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कावासाकी बीमारी के लक्षण -रोग की पहचान और उसके उपचार व् चिकित्सकिय परामर्श

बच्चें हर दंपति की चाह होते है और उनके लिए बच्चें की सलामती और अच्छा स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होती है। चूंकि बच्चें अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बता नहीं सकते इसलिए हमें उनके स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है। बच्चों को परेशान करने वाली ऐसी ही एक बीमारी है जिसे “कावासाकी” या म्यूकोस्यूटियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है।
इस बीमारी में, ब्लड वेसेल्स में संक्रमण का प्रभाव पड़ता है। कावासाकी रोग छोटे बच्चों में होने वाली बीमारी है। कावासाकी रोग में बच्चों की त्वचा और नाक, गले और मुंह के अंदर स्थिति म्युकस मेम्ब्रेन्स पर प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। क्योंकि शरीर के अंदर खून को संचालित करने वाली रक्त वाहिकाओं में सूजन के कारण शरीर के हर हिस्सें में सामान्य रूप से खून नहीं पहुंच पाता इससे कोरोनरी आर्टरी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। यह रक्त वाहिकाएं ब्लड को हार्ट तक लेकर जाती हैं।

कहा और किस उम्र के बच्चों को इससे ज्यादा खतरा है ?

एशिया में कावासाकी से पीड़ित होने वाले बच्चों का प्रतिशत 10-20 गुना ज्यादा है। कावासाकी की चपेट में आने वाले अधिकतर बच्चे पांच वर्ष से कम उम्र के होते है यानी कि दो वर्ष की उम्र से पांच साल तक कि उम्र तक उनके ऊपर कावासाकी का खतरा रहता है। लड़कियों की तुलना में ज्यादा संक्रमित होने का रिस्क लड़कों को रहता है। भारत के अलावा ताइवान, जापान में भी कावासाकी का असर होता है बच्चों पर।

कावासाकी के होने के कारण –

हालिया रिसर्च और मेडिकल साइंस के जरिये ये पता चला है कि यह बीमारी बैक्‍टीरिया, वायरस और प्राकृतिक कारणों के अलावा कई बार अनुवांशिक भी होती है। कुछ जीन आपके बच्चे में कावासाकी रोग के फैलने की संभावना बढ़ा सकते हैं।
पर अच्छी बात ये है की ये एक बच्चें से दूसरे बच्चों को नहीं फैलती। कावासाकी रोग सर्दियों के अंत और पतझड़ (वसंत ऋतु) की शुरुआत में ज्यादा होती है।

कावासाकी रोग के क्या लक्षण हैं?

कावासाकी रोग के लक्षण तीन चरणों में उभर कर सामने आते है कावासाकी रोग के पहले चरण में निम्नलिखित लक्षण सामने आते हैं-

अक्सर 102. 2 फेरहनहाइट (F) (39 डिग्री सेल्सियस) से अधिक बुखार आना। यह बुखार तीन दिनों से ज्यादा रह सकता है।

शरीर के प्रमुख हिस्से और प्राइवेट पार्ट्स पर रैश पड़ना।

लाल, सूखे, फटे होठ और सुर्ख लाल और सूजी हुई जीभ।

त्वचा में सूजन, हथेलियों और पंजों के आसपास की त्वचा का लाल पड़ना।

अन्य हिस्सों से ज्यादा लिंफ नोड्स में सूजन चिड़चिड़ापन

इस बीमारी के दूसरे चरण में आपके बच्चे में निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं-

हाथ और पैर की त्वचा का पीला पड़ना विशेषकर उंगलियों और पैरों के अंगूठों के सिरे पर और अक्सर इनका बड़ा होना।

1.जोड़ों में दर्द
2.डायरिया
3.उल्टी
4.पेट दर्द

इस बीमारी के तीसरे चरण में जटिलताएं पैदा होती हैं इसमें आठ हफ्तों से ज्यादा का समय लग सकता है। इसके बाद ही आपकी बॉडी में ऊर्जा का स्तर सामान्य होता है।

उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यदि आप कावासाकी रोग के लक्षणों को लेकर चिंतित हैं तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

कावासाकी रोग की पहचान कैसे होती है?

कावासाकी रोग का पता लगाना मुश्किल होता है। निम्नलिखित उपायों से पता लगा सकते है-

यदि बच्चे को पांच दिनों तक बुखार रहता है। ऊपर बताये गये उपरोक्त लक्षणों के होने पर ,
इसके अतिरिक्त, डॉक्टर समान लक्षण वाली बीमारी का पता लगाने के लिए कुछ लैब टेस्ट भी कर सकते है। ये टेस्ट है-

यूरिन टेस्ट
ब्लड टेस्ट

कावासाकी रोग का उपचार कैसे किया जाता है?

कावासाकी रोग में आपके बच्चे को बुखार के साथ दर्द, सूजन और त्वचा में जलन हो सकती है। इन लक्षणों में राहत प्रदान करने के लिए डॉक्टर एस्पिरिन (Aspirin) और ब्लड क्लॉटिंग को रोकने वाली अन्य दवाइयों की सलाह देते है। कावासाकी में और अन्य किसी भी रोग की स्थिति में बिना डॉक्टर की सलाह के आपको बच्चे को दवा ना दे।

यह बीमारी हार्ट को प्रभावित करती है, जिसके वजह से समस्या खतरनाक हो सकती है। कावासाकी रोग से पीढ़ित ज्यादातर बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं और उन्हें किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। पर कुछ मामलों में बच्चों को निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं जैसे –

दिल की धड़कन का असामान्य होना
हार्ट की मांसपेशियों में सूजन
हार्ट वेल्व्स का क्षतिग्रस्त होना
रक्त वाहिकाओं में सूजन आना

उपरोक्त स्थितियों में आपकी परेशानियां और बढ़ सकती हैं। साथ ही आर्टरी वॉल कमजोर या फूल सकती है। इस स्थिति को खतरनाक माना जाता है। इससे बच्चे की आर्टरी में ब्लॉकेज होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसके कारण इंटरनल ब्लीडिंग और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। कावासाकी रोग के कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में अस्पताल में रहकर इलाज करवाना जरूरी होता है।
पर उचित इलाज और देखभाल के साथ बेहतर डॉक्टर की सलाह से आप इस जोखिम को कम कर सकते है।

घर में देखभाल क्या होनी चाहिए-

निम्नलिखित दिनचर्या और घरेलू उपाय आपको कावासाकी रोग से लड़ने में मदद कर सकते हैं-

आपके बच्चे को थकान हो सकती है और उसकी त्वचा सूखी रह सकती है। ऐसे में बच्चे को पूरी तरह न थकने दें। उंगलियों और अंगूठों में नमी बनाए रखने के लिए स्किन लोशन का इस्तेमाल करें।

यदि यह बीमारी बच्चे के हार्ट में कोई समस्या देख रही है तो अनदेखा ना करे डॉक्टर को बताये हो सकता है अतिरिक्त इलाज की जरूरत हो। इस स्थिति में आपको फॉलो-अप टेस्ट के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर के बताएं टेस्ट और उपाय को सख्ती के साथ उपयोग में लाये ताकि कावासाकी की अगर कोई गुंजाइश हो तो खत्म किया जा सके।

बातचीत कार्डियो विशेषज्ञ डॉ दिनेश चंद्रा से श्वेता रश्मि की पर आधारित।

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Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

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