राम मंदिर के निर्माण में सत्ता का खेल
मोदी सरकार ने जिस तरह अपने घोषणा पत्र में फिर राम मंदिर बनाने की बात कही है। जनता को दिखाई गयी ये उम्मीद है या कोई संकल्प इसका फैसला तो समय ही करेगा।
अयोध्या का राम मंदिर और बाबरी मस्जिद , इन दोनों के नाम पर देश में न जाने कब से विवाद चला आ रहा है। इस। विवाद की वजह से देश में दो समुदायों के बीच पता नही कब से दंगे हो रहे है। न ये विवाद खत्म हो रहा है और न ही समुदायों का दंगा।जिसकी वजह से देश में ऐसे हादसे हुए है जो देश को शोक मनाने पर मजबूर कर देते है।
हिन्दू समुदाय की माने तो यह राम-जन्म भूमि पौराणिक काल से है।लेकिन मुगल शासक बाबर ने सन 1526 में यहाँ बाबरी नामक मस्जिद का निर्माण किया। सन 1853 के आस पास इस मस्जिद और राम मंदिर के नाम पर देश में दंगे होना शुरु हुए थे। तब से लेकर अब तक मामला कई बार क़ानून के रास्ते से होता हुआ न जाने कितनी बार सुप्रीम कोर्ट पहुचां लेकिन कोई हल नही निकला।
तमाम सरकारों ने राम मंदिर निमार्ण का वादा देकर जनता से वोट तो ले लिया लेकिन निर्माण न हो सका।वर्ष 2018 में भाजपा के पूर्व सांसद श्री रवि शंकर ने कहा था कि जल्द ही अगर ये मसला नही सुलझा तो देश की हालत सीरिया जैसी हो सकती है।
भाजपा सरकार ने पिछले चुनाव में जनता को आश्वासन दिया था कि जल्द ही राममंदिर का निर्माण शुरू होगा।
5 साल बाद चुनाव फिर आ गया लेकिन मंदिर निर्माण की खबर अभी तक नही आयी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र-मोदी ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया जिसमें एक बार फिर मन्दिर बनाने का ज़िक्र हुआ है।गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जनता को विश्वास दिलाया है कि जल्द ही अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाया जायेगा।
जिसपर कई लोगो ने तंज कसा है। कन्हिया कुमार ने अपने बयान में कहा कि लगातार 32वे वर्ष में राम मंदिर निर्माण ने प्रवेश किया है।
हाल ही में सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि 67 एकड़ सरकार ने अधिग्रहण किया था।सरकार चाहती है कि ज़मीन का बड़ा हिस्सा राममंदिर न्यास के लिए दिया जाये। जवाब में कोर्ट ने भूमि के अविवादित हिस्से पर पूजा करने की अनुमति देने से भी इंकार कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने अयोध्या विवाद में एक अहम फैसला देते हुए मध्यस्थता के जरिये विवाद निपटाने की बात कही है।
मोदी सरकार ने जिस तरह अपने घोषणा पत्र में फिर राम मंदिर बनाने की बात कही है।
जनता को दिखाई गयी ये उम्मीद है या कोई संकल्प इसका फैसला तो समय ही करेगा।देखना होगा मौजूदा सरकार का ये वादा जनता की कसौटी पर कितना ही खरा उतरता है…