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भारतीय ज्ञान और सभ्यता को नई पीढ़ी से जोड़ेगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति :एनडीटीएफ

भारतीय ज्ञान और सभ्यता को नई पीढ़ी से जोड़ेगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति :एनडीटीएफ

नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट प्रेस विज्ञप्ति : -एनडीटीएफ ने किया शिक्षा नीति का स्वागत
स्थायी नियुक्ति का प्रावधान अस्थायी व तदर्थ शिक्षकों के बीच रोजगार की अनिश्चितता को करेगा दूर | पांच महत्वपूर्ण विषयों के समाधान के लिए शिक्षा मंत्रालय से लगाई जल्द राहत के लिए गुहार

34 साल के अंतराल के बाद केंद्र सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति का नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) ने स्वागत किया है । संगठन का कहना है कि नई शिक्षा नीति शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया के अन्य विकसित देशों से सामंजस्य स्थापित करने के साथ भारतीय सभ्यता और ज्ञान की धरोहर को नई पीढ़ी से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य करेगी। इस नीति के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यक्षता करेंगे। यह आयोग सभी स्तर पर शिक्षा के मानकों में सुधार के लिए कार्य करेगा ।

एनडीटीएफ के अध्यक्ष डॉ. एके भागी ने बताया कि नई शिक्षा नीति में स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया पर विशेष जोर दिया गया है जिससे अस्थायी व तदर्थ शिक्षकों के समक्ष उपलब्ध रोजगार की अनिश्चितता का संकट दूर होगा। नई नीति में नियुक्ति के साथ -साथ समय पर पदोन्नति और सामाजिक व आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के लिए उचित अवसर व आरक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें सामाजिक न्याय का पूरा ध्यान रखा गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों के संदर्भ में उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनको मिलने वाला अनुदान पहले से बेहतर व्यवस्था के साथ उपलब्ध होगा ।डॉ. भागी ने आगे कहा कि शिक्षा नीति में प्री नर्सरी और सीनियर सेकेंडरी स्तर तक 5+3 +3 +4 का प्रावधान है जो विद्यार्थी की मजबूत बुनियाद तैैयार करने में सहायक होगा । स्कूली स्तर पर शत-प्रतिशत ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो के साथ बच्चों को वापस शिक्षा से जोड़ने की पहल के उपाय भी इस शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण प्रस्ताव हैं । शिक्षा का सार्वजनिककरण और समावेशीकरण भी इसका एक बहुत महत्वपूर्ण आयाम है । संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि विश्व भर में शिक्षा को लेकर हुए शोधों से ज्ञात हुआ है कि मातृभाषा में शिक्षा ही सबसे बेहतर माध्यम है । इस शिक्षा नीति में पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा का प्रावधान किया गया है। इस नीति में कला, विज्ञान ,वाणिज्य ,शारीरिक शिक्षा और व्यवसायिक रूप में शिक्षा के विभाजन को समाप्त कर उसे समग्रता में प्रस्तुत करने की पहल को एक अच्छा प्रयास कहा जा सकता है। बी. एड की हजारों व्यवसायिक दुकानों पर रोक लगाने के लिए 4 वर्षीय बी.एड इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम भी एक अच्छी पहल मानी जा सकती है। नई शिक्षा नीति में बहुआयामी निकासी और विद्यार्थी के शिक्षा में कभी भी पुनः प्रवेश की व्यवस्था के प्रावधान और भविष्य के लिए क्रेडिट जमा करने वाली व्यवस्था एक अन्य महत्वपूर्ण पहल है । नई शिक्षा नीति को लेकर विपक्ष के निजी करण ,राज्य के शिक्षा की फंडिंग से हाथ खींचने ,आरक्षण की समाप्ति ,प्रमोशन व स्थाई नियुक्ति न होने के तमाम आरोप बेतुके और निराधार है ।

संगठन के महा सचिव डॉ.वीएस नेगी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद का प्रावधान है जिसमें देखना होगा कि नौकरशाही और लालफीताशाही हावी ना हो जाए । संगठन के उपाध्यक्ष डॉ. विजेंद्र कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति में आधुनिक और प्राचीन भारतीय ज्ञान के समागम पर जोर है । मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा संस्कृत ,पालि ,प्राकृत, अपभ्रंश में शिक्षा और शोध को प्रोत्साहन तथा कौशल आधारित शिक्षा को प्रोत्साहन इसका एक अन्य महत्वपूर्ण पक्ष है । देश की शिक्षा पर जीडीपी का 6% खर्च करने की मांग 1964 में की गई थी जिसे इतने लंबे अंतराल के बाद एनडीए सरकार ने साकार करने का संकल्प लिया है ।

इसी तरह नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से निम्न महत्वपूर्ण कुछ मुद्दों पर तत्काल ध्यान आकर्षित करके उनके समाधान का भी अनुरोध किया है, इनमें पहला है वास्तविक स्वीकृत पदों पर लंबे समय से अध्यापन करने वाले तदर्थ अध्यापकों को भारत सरकार के आरक्षण नियमों का पालन करते हुए उनका स्थायीकरण किया जाए। दूसरा है, पी एच डी के बाद किए गए शोध और तदर्थ सेवा के समय को जोड़कर प्रमोशन प्रक्रिया शीघ्र आरंभ की जाए । कॉलेजों में प्रोफेसर के स्तर पर प्रमोशन प्रक्रिया आरंभ हो। बिना पीएचडी के भी एसोसिएट प्रोफेसर स्तर तक प्रमोशन हो । तीसरा है, सभी सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए पेंशन की व्यवस्था हो ।पेंशन के लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा हो । चौथा है, छठेे और सातवें वेतन आयोग की विसंगतियां शीघ्र दूर की जाएं। वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट जारी की जाए । पांचवा है, पुस्तकालय अध्यक्ष और वोकेशनल शिक्षक स्टाफ की अन्य शिक्षकों के साथ समानता तय हो । शारीरिक शिक्षकों के साथ अन्याय न हो । संगठन का कहना है इन सब मुद्दों के लिए एनडीटीएफ ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को समय -समय पर विस्तृत ज्ञापन भी दिया है। अभी भी लगातार इन मुद्दों पर कार्य किया जा रहा है और जब तक सकारात्मक समाधान नहीं होगा हम इन विषयों को लेकर संघर्ष जारी रखेंगे।

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Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

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