सेना की गुहार, अब घटिया गुणवत्ता वाले गोला बारूद देना बंद करे मोदी सरकार।
जिस तरह से हर रोज़ देश की सैन्य गतिविधियों दुर्घटनाएँ बढ़ रही है सच में चिंता का विषय है। ऐसे में सरकार को सेना की इस समस्या पर जल्द से जल्द ही ध्यान देना चाहिए ताकि देश और देश की सेना का मनोबल तथा आत्मविश्वास बढ़ता रहे।
हाल ही में ख़बरों की सुर्ख़ियों से पता चला है कि मोदी सरकार की तरफ से भारतीय सेना को बहुत ही घटिया किस्म गोला बारूद दिया जा रहा है जिसकी वजह से सैन्य गतिविधियों में दुर्घटनाएँ लगातार बढ़ रही है। घटिया किस्म के गोला बारूद व युद्ध उपकरणों की गुणवत्ता को देखकर देश की सेना ने बहुत चिंता जताई है। और बताया है कि ऐसे गोले और बारूद के उपयोग की वजह से हर रोज़ देश में न जाने कितने ही से सैनिक अपनी जान से हाथ धो बैठते है। सेना ने कहा कि ऐसी गुणवत्ता वाले गोला बारूद से दुर्घटनाएँ पहले से काफी ज़्यादा हो रही है जान हानि के साथ साथ उपकरण आदि की हानि भी हो रही है जिससे सेना का भी मनोबल लगातार टूट रहा है।
सूत्रों के मुताबिक़ पता चला है ऑर्डिनेंस फ़ैक्टरी बोर्ड द्वारा उपलब्ध करवाए हुए घटिया किस्म के गोला-बारूद से युद्ध जैसी स्थितियों पर भी देश को नुक्सान उठाना पड सकता है। इस मामले में सेना की तरफ से रक्षा मंत्रालय को एक चिट्ठी द्वारा रेड एलर्ट जारी किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है ऑर्डिनेंस फ़ैक्टरी बोर्ड के अंतर्गत देश में कुल 41 कारखाने हैं जो इस समय पूरी तरह सरकारी देख रेख में है इस समय देश की बड़ी सेना के लिए गोला बारूद तैयार रहे है।
सेना ने अपने 15 पन्नों के पत्र में घटिया किस्म के गोला-बारूद से हो रही मुश्किलों के बारे में बताया है। 105 एमएम की इंडियन फ़ील्ड गन से लेकर 105 एमएम लाइट फ़ील्ड गन, 130 एमएम एमए1 मीडियम गन,150 एमएम बोफ़ोर्स गन ,40 एमएम एल-70 एयर डिफेंस गन और टी-72, टी-90 और अर्जुन टैंक की तोपों की वजह से लगातार बढ़ दुर्घटनाएँ चिंता का विषय बनती जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक़ बताया जा रहा है कि इस मामले को सुलझाने के लिए ऑर्डिनेंस फ़ैक्टरी बोर्ड की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे। इसलिए सेना ने खुद ही लंबी दूरी में इस्तेमाल होने वाले गोले बारूद पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि पिछले 5 वर्षों में तक़रीबन 40 से अधिक हादसे सिर्फ 125 एमएम उच्च विस्फोटक गोला-बारूद से हुए है इस विस्फोटक गोला-बारूद का प्रयोग टैंकों द्वारा किया जाता है।
जानकारी के अनुसार लेफ़्टीनेंट जनरल शरत चंद ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेना के पास सिर्फ 8 %ही आधुनिक गोला बारूद है और लगभग 68 प्रतिशत हथियार बेहद पुराने जो किसी काम के भी नहीं रहे है देश में सिर्फ 24 % गोला बारूद ही आज ज़रूरतों के मुताबिक़ हैं।
आज कल सेना में आधुनिकीकरण का दौर चल रहा ऐसे में घटिया किस्म के गोला-बारूद के उपयोग से सेना में आधुनिकीकरण का प्रयोग कितना सफल होता है ये तो वक़्त ही बताएगा लेकिन जिस तरह से हर रोज़ देश की सैन्य गतिविधियों दुर्घटनाएँ बढ़ रही है सच में चिंता का विषय है। ऐसे में सरकार को सेना की इस समस्या पर जल्द से जल्द ही ध्यान देना चाहिए ताकि देश और देश की सेना का मनोबल तथा आत्मविश्वास बढ़ता रहे।