा करते हैं। . क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या सन्देश देना चाहते है। . सोचियेगा जरूर।
स्वछता स्वावलंबन -स्वदेशी – सहयोग व सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी ने सम्पूर्ण विश्व को यह सन्देश तो दिया परन्तु उनके ही देश यह शब्द केवल और केवल राजनितक अस्त्र और शस्त्र की भूमिका में आ गए है। आज के माहौल में यह केवल कहने की बात भर रह गयी है। कल २ अक्टूबर था गाँधी जी की जयंती थी , बापू की विचारधारा में विश्वास करने वाले सभी लोग बापू की दिल्ली स्थित समाधी स्थल राजघाट पर श्रद्धा सुमन प्रस्तुत करने के लिए गए थे।
परन्तु स्थिति कुछ ऐसी थी जिसका बयान करना भी अपने आप में शर्मिंदा होने जैसा है कि अपने ही देश में गाँधी ऐसे हो गए है कि सामान्य जनमानस से दूर हैं .
आजकल बापू की समाधि पर माल्यापर्ण करना भी एक फैशन है जहाँ पर उच्च पदस्थ नेता मंत्री अधिकारी गण से अगर फ़ुरसत मिले, तो फिर सामान्य जनमानस जो कि वाकई अपनी श्रद्धा वस गए थे, न ही कोई उनका फोटो से वास्ता और न ही उनका मिडिया द्वारा महिमा मंडन परन्तु 10 बजे के गए लोग ३ बजे तक इंतजार करने के बाद लोग मेन गेट पर ही फूल माला डाल कर चलते बने। कैसी व्यवस्था में हम आ गए हैं।
जहाँ स्वदेशी के नाम पर मेक इन इंडिया नाम तो दिया पर सारा उत्पाद चाइनी या विदेशी सहयोग और स्वावलम्बन के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है और अपने मित्र और पूंजीपतियों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभ पहुंचाया जा रहा है , सार्वजानिक उपक्रम बिक रहे है और कुछ निजी प्रतिस्ठान एन केन प्रकारेण मलाई काट रहे है।
स्वछता के नाम पर गंगा परियोजना बना कर राजस्व की सुनुयोजित लूट की गयी और प्रचार प्रसार में लाखों करोड़ों अपने मित्र मण्डली में बाँट दिया गया।
जिस देश में आज भी सीवर में लोग इसलिए मर जाते है क्योंकि उनके लिए कोई सुरक्षा का उपाय तक नहीं है और यह कृत्य देश की राजधानी में हुआ , हम शर्मसार हैं बापू क्योंकि आपको पहले पक्ति में फूल माला चढ़ाने वाले लोगों के दामन गरीबों के खून से सने हुए है।
सत्य और अहिंसा का दूर दूर तक वास्ता नहीं आज मॉब लिंचिंग अपने चरम उत्कर्ष पर है कहीं पर कोई भीड़ किसी की हत्या कर देती है वो चाहे पुलिस ही क्यों न हो और मंत्री स्तर के लोग उनका बचाव करते नजर आते है वो भी पब्लिक मिडिया में।
बापू हम बेहद शर्मसार है कल यानी २ अक्टूबर को आप के हत्यारे दुर्दांत गोडसे ट्विट्टीर जैसी सोशल मिडिया पर दिन भर ट्रेंड करते रहे क्या हम कह सकते हैं कि यह बापू का देश है। जहाँ कुछ राजनितिक अंकगणित में सफल लोग गोडसे की पूजा करते हैं। . क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या सन्देश देना चाहते है। . सोचियेगा जरूर। .
एक तरफ जब हम सम्पूर्ण विश्व में अंतरास्ट्रीय अहिंसा दिवस मना रहे है वहीँ अपने ही देश में कुछ लोग बापू को हिन्दुओं का हत्यारा बनाने की साजिश रच रहे हैं। बापू के आह्वान पर जिन लोगों ने विदेशी कपड़े का बहिष्कार तक नहीं किया था और खादी प्रयोग तो दूर अंग्रेजों के मील के कपड़े पहनने से इनकार नहीं किया उनके अनुयायी आज यह कह रहें है की आज बापू होते तो आरएसएस में होते। इतनी धूर्तता करने वाले लोग सत्य की बात करते है, आपके चरखे के साथ बैठ कर फोटो खिंचवाते है , बापू हम बहुत शर्मिंदा है क्योंकि आपके कातिल अभी भी जिन्दा है यह हम इसलिए कह रहे हैं कि महात्मा गांधी एक व्यक्ति नहीं एक विचारधारा है।
लेखक के यह निजी विचार है इसका thejanmat.com से कोई वास्ता नहीं है