JANMATNation
Trending

एक करिश्माई अभिनेता इरफ़ान खान 53 साल की उम्र में ही अलविदा कह दिया।

बीहड़ में तो बागी होते हैं | डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में।। पान सिंह तोमर

फ़िल्मी जादूगर #इरफानखान अब हमारे बीच नहीं हैं। जब जब अभिनय की बात होगी तब तब आप याद आएंगे ।।

इरफ़ान खान का आखिरी सन्देश

एक ऐसे अभिनेता की कहानी जो आज हमारे बीच तो नहीं है परन्तु जब भी अभिनय और थियेटर की चर्चा इस समूचे धरातल पर होगी तो इरफान खान के बिना संभव नहीं है। उनसे ही जुड़ी एक कहानी

धीमी आंच पर चावल चढ़ाने की तरह पान सिंह तोमर रीलीज़ हुई थी। जब पानी में उबाल आने लगा, तो लोग इरफ़ान ख़ान को खोज रहे थे। इरफ़ान पंजाब में “क़िस्सा” की शूटिंग कर रहे थे। अचानक एक दिन अजय ब्रह्मात्मज का फ़ोन आया कि आप इरफ़ान को फ़ोन कर लें। शूटिंग ख़त्म हो गयी है। दो दिन बाद वह मुंबई लौटेंगे। वाया दिल्ली लौट सकते हैं, अगर आप दो दिन के भीतर एक मेल-मुलाक़ात का आयोजन दिल्ली में कर सकें तो!

अजय जी से बात करने के बाद मैं इरफ़ान को फ़ोन करने के बारे में सोच ही रहा था कि उनका फ़ोन आ गया। मैंने उनसे आग्रह किया कि आप दिल्ली आएं – हम एक छोटी-सी गोष्ठी कहीं भी आयोजित कर लेंगे। उन्होंने दो दिन बाद एयरपोर्ट से उन्हें पिक कर लेने के लिए कहा।

मेरे पास दो दिनों का समय था। स्पॉन्सर भी नहीं जुटाये जा सकते थे। फिर भी इरफ़ान के साथ वक़्त गुज़ारने के लोभ में मैंने प्रकाश के रे को फ़ोन किया। उनसे जेएनयू का कोई हॉल बुक करने को कहा। फिर ओम थानवी जी को फ़ोन किया और कहा कि आईसीसी में एक कमरा बुक करवा दें ताकि सस्ते में उनके रहने का जुगाड़ हो सके। ये दोनों काम हो गये।

जिस दिन इरफ़ान को आना था, मैं सुबह ग्यारह बजे कार लेकर एयरपोर्ट पहुंच गया। इरफ़ान एक कोने में खड़े इंतज़ार कर रहे थे। उनके साथ उनका मेकअप ब्वॉय भी था। रास्ते में उन्होंने कहा कि इसके लिए पास के किसी होटल में कोई कमरा देख लो। मेरे चेहरे का रंग उड़ गया, क्योंकि पैसे बिल्कुल नहीं थे। मैंने दो-तीन लोगों को एसएमएस किया। कमरे का इंतज़ाम करने को कहा। सरोजनी नगह में एक दोस्त ने कमरा उपलब्ध कराया – लेकिन वह आईसीसी से दूर था। इरफ़ान ने मेरी दुविधा भांप ली और कहा कि कोई बात नहीं – ये मेरे कमरे में ही रुक जाएगा।

मैंने एक दिन पहले ही फेसबुक पर इवेंट क्रिएट करके लोगों को जेएनयू में इरफ़ान से मिलने का इनविटेशन डाल दिया था। लंच नम्रता जोशी के सौजन्य से वीमेंस प्रेस क्लब में तय था। दूसरे इरफ़ान राज्यसभा टीवी के लिए उनसे बातचीत का समय चाह रहे थे। मैंने वीमेंस प्रेस क्लब में ही उन्हें बुला लिया, जिसको लेकर बड़ा बवाल भी हुआ – क्योंकि पहले से कोई परमिशन नहीं ली गयी थी। ख़ैर…

हम जेएनयू पहुंचे, तो देखा कि केसी ओपेन एयर में हज़ारों नौजवान-नवयुवतियां इकट्ठे हैं। बातचीत शुरू हुई। इरफ़ान ने तमाम सवालों के जवाब इत्मीनान से दिये। इरा भास्कर को भी हमने बुला लिया था, जिससे उस खुली महफ़िल की गरिमा बनी रही। छात्र बेकाबू नहीं हो पाये, वरना जितनी भीड़ थी, हम अंदर से डर गये थे। बातचीत का सिलसिला दो घंटे से ज़्यादा वक़्त तक चला।

रात में खुशहाल भाई के कमरे में पीने-पिलाने का इंतज़ाम था। वहां काफ़ी देर तक जमघट रहा, जहां प्रकाश के रे ने अपने तमाम बंधु-बांधवों को बुला लिया था। इस पूरे वक़्त में इरफ़ान ने एक बार भी नहीं कहा कि यार चलो, अब थक गया हूं। बल्कि वह पाश पर जिस महत्वाकांक्षी फ़िल्म की कल्पना में उन दिनों मुब्तिला थे, उसकी ढेर सारी बातें की। के आसिफ़ के दौर की फ़िल्मी दुनिया के किस्से प्रकाश से सुने, तो इरफ़ान ने उन्हें कहा कि पूरी रिसर्च उनको भेजें। लेकिन प्रकाश तो प्रकाश ठहरे। मेरे तमाम तगादों के बाद भी उन्होंने एक पन्ना उन्हें नहीं भेजा।

देर रात उठ कर हम हैबिटैट के एक कमरे में पहुंचे, जहां तिग्मांशु धूलिया रुके हुए थे। उन्हें भी जेएनयू आना था, लेकिन किसी वजह से नहीं आ पाये। वहां की महफ़िल में थोड़ी देर रुक कर मैंने इरफ़ान भाई से कहा कि अब मैं जाऊंगा, मेरा घर दूर है। दूसरे दिन सुबह-सुबह आकर, इरफ़ान के आईसीसी छोड़ने से पहले मुझे वहां का हिसाब क्लियर करना था।

आधी रात को घर पहुंच कर मैं सोया। सुबह नौ बजे इरफ़ान के फ़ोन से नींद खुली, तो मैंने हड़बड़ा कर कहा कि बस एक घंटे में पहुंच रहा हूं। इरफ़ान ने कहा कि कल वैसे ही तुम्हारा बहुत हैक्टिक रहा है। आने की ज़रूरत नहीं है, मैंने बिल क्लियर कर दिया है।

मैं थोड़ा अजीब फील करने लगा और उनसे कहा कि प्लीज़ ऐसा मत कीजिए। उन्होंने कहा कि अगली बार तुम दे देना और जल्दी से मुंबई आकर मिलो। मैं उन्हें धन्यवाद तक नहीं कह पाया।

यह हमारी पहली मुलाक़ात थी और इसके बाद मुलाक़ातों का और भी आत्मीय सिलसिला शुरू होना था।

बाक़ी कहानियां फिर कभी…

साभार अविनाश दास जी।

Tags
Show More

Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close