लुटेरा वकील परिवार, 10.5 करोड़ की ठगी और सीनाजोरी।
हितेंद्र ने छोटे लाल पांडेय, दीपेश और अनन्या शर्मा के बातों पर भरोसा करके अपने ग्रेनाईट खदान की पॉवर ऑफ एटॉर्नी दीपेश को ट्रांसफर कर दी, जिसे खुद दीपेश और उसकी वकील पत्नी अनन्या शर्मा और ससुर छोटे लाल पांडेय ने तैयार किया था। इस पूरे फ्रॉड में दीपेश और उसकी पत्नी अनाया शर्मा के अलावा पूरे परिवार की मिली भगत शामिल है 26 मई 2017 को ये पॉवर ऑफ एटॉर्नी दिल्ली में रजिस्टर्ड हुई।
कानून लोगों को उम्मीद देता है अपने लिए न्याय पाने की लड़ाई लड़ने के लिये पर जब कोई कानून का सहारा लेकर धोखाधड़ी और फ्रॉड करें और खुद उसका जानकर हो तो न्याय की लड़ाई लम्बी हो जाती है, कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है
जिसकी शुरुआत होती है वाराणसी से फ़िल्मी अंदाज़ में छोटे लाल पांडेय और दीपेश शर्मा नाम के दो मास्टरमाइंड ने अपने वकील होने का नाजायज़ फायदा उठाते हुये गुजरात के हितेंद्र जोशी के साथ 10.5 करोड़ रुपये का फ्रॉड कर डाला।
मामला वाराणसी से आगे बढ़ना शुरू होता है जब हितेंद्र जोशी की मुलाकात वहाँ के आश्रम में इन दोनों , दीपेश शर्मा दामाद छोटे लाल पांडेय से किसी परिचय के सहारे होती है हितेंद्र ग्रेनाइट के व्यवसाय में है और उनकी ग्रेनाइट की एक खदान कर्नाटक की चामराजनगर में स्थित है। हितेंद्र को छोटे लाल पांडेय और उसका दामाद पेशे से खुद को वकील बता कर प्रभावित करके उनके नजदीक हो गये साथ ही उन्हें ये विश्वास दिलाने में कामयाब हो गए कि दीपेश हितेंद्र जोशी के व्यवसाय को संभालने और आगे बढ़ाने में मदद करेगा जिसे हितेंद्र समय अभाव के कारण नहीं देख पा रहे थे।
हितेंद्र ने छोटे लाल पांडेय, दीपेश और अनन्या शर्मा के बातों पर भरोसा करके अपने ग्रेनाईट खदान की पॉवर ऑफ एटॉर्नी दीपेश को ट्रांसफर कर दी, जिसे खुद दीपेश और उसकी वकील पत्नी अनन्या शर्मा और ससुर छोटे लाल पांडेय ने तैयार किया था। इस पूरे फ्रॉड में दीपेश और उसकी पत्नी अनाया शर्मा के अलावा पूरे परिवार की मिली भगत शामिल है 26 मई 2017 को ये पॉवर ऑफ एटॉर्नी दिल्ली में रजिस्टर्ड हुई।
इसके बाद लगभग 10 महीने तक जब दीपेश शर्मा की तरफ से कोई प्रॉफिट या कागज़ात जब डॉ शिवशंकर को नहीं मिले तो शक होने पर छानबीन में ये पता चला कि इनके खदानों का दुरुपयोग करते हुए दीपेश अपने व्यवसाय को बढ़ा रहा है बिना हितेंद्र जोशी के इजाजत और जानकारी के, मामला यही नहीं रुका बल्कि दीपेश ने हितेंद्र जोशी के फर्म के नाम से ही दूसरा डूबलिकेट एकाउंट दिल्ली के एक्सेस बैंक में खुलवाया हुआ था, और गैरकानूनी तरीके से धोखाधड़ी करते हुये कागज़ात में उसने खुद को कंपनी का मालिक और मैनेजिंग पार्टनर भी घोषित कर दिया।
इसके बाद 30 नवंबर 2018 को नंदनी स्टोन इम्पेक्स को इलाहाबाद निवासी अपने ससुर छोटे लाल और सास सुमन पांडेय को बेच भी दिया। दीपेश खदान जब से देख रहा था तब से कर्नाटक पुलिस ने उसे 3 बार अवैध तरीके से ग्रेनाइट ले जाते हुये पकड़ा और उसके खिलाफ FIR भी दर्ज हुई पर इसकी जानकारी हितेंद्र को हुई तो उसने पॉवर ऑफ एटॉर्नी को कैंसिल कर दिया। इससे नाराज होकर उल्टे अनन्या शर्मा और दीपेश और छोटे लाल पांडेय ने हितेंद्र जोशी पर अलग अलग जगहों पर झूठा केस दर्ज करवाया जिसके कारण हितेंद्र जोशी और उनके नजदीकी मित्र डॉ कमलेश पटेल को अंतरिम जमानत लेने की नौबत आ गई।
दीपेश के अलावा इस पूरे मामले में 4 लोगों की मिली भगत शामिल है जिनपर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज है और , सबसे ज्यादा गंभीर आरोप दीपेश शर्मा और छोटे लाल पांडेय पर है जिन्होंने कानून का जामा पहना कर इस घटना को अंजाम दिया। दीपेश शर्मा के खिलाफ दिल्ली बार काउंसिल में 165/2018 के तहत शिकायत भी की गई पर कोई कारवाई अभी तक नहीं हुई हैं। दीपेश शर्मा और छोटे लाल पांडेय जैसे लोगों का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि उनके जैसे आपराधिक मानसिकता के व्यक्ति किसी अन्य को नुकसान ना पहुँचा सके और कानून का दुरुपयोग ना करें।
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consulting Editor
Shweta R Rashmi
The Janmat.com