Opinion Zone
Trending

जब प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने कहा- राजनेता इस देश में हजारों होंगे लेकिन नामवर सिंह इस देश में एक ही हैं।

एक बार प्रोफेसर हरीश त्रिवेदी ने कहा था कि हिंदी में दो ही तरह के सेमीनार होते हैं - एक वह जिनमें नामवर सिंह उपस्थित होते हैं और दूसरे वह जिनमें नामवर सिंह उपस्थित नहीं होते.

इतिहास में एक प्रसंग आता है कि एक बार चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिंदुसार ने सीरिया के राजा एण्टियोकस प्रथम से तीन वस्तुएँ भेजने को कहा। 
1- सूखे अंजीर
2- अंगूरी मदिरा
3- दार्शनिक
लेकिन एक विशेष बात बिंदुसार ने ये कही की ये वस्तुएँ उसे भेंट स्वरूप नहीं चाहिए बल्कि वह इन्हें खरीदना चाहता है।एण्टियोकस ने अंजीर और वाइन तो भिजवा दी लेकिन दार्शनिक भेजने से मना कर दिया। उसके अनुसार दार्शनिक क्रय- विक्रय की वस्तु नहीं हैं।


हिंदी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह

वस्तुतः दार्शनिक या विद्वान किसी भी राज्य/ समाज के नगीने होते हैं। ये समाज को दिशा देने वाले होते हैं। जो समाज अपने विद्वानों को आदर, मान, सम्मान नहीं देता उसे गर्त में जाने से कोई बचा नहीं सकता।

आज हिंदी साहित्य के दूसरी परंपरा के अन्वेषक नामवर जी का जन्मदिन है। अपनी विद्वता में बेजोड़ नामवर जी सही में ‘नामवर’ थे। आज नामवर जी और चंद्रशेखर जी से जुड़ा एक वाकया साझा कर रहा हूँ ( यह प्रसंग मुझे नामवर जी के सुपुत्र श्री विजय जी ने टेलीफोनिक वार्ता में सुनाया था।)

EX PM CHANDRASHEKHAR

एक बार दिल्ली में नामवर जी की तबियत बहुत खराब हुई। लोग उन्हें दिल्ली से बी.एच.यू ले कर आ गए। लेकिन जब BHU में हालात स्थिर न हुई तो फिर से उन्हें दिल्ली लाया गया और एम्स में भर्ती किया गया। एम्स का प्रशासन और डॉक्टर्स नामवर जी के इलाज पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे थे।

एक दिन जब चंद्रशेखर जी अपने मित्र को देखने एम्स पहुँचे। पहुंचते ही उन्होनें नामवर जी को उलाहना देते हुए कहा-  “का हो नामवर पूरा इंडिया दिल्ली में इलाज करवावे आवेला और तू दिल्ली से बनारस चल गइलअ?”
नामवर जी के परिवार के लोगों ने तब चंद्रशेखर जी को एम्स प्रशासन के रवैये के बारे में बताया।
चंद्रशेखर जी ने फिर एम्स प्रशासन के मुखिया जो कि उनके जाने पर वहीं थे उनसे कहा – आप मुझे पहचान रहे हैं?
डॉक्टर साहब ने कहा-  जी हाँ, पहचान रहा हूँ।
फिर चंद्रशेखर जी ने कहा- तब कान खोलकर सुन लीजिए कि मेरे जैसे राजनेता इस देश में हजारों हैं लेकिन नामवर सिंह इस देश में एक हैं।
उसके बाद विजय जी बताते हैं कि एम्स प्रशासन अचानक हरकत में आ गया। अभी तक जिन टेस्ट को वह गैर जरूरी कह इनकार कर रहा था वह भी होने लगे, डॉक्टरों की टीम उनका दोबारा चेकअप करने आयी। बहरहाल, नामवर जी स्वस्थ हुए। देश का साहित्यिक और बौद्धिक जगत उनकी प्रतिभा से और समृद्ध हुआ।

कभी प्लेटो ने कहा था कि राज्य की समस्याओं का समाधान तब तक नहीं हो सकता जब तक कि विद्वान , राजा न बन जाये या राजा, विद्वान न बन जाये। चंद्रशेखर जी राजा तो नहीं प्रधानमंत्री बने। विद्वता तो उनमें भरपूर थी ही। 

लेखक प्रशांत बलिया


Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close