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एयर स्ट्राइक जैसे गंभीर मुद्दों के साथ सियासत का खेल- देश के सुरक्षा पर सवालियां निशान

14 फरवरी को पुलवामा हमले का बदला लेते हुए भारतीय हवाई सेना ने ठीक 13 दिन बाद 26 फरवरी को अपने 12 लड़ाकू विमान मिराज 2000 के साथ पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर अपनी कार्यवाही को अंजाम दिया।

पुलवामा हमले के ठीक 13 दिन बाद ही सेना की तरफ से एक ठोस कदम उठाया गया। जी हां, एयर स्ट्राइक।

सूत्रों के मुताबिक 26 फरवरी देर रात लगभग 3 से 3.40 मिनट के बीच इस सारे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। देश की खबरों के नज़रिए से देखा जाए तो भारतीय हवाई सेना ने  रात के बीचो-बिच आप सारी कार्यवाही को अंजाम देते हुए सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर के बालाकोट इलाके में घुसकर अपने 12 लड़ाकू विमानों के साथ लगभग 1000 किलोग्राम के विस्फोटक बम गिराए। जिसमे तक़रीबन 300 से 400 के करीब आतंकवादियों के मारे जाने की आशंका है। ये सारे आंतकी जैश ए मोहम्मद संगठन के थे,जो बालाकोट अपना ट्रेनिंग कैंपस चला रहे थे। लेकिन भारतीय हवाई सेना के देर रात किए अचानक हमले ने उन्हे संभलने का मौका भी नही दिया।


वही दूसरी और पाकिस्तानी मीडिया का कहना था कि 26 फरवरी भारत के लड़ाकू विमान बालाकोट के इलाके आये ज़रूर थे लेकिन बालाकोट के जंगलों में बम बरसाकर चले गए। जिसमे किसी की जान का कोई नुकसान नही हुआ है वहीँ दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मीडिया का भी इस मामले में कुछ यही कहना था।


देश के कई अन्य नेताओं के भी देशतगर्दो  की लाशों व् उनकी संख्या को लेकर कई सवाल उठाये  थे।रक्षा विषेशज्ञ राहुल बेदी का कहना है कि एयर स्ट्राइक निशाने पर नही गयी। जिसके जवाब में भारतीय हवाई सेना के चीफ़ ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि उन्होंने अपनी रणनीति में जिन इलाकों को ध्वस्त करने की योजना बनाई थी वह पूर्णत सफल है। मर्त्यको की संख्या गिनना सेना का कार्य नही है। आपने बयान में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को यदि कोई जान हानि नही हुई है तो उन्होंने अगली सुबह  अपनी और से कार्यवाही क्यों की।

खबरों की माने तो

दूसरी ओर विपक्ष का कहना है कि सरकार को सेना की उप्लब्दी के नाम पर देश से वोट की उम्मीद नही करनी चाहिये। फ़ौज किसी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा ही नही है फिर फ़ौज के कारनामों के नाम पर भी वोट माँगना सेना के सम्मान को ठेस पहुँचाना है।

अभी हाल ही की बात को देखा जाये तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को खरी खोटी सुना रहे थे। एक और पाकिस्तान का टमाटर,पानी जैसी सहूलियतों पर ताला लगाया गया लेकिन दूसरी  ओर पाकिस्तान दिवस पर पाकिस्तान के वज़ीर ए आला इमरान खान को दिल खोलकर बधाई भी दी गयी।

इसे सियासत का चेहरा कहे या भाईचारा ?

जो भी हो उम्मीद यही की जा सकती है भविष्य में यह दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ जल्द ही ठोस कदम ज़रूर  उठाएंगे जिससे मानवता चैन और अमन की खुली सांस ले सके।

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