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हांगकांग में छात्र नेताओं के नेतृत्व में चल रहा है अहिंसक सामाजिक आंदोलन।

आंदोलनकारी अभी अन्य तीन माँगो जिसमे एग्जीक्यूटिव के चुनाव की लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की भी मांग वर्तमान चीफ एग्जीक्यूटिव की हटाने वाला है, इस मांग के लिए सड़कों औऱ उड्डयन अड्डो सहित सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर कब्जा कर संघर्ष जारी रखे हुए है । आंसू गैस सहित सभी कार्यवाही चीन की सेना और हांगकांग पुलिस कर रही है।

हांगकांग चीन के सुदूर दक्षिण तरफ स्थित एक स्वतन्त्र उपनिवेशी राज्य है जिसकी आबादी लगभग साढ़े सात लाख है । इस समय वहां लगभग पाँच सालो से एक आन्दोलन चल रहा है जिसको पूरी दुनिया मे “अम्ब्रेला मूवमेन्ट” के नाम से जाना जा रहा है।

ब्रिटेन – चीन समझौता 1984 के अंतर्गत 1 जुलाई 1997 को हांगकांग सन्देर्भित एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ जिसमें हांगकांग ब्रिटेन के उपनिवेशी शासन से निकलकर एक चीन गणराज्य के अंतर्गत एक स्वतन्त्र भूमि वाला राज्य बन गया जिसपर ‘एक देश दो व्यवस्था’ वाला सिद्धान्त लागू करते हुए उसकी विधि व्यस्था के अंतर्गत स्वतन्त्र न्यायपालिका का भी गठन किया गया।

हांगकाग में नेता वहां का चीफ एग्जीक्यूटिव होता था जो प्रत्यक्ष रूप से चुने गए 1200 सदस्यों के द्वारा बनी चुनाव समिति द्वारा चुना जाता था।

पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी लेकिन 2013 में चीन ने अपने द्वारा पूर्व में किये गए वादों को नकारते हुए वहां के निवर्तमान चीफ एग्जीक्यूटिव सी वाई लांग के नेतृत्व में बनी समिति के सुझावों के आधार पर कानूनी फेरबदल करवाया कि चीफ एग्जीक्यूटिव होने के लिए चाईना कम्युनिस्ट पार्टी की भी सहमति अनिवार्य है।

यही से संघर्ष शुरू हुआ और हांगकांग के अमनपसंद लोगो जिसमे प्रमुख रुप से विद्यार्थियों का समूह सड़को पर उतरा और ‘ऑक्युपाई सेंट्रल विथ लव एंड पीस ‘ (occupy central waith love and peace) का नारा दिया।

यही अम्ब्रेला मूवमेन्ट बन गया । सबसे पहले 17 वर्ष के एगन्स चाऊ टिंग और एलेक्स चाऊ ने आह्वान किया कि 22 सितम्बर 2014 को अपनी आजादी को बचाने के लिए सभी छात्र सड़को पर उतरे इसका असर इतना जोरदार हुआ कि हांगकांग स्टूडेंट ऑफ फेडरेशन के नेतृत्व में चाइना विश्विद्यालय के हांगकांग परिसर के लगभग 13000 विद्यार्थी पीला फीता बांधकर सड़को पर उतर आए।

अभी हांगकांग पुलिस कुछ कार्यवाही करती तभी तीन दिन बाद छात्र नेता जोशुआ बुंग और नाथन ला के नेतृत्व में सैकड़ो विद्यार्थियो ने मंगकांग स्थित मुख्य केंद्रीय कार्यालय जाने वाली सड़को को बंद कर दिया गया।

27 सितम्बर को आधी रात को जोशुआ वाँग और नाथुन ला सहित दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया । लगभग 77 दिनो तक यह आंदोलन चला लेकिन चीन और हांगकांग सरकार की तानाशाही हुकूमत ने बिना किसी प्रमुख राजनीतिक निर्णय की घोषणा किये ही आंदोलन दबा दिया।

लेकिन धीरे धीरे यह विद्रोह अंदर अंदर सुलगता रहा और आंतरिक रुप से इस आंदोलन को सन्चालित करते हुए छात्रनेताओं ने ‘डेमिसोसिटो ‘ नामक राजनीतिक दल बनाया जिसके प्रमुख महासचिव जोशुआ बुंग बनाये गए ।

यह आंदोलन फिर तब उभरा जब अगस्त 2019 में प्रत्यर्पण कानून में फेरबदल करते हुए चाइना ने हांगकांग की स्वतंत्र न्यायायिक व्यवस्था को चुनौती दिया।

फिर छात्र नेताओं ने इस आंदोलन को शुरू कर दिया और 19 अगस्त को जोशुआ वाँग सहित सैकड़ों छात्रनेता , बुद्धिजीवी, स्वतंत्र पसंद राजनीतिक लोगो गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन इस बार लगभग पूरा हांगकांग सड़को पर उतर आया। सड़को और उड्डयन अड्डो पर आंदोलकारियों ने कब्जा कर लिया।

स्थिति से निबटने के लिए चीन की सरकार ने सेना भेजकर वहां आंसू गैस सहित उन सभी साधनों का प्रयोग किया जो एक तानशाही हुकूमत करती है।

लेकिन जनता का आंदोलन पूरे उफान पर आ गया तब पहली बार चीन की तानशाही सरकार ने घुटने टेकते हुए 4 महत्वपूर्ण माँगो में से पहली मांग नए प्रत्यर्पण कानून को समाप्त करते हुए हांगकांग की मुख्य एग्जीक्यूटिव कैरी लाम ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर शांति बनाने की अपील की।
लेकिन वहां आंदोलनकारी अभी अन्य तीन माँगो जिसमे एग्जीक्यूटिव के चुनाव की लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की भी मांग वर्तमान चीफ एग्जीक्यूटिव की हटाने वाला है, इस मांग के लिए सड़कों औऱ उड्डयन अड्डो सहित सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर कब्जा कर संघर्ष जारी रखे हुए है । आंसू गैस सहित सभी कार्यवाही चीन की सेना और हांगकांग पुलिस कर रही है ।
छात्र नेताओं के नेतृत्व में आजादी और स्वतन्त्र न्यायिक व्यवस्था के लिए चलाया जा रहा पूर्णत अहिंसक सामाजिक आंदोलन आने वाली दुनिया के लिए एक नजीर साबित होगा ऐसी हम कामना करते है ।

साभार | श्री शम्मी कुमार सिंह | शोध छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय

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