जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया में सामान्य संवर्ग के असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति में कुलपति के स्वजातियो का बोलबाला, भयंकर कुलीन जातिवाद।
बलिया स्थित जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो कल्पलता पांडेय ने असिस्टेंट प्रोफेसर के सामान्य श्रेणी के 16 पदों में से 13 पदों पर ब्राहाम्ण औऱ शेष बचे 3 पदों पर भूमिहार समाज के सम्पन्न अभ्यार्थियों को नियुक्ति कर कुलीन जातिवाद का एक बेहद गलीच उदाहरण पेश किया है।
आपको बता दे कि जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय , बलिया में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर अंतिम नियुक्ति की पहली सूची 14 अगस्त 2022 और दूसरी सूची 29 अगस्त 2022 को जारी की गई। 7 दिशम्बर 2021 को विज्ञापित पदों का 14 अगस्त 2022 को अंतिम परिणाम जारी करते हुए इस विश्वविद्यालय ने सामान्य संवर्ग पर अंग्रेजी विषय के 2 पदो में से एक पद पर ब्राह्णण और 1पद पर भूमिहार , वाणिज्य विषय में 2 पद में से दोनों पर ब्राह्मण , समाजकार्य में 1 पद पर भूमिहार और 1 ई डब्ल्यू एस कोटा के अंतर्गत पद पर ब्राहाम्ण, गृह विज्ञान में 1 पद और 1 ई डब्ल्यू एस कोटा दोनों पदों पर ब्राहाम्ण जाति के धनाढ्य वर्ग के अभ्यार्थियों को चयनित किया है।
यानि 8 पदों में से 6 पद पर ब्राहमण औऱ शेष 2 पदों पर भूमिहार अभ्यार्थी चयनित हुए। 7 दिसंबर 2021 को ही विज्ञापित अन्य विषयों के पदों पर अंतिम परिणाम जारी करते हुए बीते दिनों 29 अगस्त 2022 को दूसरी सूची जारी की गई। जिसमें भी लगभग एक जाति के धनाढ्य अभ्यार्थियों का ही कब्जा रहा जिसमे क्रमश हिंदी विषय के दोनों असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर ब्राह्मण , राजनीति विज्ञान के दो पदों में से एक पद पर ब्राहमण एक पद पर भूमिहार, समाजशास्त्र के दोनों पदों पर ब्राहम्ण और अर्थशास्त्र के दोनों पदों पर ब्राम्हण जाति के ही अभ्यार्थियों को नियुक्ति दी गई है।
16 पदों में से 13 पदों पर एक ही जाति के लोगो की नियुक्ति औऱ अन्य जातियों के अभ्यार्थीयो की शून्य संख्या होने से यह प्रश्न उठता है कि क्या सामान्य संवर्ग में किसी अन्य सामान्य जाति जैसे कि क्षत्रिय , वैश्य या कायस्थ इत्यादि के योग्य अभ्यार्थी कुलपति महोदया प्रो कल्पलता पांडेय जी के सामने से नही गुजरे क्या?
क्या अकादमिक योग्यता और साक्षात्कार में सिर्फ एक ही जाति विशेष के लगभग अस्सी प्रतिशत धनाढ्य अभ्यर्थी ही योग्य थे क्या ? विचारणीय विषय यह है कि इस नियुक्ति पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए 28 जुलाई 2022 को राजभवन में एक शिकायत ऋतु त्रिपाठी ने भी किया था । जिसके कारण एक पत्र 16 अगस्त 2022 को राजभवन से सहायक सचिव द्वारा कुलपति को नियुक्ति में अनियमितता न करने का चेतवानी भरा पत्र मिला था। इसके पूर्व भी प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जो पदेन राज्यपाल होता है ,ने सभी विश्वविद्यालयो के कुलपतियों को 17 जुलाई 2019 को एक पत्र जारी करते हुए तत्कालीन एच आर डी मंत्रालय वर्तमान की शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के भी निर्देशो का हवाला देते हुए कहा था कि कोई भी आवश्यक सूचना औऱ कार्यवाहियो को सम्बंधित साक्ष्य पत्रों के साथ विश्वविद्यालय अपनी बेबसाइट पर प्रस्तुत करें । इसके साथ ही अकादमिक नियुक्तियो इत्यादि में पारदर्शिता दिखाते हुए आवश्यक साक्ष्य पत्रों को भी अपने बेबसाइट पर प्रस्तुत करें।
पिछले पंद्रह दिनों से ज्यादा हो जाने पर भी जननायक विश्वविद्यालय ने अपनी नियुक्ति की पारदर्शिता को साबित करने हेतु कोई साक्ष्य पत्र न तो अपने बेबसाइट पर प्रस्तुत किया है और न ही ऋतु त्रिपाठी के अनियमितता के आरोप पर ही किसी प्रकार का आधिकारिक जवाब दिया । बिना उचित प्रक्रिया को अपनाए आनन- फानन में दूसरी सूची भी जारी कर कुलपति महोदया प्रो कल्पलता पांडेय ने अपने कुत्सित जातिवादी और कुलीन तानाशाही रवैये को ही जग जाहिर किया है।
अब सामान्य संवर्ग से जुड़े अन्य जातियों के अभ्यर्थी दबे जुबान यह सवाल प्रदेश के कुलाधिपति यानि महामहिम राज्यपाल महोदया औऱ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से पूछ रहे है कि क्या प्रदेश के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर यानि सहायक आचार्य बनने हेतु कुलपति के जाति का सम्पन्न अभ्यर्थी होना आबश्यक है ?
अगर यह जरूरी हो तो इस लोकतांत्रिक देश मे बनी इन शिक्षा के मंदिरों में अध्यापक बनने के लिए निकलने वाले विज्ञापनों में यह अनिवार्य कर दिया जाए कि केवल कुलपति के जाति औऱ धर्म का धनाढ्य अभ्यार्थी ही आवेदन करें ।जिससे अन्य जातियों के गरीब अभ्यार्थियों को महंगे आवेदन शुल्क भरने औऱ समय की बचत करने में सरकार की कृपा हो सके।
बलिया निवासी डॉक्टर हेमंत कुमार सिंह जोकि थाईलैंड यूनिवर्सिटी में भौतिक विज्ञानं के प्रोफ़ेसर है उनसे जब हमारे प्रतिनिधि ने इस घटना के बारे में बात किया, प्रोफ़ेसर हेमंत कुमार सिंह ने कहा कि “बलिया की सरजमीं समाजबादी विचारधारा की ऊर्बर जमीन रही है. उसके अंतिम नायक स्वर्गीय चन्द्रशेखर जी, सौभाग्या से उस जमीन को अपने विचारों से, अपने परिश्रम से सींचा है. आज उन्ही के नाम पर बने विश्वाविद्यालय मे कुलपती बनी कल्पलता पांडेय ने सहायक आचार्य के बिभिन्न पदो पर हुई नियुक्तियों मे जातीबाद की हर सीमाओं को तोडा है. यह सिर्फ कुलीन जातीबाद नहीं बल्की समाजबाद के शालाका महापुरूष चन्द्रशेखर जी के सपनो , विचारों की हत्या है. समाजबाद के विचारों के वाहकों से , समाज के जागरुक नागरिको से अनुरोध है की आप सभी लोग ऐसी नियुक्तियों का विरोध करें , क्योंकि सभी के वच्चे इन विश्वाविद्यालयों मे जायेंगे. क्या उनकी सोंच समझ पर इन गंदी नियुक्तियों का असर नहीं होगा ??”