गंगा आज दुनिया को ज़हर लग रही है | गंगा- अमृत या विष
गंगा जल हाथ में लेकर ये कौन से वादे पूरे हो रहे है कहा नही जा सकता। खैर जो भी हो लेकिन अगर इसी तरह गंगा की हालत रही तो वो दिन दूर नही जब गंगा का अमृत पूर्णत विष बन जायेगा।
गंगा देश सबसे बड़ी नदियों में से एक है जो हर पल न जाने कितने जीव-जन्तुओ के साथ साथ देश की एक बड़ी आबादी को किसी माँ की तरह पालती है।
लेकिन मौजूदा हालात से देखा जाये तो अमृत कहे जाने वाली गंगा आज दुनिया को ज़हर लग रही है।इसका सबसे बड़ा कारण है गंगा नदी का हद्द से ज़्यादा दूषित होना।
प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी जी ने जनता का भरोसा जीतते हुए कहा था की अगर उनकी सरकार आयी तो सबसे पहले गंगा साफ़ होगी और अपने वादे अनुसार 2037 करोड़ रुपये की राशि से स्वच्छ गंगा मिशन शुरू किया।
2014-15 में शुरू किये गए इस मिशन को लगभग 4 से 5 साल होने को आ गए है।
वही सूत्रों द्वारा दी गयी जानकारी से पता चलता है, गंगा सफाई के लिए आवंटित रकम का 80 प्रतिशत भाग भी अभी तक खर्च नही हुआ है। क्योंकि गंगा की सफाई के विचार को लेकर अरुण जेटली समेत कई अन्य कार्यकर्ताओं की कभी समय पर बैठक ही नही हुई इसलिए पैसे भी खर्च नही हुए।
मुरली मनोहर जोशी समेत कई सरकारी संस्थाओं द्वारा भी गंगा के दूषित होने पर चिंता ज़रूर जताई गई लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुचने के लिए कोई बैठक नही हुई।
वहीँ दूसरी ओर वाराणसी में गैर सरकारी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वर्ष 2016 से 2018 गंगा की हालत निरंतर बिगड़ती ही जा रही है।
सीपीसीबी ने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि मानसून से पहले 41 जगहों में से 37 जगह गंगा प्रदूषित हालात में है तथा मानसून के बाद 39 में से 38 जगहों पर तो गंगा जल स्वच्छता से कोसो दूर है।
इसी मामले में उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखंड के प्रदूषण बोर्ड ने तो गंगा जल को नहाने व पीने योग्य भी नही बताया है।
गंगा किनारे नए घाट ज़रूर बन गए है। लेकिन दूसरी ओर गन्दे-नाले व फैक्टरियां का गंदा कचरा भी सीधा गंगा में ही गिरता है।
ऐसे में गंगा कितनी स्वच्छ हुई है बताना ज़रा सा मुश्किल है लेकिन इन रिपोर्टों से इतना तो साफ़ हो गया है कि सरकार गंगा सफाई के प्रति कितनी जागरूक है। गंगा जल हाथ में लेकर ये कौन से वादे पूरे हो रहे है कहा नही जा सकता। खैर जो भी हो लेकिन अगर इसी तरह गंगा की हालत रही तो वो दिन दूर नही जब गंगा का अमृत पूर्णत विष बन जायेगा।