क्या होता HIV+IVE -एड्स ? खुद को कैसे रखें इस रोग से महफूज़ ?
2011 में सिर्फ भारत में ही लगभग 2.08 मिलियन लोग इस वायरस का शिकार थे। आपको बता दें की आज विश्व में जिन देशों में सबसे अधिक एड्स रोगी पाए जाते है उनमें भारत का नाम तीसरे पायदान पर है। ये आंकड़ा बहुत ही चिंताजनक है। आज हमारे देश में 2.2 लाख से अधिक एड्स रोगी है।
आज के समय में ज्ञान-विज्ञान ने चिकित्सा के क्षेत्र में इतनी अभूतपूर्व उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं कि आज हम नई-नई औषधियों और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से खुद को कई रोगों से मेहफ़ूज़ रख सकते है।
काली ख़ासी से लेकर के मलेरिया, हैजा और प्लेग जैसे जानलेवा रोग आज महज़ आधे इंच की दवाई से ठीक किए जाने लगे है। चिकित्सा क्षेत्र में हर रोज हो रहे नए नए प्रयोग देश और दुनिया को एक अच्छा स्वास्थ्य प्रदान कर रहे है। लेकिन आज भी ऐसे कई रोग है जिनका इलाज ना तो ज्ञान खोज पाया है और ना ही विज्ञान। “HIV+IVEएड्स” उन्ही रोगों में से एक है।
क्या होता है “एड्स”?
दोस्तों “एड्स” का पूरा नाम ‘ HIV SYNDROME एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएन्सी सिंड्रोम’ है जोकि मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु [मा.प्र.अ.स.] (एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है। “एड्स” खुद में कोई बीमारी नहीं है लेकिन व्यक्ति के शरीर में संक्रमित होने के बाद ये घातक रूप ले लेता है.
यह रोग एचआईवी अर्थात् ‘ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएन्सी’ नामक विषाणु के कारण फैलता है। जानकारी के अनुसार सर्वप्रथम इसकी पहचान संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में वर्ष 1981 में की गई थी। उसके बाद ये धीरे धीरे पूरी दुनिया में फैलता चलता गया।
चिकित्सा के जानकारों का मानना है कि ये विषाणु दो प्रकार के होते हैं- एचआईवी-1 एवं एचआईबइा-2
जो कि मानव शरीर में प्रवेश कर उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीर-धीरे समाप्त कर देता है । इस कारण मनुष्य की रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती जाती है और वो धीरे धीरे मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
किस तरह फैलता है ये रोग –
दोस्तों जहाँ तक इस रोग के फैलने की बात की जाए तो आपको बता दे कि इसके फैलने के कई कारण हो सकते है फिलहाल हम कुछ कारणों पर प्रकाश डालते है।
1. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध के दौरान निकलने वाले वीर्य, रक्त अथवा योनि स्राव के सम्पर्क में आने से अधिक सक्रीय होता है।
2. रक्त के लेन-देन में संक्रमित सुई के इस्तेमाल करने से यह अधिक फैलता है।
3. नाई द्वारा काम में लाए जाने वाले धारदार उपकरण जैसे ब्लेड, उस्तरे आदि से भी इसके फैलने का खतरा रहता है।
4. असुरक्षित यौन संबंध बनाने से।
5. गर्भवती महिला से उसके गर्भाशय में पल रहे नवजात को भी यह रोग अपनी पकड़ में ले लेता है।
विशेषज्ञों कहतें है कि एचआईवी संक्रमण होते ही एचआईवी के विषाणु रक्त में अपना काम करना शुरू कर देते है उनका मानना है कि संक्रमित व्यक्तियों में एड्स के लक्षण उत्पन्न होने में 8 से 10 वर्षों तक का समय भी लग सकता है।
इसके विषाणु धीरे धीरे व्यक्ति को मौत की और धकलते रहते है। इससे ग्रस्त व्यक्ति कई वर्षों तक बिना किसी बीमारी के लक्षण के भी रह सकते हैं।
क्या होते है इसके लक्षण –
आपको बता दें कि इसके लक्षण एकदम से दिखना शुरू नहीं होते है बल्कि धीरे धीरे ये व्यक्ति के शरीर में अपना रंग दिखाना शुरू करते है। इस रोग के शिकार व्यक्तियों में निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते है।
1. व्यक्ति के वजन बिना किसी कारण एक माह के भीतर ही 10 किलो तक की कमी आ जाना।
2. शरीर में बिना किसी कारणवश लम्बे समय तक बुखार ,थकान ,व् पसीना आते रहना।
3. लगातार दस्त की शिकायत रहना और दवाइयों का असर ना होना।
4. स्मृति कम होने लगती है । बोलने में कठिनाई तथा सोचने की क्षमता में कमी होने लगती है.
5. मुँह में तथा जीभ पर सफेद छाले एवं शरीर में खुजली या दाने होना।
आदि इस जानलेवा रोग के लक्षण है। ये एक ऐसा रोग है जो एक बार किसी को अपने शिकंजे में लेले तो इस बच पाना फिर असंभव हो जाता है ,क्योंकि आज तक चिकित्सा वैज्ञानिक इस बीमारी का इलाज नहीं ढूंढ पाए है। इसलिए ये जानना अति आवश्यक है कि इस रोग से खुद को सुरक्षित किस प्रकार से रखा जाये।
क्या है इसके बचाव के उपाय –
कहा जाता है कि सावधानी ही इसका पक्का इलाज है इसलिए यदि आप अपनी निजी जीवन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखे तो आप इस रोग के शिकंजे से खुद को मेहफ़ूज़ रख सकते है।
1. सबसे पहले असुरक्षित यौन सम्बन्धों से खुद को सुरक्षित रखे।
2. रक्त की आवश्यकता पड़ने पर सरकारी या लाइसेंस शुदा रक्त कोष से ही रक्त लें।
3. सीरिज़ और इंजेक्शन की सुई को उपयोग के बाद उसे तुरंत नष्ट कर दें।
4. संयमित जीवन शैली को अपनाना चाहिए।
5. हमेशा पौष्टिक आहार तथा स्वच्छ पानी के साथ पूरी नींद लें और हर 6 माह के बाद एक बार डाक्टर से अपने खून की जांच करवाएं।
ध्यान में रखें कि “एड्स” का वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति को छूने, साथ खाना खाने,एक वातावरण में सांस लेने,निजी वस्तुएँ एक दूसरे के साथ साझा करने से,या साथ उठने बैठने से कभी नहीं फैलता इसलिए आपसे विनम्र निवेदन है कि इन रोगियों के प्रति ज़रा हमदर्दी रखें। उन्हे अनुभव करवाते रहें कि वे इस समाज का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।
आज देश और दुनिया इन रोगियों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है। एड्स की रोकथाम के लिए काम कर रही एक संस्था के साल 2011के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2011 में सिर्फ भारत में ही लगभग 2.08 मिलियन लोग इस वायरस का शिकार थे। आपको बता दें की आज विश्व में जिन देशों में सबसे अधिक एड्स रोगी पाए जाते है उनमें भारत का नाम तीसरे पायदान पर है। ये आंकड़ा बहुत ही चिंताजनक है। आज हमारे देश में 2.2 लाख से अधिक एड्स रोगी है।
इसकी रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1 दिसम्बर का विश्व एड्स दिवस घोषित किया गया है । इस दिन एड्स का अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक लाल रिबन धारण कर पूरे विश्व के लोग एड्स को जड़ से समाप्त करने की संकल्प लेते हैं । भारत में भी एचआईवी संक्रमण एवं एड्स की रोकथाम हेतु केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों द्वारा कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं ।
एड्स के नियंत्रण में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। सभी सरकारी अस्पतालों में एचआईवी की जाँच एवं इससे सम्बन्धित मुफ्त दवाएँ दी जाती है जहाँ मरीज़ का नाम गोपनीय रखा जाता है ताकि वे किसी प्रकार की कोई शर्म ना महसूस कर सके। लेकिन दोस्तों सिर्फ सरकार के कदम से हम इस समस्या पर काबू नहीं पा सकते है।
आज वक़्त आ गया है हम सब मिलकर इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करे ,सेक्स एजुकेशन जैसे विषयों को नयी नस्ल को जागरूक करें। जिससे आने वाले समय में इन पीड़ितों की मात्रा में कमी देखने को मिले और देश में मौजूद “एड्स” पीड़ित भी खुद को अछूत या किसी प्रकार की हीं भावना से ना देखे।
याद रखें
सावधानी ही इसका एकमात्र उपाय है।