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प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत नहीं मिल रहा रोज़गार को बढ़ावा। रोज़गार के नाम पर अधिकतर संस्थान बंद।

योजना की शुरुआत जुलाई 2015 को की गयी। इसका लक्ष्य था देश में बेरोज़गारी को कम करते हुए उन युवाओं को रोज़गार देना जो किसी कारण-वश अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए या जो कम पड़े लिखे हों।

देश में बढ़ती बेरोज़गारी की समस्या को देखते हुए मोदी सरकार ने युवा शक्ति के भविष्य की चिंता करते हुए उनके लिए एक नई योजना शुरू की गयी जिसका नाम  “प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना” रखा गया। योजना की शुरुआत जुलाई 2015 को की गयी। इसका लक्ष्य था देश में बेरोज़गारी को कम करते हुए उन युवाओं को रोज़गार देना जो किसी कारण-वश अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए या जो कम पड़े लिखे हों। योजना के अंतर्गत 24 लाख युवाओं को अलग अलग उद्योगों से संबंधित 6 माह या 1 साल की अच्छी ट्रेनिंग दिलवाकर उन्हे नौकरी दी जानी थी। योजना 24 लाख युवाओं से शुरू होकर 40.02 करोड़ तक जानी थी।

उद्देश्य  
इस योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • योजना के तहत 24 लाख लोगों को युवाओं को विभिन्न तरह की तकनीकी क्षेत्रों में ट्रेनिंग देकर उन्हे नौकरी उपलब्ध करवाना।
  • युवाओं को प्रमाणीकरण और मूल्यांकन जैसी प्रक्रियाओं में प्रोत्साहित करना।
  • ट्रेनिंग के दौरान बेहतर प्रमाण वाले युवाओं को लगभग 8000 तक के इनाम देना जिससे उनका मनोबल बड़े।
  • देश में बेरोज़गारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए युवाओं को नए रोज़गार उपलब्ध करवाना।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि इस योजना से देश भर के युवाओं को बहुत लाभ पहुचाँ है और देश ने बेरोज़गारी की समस्या पर काबू पा लिया है। लेकिन इस मामले के तहत आ रही ख़बरें कुछ और ही कहानी बता रहीं  है। वर्ष 2016 इंदौर से आयी एक खबर से पता चला कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के नाम पर तक़रीबन 400 बेरोज़गारी युवाओं के साथ ठगी हुई थी जिसमे प्रत्येक युवा से 2000 तक की राशि योजना के नाम पर ली गयी थी।

दूसरी ओर देश के चार बड़े राज्यों में योजना के सेंटर चलाने वाले रिंकू का कहना है कि उन्हे सेंटर देते समय कहा गया था की हर पाठ्यक्रम तीन महीने के बाद 120  सीटें दी जायेगीं लेकिन 15 से अधिक माह का समय हो गया है और सिर्फ 60 सेटों का काम मिला है। रिंकू का कहना है की योजना के 10,000 से अधिक सेंटर बंद पड़े है।

वर्ष 2017 में दिल्ली के बुराड़ी नगर में कौशल विकास मंत्रालय के दफ्तर के बाहर सेंटर संचालकों ने खूब  प्रदर्शन किया था। उस समय सेंटर शुरू करने के बाद से उन्हें कोई काम नहीं मिला था। उस समय अधिकारियों ने फ़र्ज़ी सेंटरों के चलते सारा काम बंद कर दिया था।  जिसके बाद राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कौशल विकास मंत्रालय से इस्तीफ़ा दे दिया था।

ख़बरों की सुर्ख़ियों से पता चलाता  है कि 258 केंद्रों में से केवल 15 ही चल रहे जिनमे सिर्फ 1000 युवा ही ट्रेनिंग ले रहे है। अगर सेंटर ही बंद रहेंगें तो न ही युवाओं की सही से ट्रेनिंग होगी और न ही रोज़गार को बढ़ावा मिलेगा।

बीते दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू  ने अपने एक बयान में सरकार पर तंज़ कस्ते हुए मोदी सरकार की इस योजना को पूर्णत विफल बताया है।  उन्होंने कहा कि 40 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देने का वादा हुआ था ,जिसमे केवल 41 लाख युवा ट्रेनिंग का हिस्सा बने और उनमें  भी सिर्फ 6 लाख युवाओं को नौकरी मिली है। उन्होंने कहा कि 40 करोड़ का वादा करके नमो सरकार ने सिर्फ 6 लाख युवाओं को रोज़गार दिया गया ये कैसी सफलता है ?

कहीं  केंद्रों के बाहर लोगों द्वारा धरने दिए जा रहे है, तो कहीं केंद्र ही बंद पड़े है।  कहीं योजना के नाम पर ठगी हो रही है , तो कहीं सरकार आपने वादों को पूरा नहीं कर पायी है।  ऐसे में देश के युवाओं को इस योजना का कितना लाभ हुआ होगा आप समझ ही गए होंगे।

लेकिन जिस तरह देश में बेरोज़गारी लगातार बढ़ रही है ये देश के विकास के लिए चिंता का विषय है। सरकार को देश के युवाओं के रोज़गार के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे जिस से देश के युवा की आर्थिक और सामाजिक दशा सुधरे।  

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