छतीसगढ़ के बस्तर जिले के चेंदरू द टायगर बॉय
शेरों से खेलने वाले रियल हीरो की कहानी सादात अनवर की जुबानी।
जान कर बहुत हैरानी होगी एक आदिवासी लड़का बस्तर का शेरों के साथ खेलता था। इस लड़के का नाम था चेंदरू द टायगर बाय के नाम से मशहुर चेंदरू पुरी दुनिया के लिये किसी अजुबे से कम नही था। बस्तर मोगली नाम से चर्चित चेंदरू पुरी दुनिया में 60 के दशक में बेहद ही मशहुर था। चेंदरू के जीवन का दिलचस्प पहलू था उसकी टाइगर से दोस्ती, वह भी रियल जंगल के। दोस्ती भी ऐसी कि दोनों हमेशा साथ ही रहते थे, खाना, खेलना, सोना सब साथ-साथ।
बस्तर का रियल मोगली कहलाने वाले चेंदरू ने 2013 में दुनिया को अलविदा कहा था। साठ साल पहले चेंदरु ने दुनिया भर का ध्यान खींचा था। फ्रांस, स्वीडन, ब्रिटेन और दुनिया के कोने-कोने से लोग सिर्फ उसकी एक झलक देखने को, उसकी एक तस्वीर अपने कैमरे में कैद करने को बस्तर पहुंचते थे। बस्तर की मुरिया जनजाति का चेंदरु मंडावी पूरी दुनिया में टाइगर ब्वॉय और रियल मोगली के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
चेंदरू मंडावी नारायणपुर के गढ़ बेंगाल का रहने वाला था। मुरिया जनजाति का यह लड़का बड़ा ही बहादुर था। इन दोनो की दोस्ती की जानकारी धीरे धीरे पुरी दुनिया में फैल गयी। स्वीडन के ऑस्कर विनर फिल्म डायरेक्टर आर्ने सक्सडॉर्फ चेंदरू पर फिल्म बनाने की सोची और पूरी तैयारी के साथ बस्तर पहुंच गए। फिर तैयार हुआ एक फिल्म “द जंगल सागा” जिसमे लीड रोल पर था बस्तर का “टाइगर ब्वाय” चेंदरू।फिल्म के रिलीज़ होते ही चेंदरू रातोंरात हालीवुड स्टार बन गया था ।देश विदेश में बस्तर को पहचान दिलाने वाले चेंदरु पर 1957 में ‘एन द जंगल सागा (En djungelsaga)’ इंग्लिश में: द फ्लूट एंड द एरो (The Flute and the Arrow)नाम की स्वीडिश फिल्म बनी थी, उसके दोस्त टाइग़र के साथ उसकी दोस्ती के बारे में दिखाया गया था।
इस फिल्म ने उसे दुनिया भर में मशहूर कर दिया। इस फ़िल्म में रविशंकर ने संगीत दिया था, रविशंकर अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्षरत थे और उस समय उन्हें चेंदरू के संगीतकार के तौर पर जाना जाता था।एक समय ऐसा आया कि गुमनामी के दुनिया में पुरी तरह से खो गया था जिसे कुछ पत्रकारों ने पुन 90 के दशक में खोज निकाला। 18 सितम्बर सन 2013 को उनकी मृत्यु हो गई।
लेखक सादत अनवर