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सहज बिजली हर घर योजना-कितनी सफल कितनी असफल।

देश में बढ़ रही बिजली की समस्या को देखते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र-मोदी ने सहज बिजली हर घर योजना की घोषणा की। जिस से ग्रामीण तथा लोग इस परेशानी से राहत पा सके।

क्या है योजना-

योजना के तहत जिन लोगो का नाम वर्ष 2011 की सामाजिक ,आर्थिक, जाति जनसंख्या के अंतर्गत आता है उन्हे मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जायेगा।और जिन घरों में पहले से बिजली कनेक्शन है उन्हे सिर्फ 500 रुपये में बिजली कनेक्शन उपलब्ध होगा।

अपेक्षित परिणाम-

  • रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी
  • मजबूत शिक्षा प्रणाली
  • रौशनी के लिए आग का उपयोग न करके प्रदूषण कम करना।

कुल लागत-

ग्रामीण क्षेत्रो योजना की  लगभग 14,025 करोड़ रुपये की लागत है इसके तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 दिसम्बर 2018 देश के सभी ग्रामीण घरों में बिजली पहुँचाने का कार्य करना था।

वर्तमान हालात-

इस योजना के तहत यदि सरकारी आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो कुछ चौंकाने वाले आंकड़े नज़र आते है।आज देश में लगभग 76.4% घरों में बिजली है और 23.6% घर ऐसे है जिनमे अभी बिजली की सुविधा नही पहुँची है। यानी पूरे देश में अभी भी लगभग 6 करोड़ 60 लाख घर बिजली से जुड़ी समस्या झेल रहे है। और सरकार ने दावा किया है 99.53% घरों में बिजली पहुँचा दी गयी है। जबकि आंकड़े कुछ और ही कहानी बयान करते है।

ग्रामीण दशा-

मोदी सरकार ने दावा किया है कि जिन गांव में 2011 की जनगणना के अनुसार बिजली नही पहुँची उन्हे 28 अप्रैल 2018 तक विद्युतीकृत कर दिया गया है। मोदी काल में कुल 18374 गाँव में बिजली का कोई सौम्य साधन नही था। जिनके लिए सरकार का दावा था कि इन सभी गाँव में बिजली पहुचां दी गयी है। लेकिन आंकड़ों के अनुसार इनमें से सिर्फ 8% गाँव यानी 1429 गाँव में 100% बिजली पहुँच पायी है।

जहाँ देश को रोशन करने के बड़े बड़े वादे हुए थे। वही सरकारी आंकड़ों ने देश के सामने योजना का एक अलग ही रूप लाकर सामने खड़ा कर दिया है।

देश में अभी भी 6करोड़ 60 लाख घर ऐसे है जिनमे अभी तक बिजली नही पहुँच पायी है।

ऐसे में सहज बिजली हर घर तक पहुँची है या नही आप बेहतर जानते है।

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