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नौकरियों के झूठे वायदे या तो नीयत में खोट है या अमल करने में खोट है- प्रो. गौरव वल्लभ -प्रवक्ता AICC

प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम एक बड़े ही महत्वपूर्ण विषय को लेकर आए हैं और ऐसा विषय जिसका इंपेक्ट, जिसका संबंध हमारे देश के युवाओं से है, मतलब इतना महत्वपूर्ण विषय है कि जब मैंने इस विषय के बारे में, विस्तार से रिसर्च करने की कोशिश की तो विश्वास मानिए कि मुझे भी विश्वास नहीं हुआ कि क्या ये वास्तव में सच है, मैंने 3-4 बार वैरिफाई किया, फिर मैंने लोगों से भी पूछा कि जमीन पर भी ऐसा ही है, तो मुझे बताया गया कि स्थितियां इससे भी खराब है। विषय है कि नौकरियों के झूठे वायदे और मैं झूठे वायदे इसलिए कह रहा हूं कि या तो नीयत में खोट है या अमल करने में खौट है, कहीं ना कहीं खौट जरूर है और उस खौट का खामियाजा हमारे देश के युवा भुगत रहे हैं।

पिछले 6 सालों में हमने देखा कि किस तरह इकोनॉमी के साथ बुरा बर्ताव, इसे मैं कहूंगा miss-management of the economy, बुरा बर्ताव करके, हमने देखा 5 दिन पहले माईनस 23.9 प्रतिशत पर इकोनॉमी की वृद्धि दर डिग्रोथ जाकर गिरी। बात करते थे 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की 2024 तक, 5 ट्रिलियन के लिए 9 प्रतिशत की पॉजिटिव ग्रोथ चाहिए थी और लाकर हमें खड़ा कर दिया माईनस 23.9 प्रतिशत पर। तो इसके किस्से कहानियां हुई, किसी ने बोला कि ये एक्ट ऑफ गॉड है, किसी ने बोला कि गाडियां इसलिए नहीं बिकती कि देश के युवाओं ने कैब में चलना चालू कर दिया, किसी ने कहा कि प्याज, लहुसन के दाम इसलिए बढ़ते हैं क्योंकि हम प्याज – लहुसन नहीं खाते हैं, किसी ने कहा कि इकोनॉमी में दिक्कत इसलिए नहीं है क्योंकि फिल्में चल रही हैं, सब तरह की बातें देश में सुनी। एक्ट ऑफ गॉड से पहले एक्ट ऑफ पिपुल पर डालने की, देश के लोगों पर जिम्मेवारी डालने का प्रयास किया, जब नहीं बना तो एक्ट ऑफ गॉड पर डाला।

इसके बारे में कल भी विस्तार से प्रेस वार्ता हुई और हमारे विभिन्न वरिष्ठ नेताओं ने इसके बारे में चर्चा की। मैं यहाँ पूछना चाहता हूं कि ये -23.9 प्रतिशत है और बड़ी जिम्मेवारी से ये बात बोल रहा हूं, हालांकि प्रेस वार्ता का मुख्य मुद्दा ये नहीं है, पर -23.9 प्रतिशत में इनफोर्मल सेक्टर की मंदी को नहीं जोड़ा गया है, क्योंकि तालाबंदी के बाद अगर किसी सेक्टर का, अगर नोटबंदी के बाद अगर किसी सेक्टर का सत्यानाश हुआ है, तो वो है – इनफोर्मल सेक्टर, असंगठित क्षेत्र, उस असंगठित क्षेत्र का इंपेक्ट इस -23.9 प्रतिशत में नहीं। देश के बड़े एक्सपर्ट और जानकार मानते हैं कि जब क्वार्टर 2 की जीडीपी की घोषणा की जाएगी तो ये -23.9 प्रतिशत माईनस 30, माईनस 35 के बीच आकर गिरेगा। खैर, ये भी बात हमारे कई साथियों ने की, पर मुख्य मुद्दा ये है कि ये इकोनॉमी की हालत यहाँ पर आकर क्यों गिरी, क्योंकि इकोनॉमी कोई भी व्यक्ति, इसमें अर्थशास्त्र के जानकार की जरुरत नहीं है, अगर वो आठवीं कक्षा का विद्यार्थी है तो उसको पता है कि अगर इकोनॉमी में मंदी आएगी, इकोनॉमी में स्लोडाउन आएगा, अगर इकोनॉमी में निवेश कम हो जाएगा और निवेश 3 जगह से आता है इकोनॉमी में – पब्लिक इनवेस्टमेंट, प्राईवेट इनवेस्टमेंट और हाउस होल्ड इनवेस्टमेंट। पब्लिक इनवेस्टमेंट की बात आप कैसे करेंगे, क्योंकि राज्यों को आप जीएसटी का पैसा देते ही नहीं है, उनका बकाया देते नहीं है, उनको कहते हैं कि जो हमने संविधान में लिखा हुआ है, उसको भी हम एक्सेप्ट नहीं करते हैं। हमने जो संविधान संशोधन किया था जीएसटी लागू करने से पहले कि राज्यों को 14 प्रतिशत कंपनसेशन देंगे, शार्ट फॉल की स्थिति में, आज बोल रहे हैं कि आप जाएं और आरबीआई से पैसा ले लें।

दूसरा, प्राईवेट इनवेस्टमेंट, प्राईवेट इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए आपको चैंपियन ऑफ मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर, चैंपियन ऑफ सर्विस सेक्टर से वार्ता करनी पड़ेगी। आपका समय तो मोर को दाना देने में लग रहा है, आपका समय तो मन की बात में इंडियन कुत्तों की ब्रिड के बारे में देश को बताने में लग रहा है, आप तो मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर के कैप्टन से बात ही नहीं कर रहे हैं। तीसरी बात है, हाउस होल्ड सेक्टर, जो इकोनॉमी में इनवेस्टमेंट होता है, उसका एक महत्वपूर्ण कंपोनेंट हैं, 30 प्रतिशत से ज्यादा। हाउस होल्ड सेक्टर कैसे इनवेस्ट करेगा, 1 करोड़ 90 लाख नौकरियां, 1.89 करोड़ सैलरिड क्लास लोगों ने परमानेंट नौकरियां अप्रैल से लेकर खोई है, परमानेंट, ध्यान रखें एक परमानेंट नौकरी लगाने में एक मध्यम आय वर्गीय व्यक्ति का, एक निम्न आय वर्गीय व्यक्ति का परमानेंट नौकरी हासिल करने में जिंदगी खपा देता है। पर पिछले 5 महीनों में, ये मेरा आंकड़ा नहीं है, इस सीएमआईई का आंकड़ा है, 1.89 crore salaried class people lost their job between April 2020 and July 2020, तो आप बताईए हाउस होल्ड इनवेस्टमेंट, आप जैसा या मेरा जैसा मध्यम आय वर्गीय लोग, जिनकी नौकरी जा रही है, जिनकी सैलरी में कटौती की घोषणाएं की जा रही हैं, वो क्या इनवेस्टमेंट कर सकता है? तो इकोनॉमी में ना तो आप पब्लिक इनवेस्टमेंट कर पा रहे हैं, ना प्राईवेट इनवेस्टमेंट के लिए पॉजिटिव वातावरण बना पा रहे हैं, ना हाउस होल्ड इनवेस्टमेंट को बढ़ाने के लिए आप कुछ कर पा रहे हैं, क्योंकि लोगों की नौकरियां जा रही हैं और नौकरियां अगर जा रही हैं तो वो कैसे इनवेस्ट करेगा?

फिर पहली CMIE का आंकड़ा आया, बड़ा चौंकाने वाला आंकड़ा आया। देश में इस समय 3.6 करोड़, 3 करोड़ 60 लाख लोग जो नौकरी चाहते हैं और उनके पास रोजगार नहीं है, ये CMIE का आंकड़ा है, इसमें अर्बन सेक्टर और रुरल सेक्टर, दोनों को सम्मिलित किया गया। पहले बोला गया कि रुरल इकोनॉमी बूस्ट करिए, ग्रीन शूट है, क्यों बोला गया आपको, वो भी समझाता हूं। उस समय खरीफ की बुआई चल रही थी। बुआई में लोगों को कुछ समय के लिए रोजगार मिला। बुआई खत्म हो गई 3 करोड़ 60 लाख लोग आज ऐसे हैं देश में जिनको नौकरी चाहिए और उनको नौकरी नहीं मिल रही और इनको क्या कहा जाता है, वो भी मैं बताता हूं और वही मेरी आज की प्रेस वार्ता का मुख्य मुद्दा है। इन 3 करोड़ 60 लाख लोगों में कई करोड़ लोग ग्रेजुएट हैं, कई लोग पोस्ट ग्रेजुएट हैं, पीएचडी हैं, एमबीए हैं, इंजिनियर हैं, अच्छे खासे पढ़े लिखे हैं, उनके माता-पिता ने उनको पढ़ाया और उन्होंने भी जमकर पढ़ाई की, उनको कहा जाता है चुनाव से पहले, ध्यान रखिए, 2019 के चुनाव से पहले उनको कहा जाता है कि रेलवे में आपके लिए हम बंपर नौकरियां लेकर आएंगे और उसकी मैं डिटेल आपको दूंगा, पूरी टेबल बनाकर दूंगा। आरआरबी ग्रूप डी नोटिफिकेशन आता है 23 फरवरी, 2019 को और लोकसभा चुनाव की जो आचार संहिता है, वो मार्च में लग जाती है। 23 फरवरी, 2019 को 1,03,769 पोस्ट के लिए आरआरबी ग्रूप डी का एक नोटिफिकेशन आता है, युवाओं में उत्साह आता है कि चलो हम पढ़े-लिखे हैं, हमें नौकरी का अवसर प्राप्त होगा, हम नौकरी कर सकते हैं। 1 करोड़ 16 लाख और जो भी मैं डेटा दे रहा हूं, उसका सोर्स दूंगा आपको, 1 करोड़ 16 लाख लोग इसका फॉर्म भरते हैं, आपको पता है कितना कलेक्शन हुआ – 500 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन हुआ, सिर्फ एक आरआरबी ग्रूप डी के नोटिफिकेशन से, फॉर्म की सेल से 500 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन हुआ। कब हुआ – 23 फरवरी, 2019 को। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इससे ज्यादा युवाओं के साथ, इससे ज्यादा बेरोजगार लोगों के साथ, आप उनके साथ घिनौना मजाक नहीं कर सकते। आज तक परीक्षा की तारीख तक अनाउंस नहीं की जाती है, ये इससे ज्यादा आप लोगों के मतलब एक तरफ तो बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, इससे ज्यादा आप लोगों के जख्म पर नमक क्या लगा सकते हैं? 1 करोड़ 16 लाख लोगों के फॉर्म से 500 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर लिया जाता है। 1,03,769 वैकेंसी के लिए युवा तैयार होता है, अपनी तैयारी करता है, 23 फरवरी, 2019 को नोटिफिकेशन आता है, आज तक परीक्षा की तारीख आप घोषित नहीं करते हैं। आपकी नीयत ये साफ बताती है कि आप ये सब चीजें सिर्फ चुनाव में जुमलों की तरह यूज करना चाहते हैं। जिस तरह से लोगों से 15 लाख की बातें की, आज आप युवाओं से भी मजाक करना चाहते हैं, पर ध्यान रहें ये देश के युवा हैं, ये जब डिस्लाइक करने पर आते हैं, तो बड़ी-बड़ी कंपनियों को इंटरफेयर करके रोकना पड़ता है। ये जब डिस्लाइक का बटन दबाना चालू करेंगे तो बड़े-बड़े सत्ता और बड़े-बड़े तख्त पलट सकते हैं, इन युवाओं में इतनी ताकत है, इनके साथ मजाक मत करना।

अभी किस्सा खत्म नहीं हुआ है, ये तो एक परीक्षा थी। दूसरी परीक्षा –आरआरबी रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ALP, लोको पायलट है, लोको पायलट के लिए 3 फरवरी, 2018, आज से ढाई साल पहले नोटिफिकेशन आता है। नोटिफिकेशन आकर दिसंबर, 2019, आज से 9 महीने पहले इसका रिजल्ट आ जाता है, 64,371 भर्तियों के लिए। लोको पायलट की 64,371 भर्तियों का रिजल्ट आ जाता है, 9 महीने हो गए, अभी तक इनको अपोयंटमेंट लैटर नहीं दिया जाता है। 9 महीने से वो व्यक्ति जिसका रिजल्ट आया हुआ है, जो कह रहा है कि मैं लोको पायलट परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका हूं, पर सरकार उस रिजल्ट को उसके हाथ में नहीं देना चाहती, क्योंकि वो उसको सैलरी नहीं देना चाहती, वो उस युवा का जीवन, उसके परिवार का जीवन खुशहाल नहीं बनाना चाहती। आप 9 महीने से रिजल्ट हाइड करके बैठे हैं, ये कौन सा एक्ट ऑफ गॉड है? ये तो आपका Act of Ill-conceived, मैं तो कहूंगा Act of Ill-execute, Act of Ill-intention है आपका, ये आपकी अमल करने में खोट है, ये कोई एक्ट ऑफ गॉड नहीं है। ये आपकी नीयत को बता रहा है।
अभी भी किस्सा खत्म नहीं हुआ है। तीसरी परीक्षा, आरआरबी एंटीपीसी नोन टेक्निकल की, 28 फरवरी, 2019 को इसका नोटिफिकेशन आता है, कितने साल पहले, आज से डेढ़ साल पहले इसका नोटिफिकेशन आता है, 35,277 इसमें वैकेंसी है। 1 करोड़ 26 लाख युवा इसका फॉर्म भरते हैं, इसमें पद के लिए 1 करोड़ 26 लाख। सरकार कितना कलेक्ट करती है इन फॉर्म से, 500 करोड़ फिर। अभी इसका क्या स्टेटस है, एग्जाम की तारीख तक अनाउंस नहीं की जाती है। डेढ़ साल हो गए नोटिफिकेशन आए, पर एग्जाम की डेट नहीं, 500 करोड़ सरकार की झोली में आ गए। मध्यम वर्गीय लोगों ने अपनी जेब काट-काट कर इस परीक्षा का फॉर्म भरा, तैयारी कर रहे हैं किताबें खरीद-खरीद कर, कोचिंग कर रहे हैं इसके लिए कि कैसे इस परीक्षा में उत्तीर्ण किया जाए, पर आपने परीक्षा की तारीख नहीं जारी की। ये कौन सा एक्ट ऑफ गॉड है? आप तो हर चीज एक्ट ऑफ गॉड को ट्रांसफर कर देते हैं, ये कौन सा एक्ट ऑफ गॉड है? ये आपकी बदनियती है और कुछ नहीं।
चौथी परीक्षा और ये परीक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है, देश की महत्वपूर्ण परीक्षा है। एसएससी 2018, आज हम कहाँ हैं 2020 को खत्म होने में 4 महीने बचे हैं – सितंबर, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर। 2018 की एसएससी की परीक्षा का टियर फ्री का, मतलब टियर वन हुआ, टीयर 2 हुआ, टीयर 3 का अभी तक रिजल्ट घोषित नहीं किया जाता। अब आप बताईए कि बच्चा 2018 से टियर वन उत्तीर्ण किया, जिसने टियर 2 उत्तीर्ण किया, जिसने टियर 3 अच्छी परीक्षा देकर आया, वो रिजल्ट का इंतजार कर रहा है, दिन-रात सपने में उसके आता है कि मेरा रिजल्ट आ गया, मैं पास हो गया, मुझे पद मिल गया। आप रिजल्ट अनाउंस नहीं कर रहे हैं। 2 साल से ज्यादा एक परीक्षा को कंपलिट कराने में आप लगाते हैं। क्या 2019 की परीक्षा को 2024 में कराएंगे, ये किस तरह का आपका मैनजमेंट है? क्या युवाओं को आपने taken for granted ले लिया है।

तो कुल, इसका मैं अगर टोटल करुं तो 2 लाख से ज्यादा रेलवे की और एसएससी की वैकेंसियां जो पैंडिंग पड़ी हैं, सिर्फ एक-दो विभाग की बात कर रहा हूं, 2 लाख 10 हजार से ज्यादा वैकेंसी, इसके लिए टोटल कलेक्शन केन्द्र सरकार का हुआ है 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा। 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा आपका कलेक्शन हो गया, 2 लाख से ज्यादा आपकी वैकेंसी खाली पड़ी है और ये 6 महीने, 8 महीने नहीं, 2-2 साल हो गए हैं, ढाई-ढाई साल, पौने 3 साल हो गए एक को और जहाँ पर बड़ी वैकेंसी है, वहाँ पर परीक्षा की तारीख तक आपने अनाउंस नहीं की। कितने लोगों ने इसमें अप्लाई कर रखा है, ढाई करोड़ लोगों से ज्यादा छात्रों ने इसमें अप्लाई कर रखा है और आप हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

मैं इस संदर्भ में सरकार से कांग्रेस पार्टी के पटल से 3 सवाल पूछना चाहता हूं।
मैं ये पूछना चाहता हूं कि ये जो 2 लाख 15 हजार लोगों की जो वैकेंसी आपने नोटिफिकेशन चुनाव से तुरंत पहले जारी की, क्या ये भी वास्तव में आपका पॉलिटिक्ल गिमिक है? क्या ये भी आपका 15 लाख वाला स्टेटमेंट है, क्या आप इसके प्रति आश्वस्त हैं, गंभीर हैं या चिंतित है, क्या ये भी आप वही कह रहे हैं कि 15 लाख आपके खाते में आ जाएंगे? फिर आपने कहा कि हमने तो कहा नहीं, क्या ये नोटिफिकेशन भी उस तरह हैं कि आज डेढ़-डेढ़, दो-दो साल से नोटिफिकिशन जारी हो जाता है, परीक्षा की तारीख अनाउंस जारी नहीं करते। 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा आपने कलेक्ट कर लिए पर आप परीक्षा की तारीख जारी नहीं करते। लोगों को 2018 के प्रोसेस के परीक्षा की रिजल्ट अभी नहीं आए, आप क्या देश के युवाओं को अधर जून में रखना चाहते हैं?

दूसरा सवाल, बड़ा महत्वपूर्ण सवाल है कि जब सबको पता है कि बिना मांग बढ़ाए आप इकोनॉमी के चक्के को वापस चालू नहीं करवा सकते हैं, तो क्या आप ये जो जोब्स हैं, क्या इन जोब्स को देने से मांग नहीं बढ़ेगी, क्या एक पॉजिटिव संचार नहीं जाएगा, क्या हाउस होल्ड इनवेस्टमेंट जिनकी बात मैंने अपने इंट्रोडक्ट्री पार्ट में की थी, क्या हाउस होल्ड इनवेस्टमेंट इकोनॉमी में ज्यादा नहीं होगा? क्यों आप इसको इलइंटेशन या इलएग्जिक्यूशन में युवाओं के साथ मजाक कर रहे हैं? इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए हाउस होल्ड इनवेस्टमेंट का भी बढ़ना जरुरी है और हाउस होल्ड इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए लोगों की नौकरियां काटो मत, लोगों की नौकरियों के साथ मजाक मत करो। आप दो-दो साल से सवा दो लाख लोगों के साथ मजाक करके बैठे हो, उनके वैकेंसी के साथ 2 करोड़ से ज्यादा लोग परीक्षा परिणामों का इंतजार कर रहे हैं, उनसे मजाक मत कीजिए।

तीसरा सवाल, अब 2018 की परीक्षाएं तो अभी तक हुई नहीं, तो क्या 2019 की 2023 तक होगी, 2020 की 2024 में होगी, क्यों आप परीक्षाओं की टाईम लाइन नहीं बनाते हैं? एक विस्तार से टाईम लाइन बनाईए, युवाओं को उस टाईम लाइन के बारे में बताईए। जब भी नोटिफिकेशन दें कि ये दिन है, इस दिन पऱीक्षा है, पैसे लेने की तो आपकी पूरी टाईम लाइन है, पर युवाओं की परीक्षा कब होगी,कब रिजल्ट आएगा और रिजल्ट आने के बाद लोको पायलट के 65 हजार से ज्यादा पद हैं, उनको आप अपोयंटमेंट लैटर नहीं देते हैं, 9 महीने से ज्यादा हो गए हैं। वो अपने 64 हजार 371 उत्तीर्ण किए हुए लोग हैं, आप उनको अपोयंटमेंट लैटर नहीं देते हैं। ये क्या मजाक है आपका? तो मैं ये कहूंगा कि नौकरी के झूठे वायदे, नीयत में खौट और अमल करने में भी खौट, ये ऐसी सरकार है। मैं इसके लिए एक- दो लाइन मैंने स्वयं ने लिखी थी। मैं आपको वो सुनाऊंगा क्योंकि इससे पूरे ईशू को सार्वजनिक तरीके से कनक्ल्यूड कर सकते हैं।

‘बहुत हुआ युवाओं पर बेरोजगारी का वार’, 2 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, फिर भी क्यों हैं युवा बेरोजगार? 2 लाख से ज्यादा रेलवे और एसएससी में खाली पड़े हैं, फिर भी क्यों है युवा बेरोजगार? चुनाव पूर्व तो किया था 2 करोड़ रोजगार प्रति वर्ष देने का वायदा बार-बार, चुनाव पूर्व तो आप रोज कहते थे 2 करोड़ प्रतिवर्ष, अब क्या फॉर्म बेचकर छात्रों से लिए गए 1,000 करोड़ रुपए की राशि से करोगो गिरती हुई अर्थव्यवस्था का बेडा पार, क्या ये इकोनॉमी मॉडल है आपका कि गिरती हुई अर्थव्यवस्था बचाने के लिए छात्रों से जो 1,000 करोड़ रुपए एकत्र हुआ है, क्या इससे अपना बेडा पार करेंगे?

इसका सरकार जवाब दे और मेरा आग्रह है प्रधानमंत्री जी से, बाकि तो किसी मंत्री से बात करना ही बेकार है क्योंकि उनको पता भी नहीं कि कौन सा विभाग उनके पास है, ना उनके प्रवक्ताओं को पता है कि उनके मंत्री कौन हैं, तो मैं प्रधानमंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि सर, युवाओं को लाइटली मत लीजिए, उन्होंने अपनी ताकत आपको 4-5 दिन पहले दिखाई थी, वो फिर दिखा सकते हैं, अगर ये ताकत उन्होंने वोट के बटन पर लगा दी, तो 303 वाले 33 पर आकर भी जा सकते हैं। युवाओं के साथ मजाक करना बंद कीजिए और उनको परीक्षा का, जब भी नोटिफिकेशन आए, ये सारी परीक्षाओं नीयत समय में तुरंत करवाईए, जिनकी परीक्षाएं हो चुकी हैं, उनको अपोयंटमेंट लैटर दीजिए और आपके नोटिफिकेशन जारी कीजिए, कैबिनेट का निर्णय लीजिए कि जब भी कोई परीक्षा का नोटिफिकेशन आएगा, उसकी तारीख उस नोटिफिकेशन में होगी परीक्षा में, रिजल्ट की तारीख उस नोटिफिकेशन में होगी और अपोंयटमेंट की तारीख उस नोटिफिकेशन में होगी, क्योंकि अन्यथा आपके जो प्रक्रिया है, वो ये बताती है कि आप ढाई-ढाई साल तक परीक्षा की तारीख नहीं देते हैं, आप परीक्षाएं ढाई-ढाई साल तक पूरी नहीं कराते हैं, 9-9 महीने तक आप लोगों को अपोंयटमेंट लैटर नहीं देते हैं।

एक प्रश्न पर कि क्या वजह लग रही है कि सरकार रिजल्ट आने के बाद भी भर्तियाँ क्यों नहीं कर रही है, क्या आपको लगता है कि इसके लिए रेलवे की माली हालत जिम्मेदार है, प्रो. वल्लभ ने कहा कि यह तो सिर्फ एक ही जो लोको पायलट वाली परीक्षा है, क्या सिर्फ उसी में ऐसा है कि 9 महीने से ज्यादा का समय बीत गया और 64,371 लोग अपॉइंटमेंट लैटर का इंतजार कर रहे हैं, वजह सिर्फ एक ही लगती है, क्योंकि हर व्यक्ति के पास तो समय सीमित है, अगर रेलमंत्री का समय यह बताने में चला जाए कि 5 स्टार होटलों में कोल्हापुरी हवाई चप्पल रखने से व्यापार बढ़ सकता है, तो ये युवाओं की बेरोजगारी के बारे में कौन ध्यान देगा? रेलवे मंत्री का समय आइंस्टीन की ग्रेविटी की खोज करने में लग जाए तो इन युवाओं की बेरोजगारी के बारे में कौन जवाब देगा और ऐसा नहीं है, माली हालत का बहाना देकर हर चीज के लिए आप एक्ट ऑफ गॉड, एक्ट ऑफ इकॉनमी, एक्ट ऑफ नेहरु, एक्ट ऑफ पीपल, एक्ट ऑफ दिस, एक्ट आपके खराब हैं। Act of Govt’s wrong policies हैं। ये जो लोको पायलट हैं, ये कोई करोड़ो रुपये नहीं मांगते हैं पर ईयर की अपनी सैलरी, पर जितना ये खून पसीना लगाते हैं, उतनी ही सैलरी इनको मिलती है। इन लोगों को आप अगर इनका हक जो कि परीक्षा ये खुद उत्तीर्ण कर चुके हैं, वो नहीं दे रहे हो, तो ये बताता है कि आप लोगों के दिमाग में इन लोगों के लिए प्रति बदनीयती है अथवा आप इनकी केयर ही नहीं करना चाहते, तीसरा कारण नहीं हो सकता है, क्योंकि ये वहाँ अगर जाएंगे, तो ये ऐसे थोड़े ही है कि बैठे-बैठे इनको तनख्वाह मिलेगी, खून पसीना अपना लगाएंगे, जब दो वक्त की रोटी खा पाएंगे, अपने परिवार को भी सम्भाल पाएंगे।

ध्यान रहे, ये लोग जो परीक्षाएं देते हैं, एसएससी की, आरआरबी की, इन सबकी पृष्ठभूमि आपके मेरी जैसी है। ये कोई वो लोग नहीं हैं जो मशरूम खाकर अपने आप को चमकाते हैं। ये लोग मेहनत करते हैं, इनके माता-पिता मेहनत करते हैं, मिडल इंकम ग्रुप, ये मध्यम आय वर्गीय लोग होते हैं, मध्यम आय वर्गीय से नीचे आय वर्गीय वाले लोग होते हैं। एक-एक रुपया जोड़कर फॉर्म भरते हैं, किताब लाते हैं, कोचिंग करते हैं, और इन परीक्षाओं को एक ध्येय बनाते हैं अपने जीवन का और उनके साथ आप ये करते हैं, तो ये सिवाय बदनीयती के कुछ नहीं है।

ये कहना कि रेलवे की माली हालत खराब है, इसलिए इनको नियुक्त नहीं किया जा रहा है, तो आपने 2019 में क्यों चुनाव से पहले नोटिफिकेशन जारी किया? इसका मतलब तो जो व्यक्ति ये बोलता है कि रेलवे की माली हालत खराब है, तो क्या 2019 के पूर्व रेलवे क्या बहुत अच्छी चल रही थी? इसका मतलब है कि आप हर चीज में लोगों को मूर्ख बनाना चाहते हो, लोगों के इमोशन्स के साथ खेलना चाहते हो, चुनाव के पूर्व एक लाख वेकेंसी का आपने नोटिफेकशन जारी कर दिया और अब चुनाव निपट गए तो एग्जाम्स की डेट्स तक आप अनाउंस नहीं करते, ये सिवाय बदनीयती के कुछ नहीं है।
एक अन्य प्रश्न पर कि आर्मी चीफ ने एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि एलएसी पर पिछले 2-3 महीनों में बिल्कुल टेंशन है, पर प्रिकोशन के तौर पर हमने अपना डिप्लॉयमेंट वहाँ पर बढ़ाया हुआ है और हमारी सेना जवाब देने को तैयार है, लेकिन मिलिट्री लेवल पर और डिप्लोमेटिक लेवल पर बातचीत हो रही है मुद्दों को सुलझाने की और यथास्थिति बनी रहे इसकी कोशिश की जा रही है और जो भारत का हित है, उसको सर्वोपरी रखा गया है, क्या कहेंगे, प्रो वल्लभ ने कहा कि आर्मी चीफ ने जो कहा उसके बारे में कोई प्रश्न या जवाब होता ही नहीं है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी का तो एक ही उसूल है, सेना के साथ पूरा देश कदम से कदम मिलाकर खड़ा है, पर प्रश्न ये उठता है कि जब 5 मई से इस तरह की चीजें हो रही हैं, तो आप पहले दो महीने तो सरकार डिनायल मोड में ही रहती है, जब हमारे भारत मां के बीस से ज्यादा हमने अपने सपूत खोए तो आप कहते हो कि न कोई घुसा है, न कोई घुसा हुआ है, फिर उसके बाद आप सेना को भी संबोधित करते हो, 15 अगस्त को देश को संबोधित करते हो, तो आप उस गुस्ताख, उस कायर चीन का नाम लेने के बजाय उसके पर्यायवाची ढुंढते हो, विस्तारवादी, विस्तारवादी, अरे विस्तारवादी क्या है? क्यों नहीं बोलते आप दुनिया के पटल पर कि ये कायर और गुस्ताख चीन की हरकत है और इस हरकत का जवाब हिंदुस्तान की सेना पहले भी देती आई है, आज भी देगी और आगे भी देती रहेगी, ये बोलने में किसने रोका है, इससे कौन सी डिप्लोमेसी आपकी खराब हो जाती है? पर आप क्या है, लोगों को भ्रमित करते हो, मैं भी बोल दूँ, मंगोलिया के नीचे वाला देश, उससे काम नहीं चलेगा, जब किसी व्यक्ति का नाम बदलने से पहले आप शहरों के नाम बदलते हो, भारत के अब आपने विदेशी जो शत्रु देश हैं, मैं तो शत्रु देश बोलता हूँ, उस शत्रु देश का नाम बदल दिया आपने। नाम बदलने से समस्याएं हल नहीं होती, समस्याओं को हल करने के लिए आपको हर पटल पर जाकर बोलना पड़ेगा कि ये गुस्ताख चीन की गुस्ताखी का जवाब हिंदुस्तान की सेनाओं ने दिया है, देती रहेगी और पहले भी दिया है। तो ये बोलने में क्या दिक्कत है माननीय प्रधानमंत्री जी को? जब वो इस तरह के बयान देते हैं कि कोई घुसा नहीं है, न घुसा हुआ है, तो चीन दुनिया को घूम-घूमकर दिखाता है कि देखिए भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी वो तो मान ही नहीं रहे हैं कि कोई घुसा हुआ है, इसका मतलब, जहाँ पर हम खड़े हैं, वो हमारी सरजमीं है, जबकि विभिन्न स्ट्रैटजिक अफेयर्स के एक्सपर्ट्स कह रहे हैं, विभिन्न बड़े-बड़े समाचार पत्र लिख रहे हैं कि कई सौ किलोमीटर हमारी सरज़मीं जो हमारे नियंत्रण में थी, जहाँ पर हम पेट्रोलिंग कर पाते थे कई सौ किलोमीटर 5 मई 2020 के पहले वहाँ पर आज पीएलए के परमानेंट इस्टेबलिशमेंट बन गया है, वहाँ हैलिपैड बन गए हैं, वहाँ पीएलए के राडार लग गए हैं, तो मुंह फेर लेने से, समस्याओं के नाम बदलने से समस्या खत्म नहीं होती, तो जो आर्मी चीफ ने जो कहा है, वो प्रधानमंत्री जी के विरोध में बोले हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री जी ने तो कभी कहा ही नहीं है, वो तो कहते हैं कि न तो कोई घुसा है, न कोई घुसा हुआ है, न कोई घुसा हुआ था, आज आप ही ने बताया कि आर्मी चीफ ने ऐसी बात की है। आर्मी चीफ का हर भारतीय, हर हिंदुस्तानी सम्मान करता है, उनकी बात पर हमें बिल्कुल शत प्रतिशत भरोसा है, हिंदुस्तान की आर्मी के पीछे पूरी पार्टी खड़ी हुई है, पर प्रधानमंत्री जी को मैं कहना चाहता हूँ कि पर्यायवाची, सिनोनीम्स का खेल खेलना बंद करें, जिस व्यक्ति ने गुस्ताखी की है, ये गुस्ताखी गुस्ताख चीन ने की है, उसका नाम लेकर विश्व पटल पर उसके लिए बात करें, ये पर्यायवाची, पर्यायबाची खेलने से समस्याओं का हल नहीं होगा।

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Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

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