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2019 के चुनाव-परिणाम के बाद लगभग 43% आपराधिक मामलों से घिरे उम्मीदवार पहुचे संसद भवन।

17वीं लोकसभा में कुल मिलाकर 542 सांसदों का नाम सामने आया है जिसमे से 233 सांसद आपराधिक मुक़दमो से लंबित हैं। और इनमे से 29 प्रतिशत यानी 159 सांसदों के खिलाफ अदालतों में गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।

हाल ही में ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक अलायंस’ (एडीआर) के द्वारा जारी किए गए चुनाव परिणाम अध्ययन रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चला है कि 2019 की 17वीं लोकसभा में आये तक़रीबन 43 % सांसदों के खिलाफ कानून की किताबों में आपराधिक मुकदमे दर्ज है।

आपको बता दें कि 17वीं लोकसभा में कुल मिलाकर 542 सांसदों का नाम सामने आया है जिसमे से 233 सांसद आपराधिक मुक़दमो से लंबित हैं। और इनमे से 29 प्रतिशत यानी 159 सांसदों के खिलाफ अदालतों में गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।

आपको बता दें कि साल 2014 के चुनाव से पहले भाजपा नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से वादा किया था कि यदि  देश उनकी सरकार को चुनता है तो वह विधानसभा में आये हुए आपराधिक मामलों से ग्रस्त सांसदों के खिलाफ पूरे कार्यवाही करेंगें फिर चाहे उनमें वो भारतीय जनता पार्टी से हों या फिर अन्य किसी पार्टी से। वे एक साल के भीतर ही सभी के आपराधिक मामलो के कच्चे चिठ्ठे खोल क़र जनता के सामने दूध का दूध ,और पानी का पानी कर देंगें।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वह एक स्वच्छ और शुद्ध संसद चाहते जिसमे सारे कार्यकर्ताओं का चरित्र जनता और कानून की नज़रों में एकदम साफ़ होगा। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया था कि वह देश की जनता के गुनहगारों से कोई भी समझौता नहीं करने वाले। अपराधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होगी जो देश में एक कायम मिसाल बनके उभरेगी।

लेकिन नतीजा कुछ और ही रहा। साल 2014 भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आयी और नरेंद्र मोदी को देश का प्रधान मंत्री चुना गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा की 2014 की मोदी सरकार में ही लगभग 34 % ऐसे सांसद सामने आये जिनपर कानून के मुक़दमो की लंबी फ़ेरहिस्त थी। उस समय एडीआर की रिपोर्ट के आंकड़ों से सामने आया कि 542 सांसदों में से 159 सांसदों (29 प्रतिशत) के खिलाफ हत्या,बलात्कार,अपहरण आदि जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित थे।

यदि हम साल 2019 की एडीआर रिपोर्ट से मिली जानकारी से देखे तो पता चलता है कि पिछले तीन चुनावों में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह  से लेकर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर तक 116 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं।

आपको बता दें कि इस बार भोपाल से विजय रही साध्वी प्रज्ञा सिंह एक भारतीय हिन्दू सन्यासिन हैं जिनपर 2008 के मालेगांव आतंकवादी बम विस्फोट का आरोप है।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 17अप्रैल 201 9 को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।  अपने एक ब्यान में उन्होंने आतंकवादी “नाथू राम गोडसे” को एक सच्चा देश भक्त बताया था।

वहीँ दूसरी ओर भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी पाया गया है। और भी ऐसे कई सांसद है जिनके गले पर कानून की तलवार लटक रही है लेकिन कुर्सी वालों ने अपनी ताक़त का गलत उपयोग करते हुए इनके गले का खतरा टाल कर इन्हे सत्ता का नया चेहरा बना दिया है।

अब सवाल ये आता है कि जब संसद में इतने दागी सांसद हैं, देश का लोकतंत्र कैसे सही होगा ? केवल मोदी सरकार के कार्यकाल में आपराधिक सांसदों की लोकसभा में 10 % वृद्धि हुई है। जबकि एक समय प्रधानमंत्री जी ने खुद अपने भाषण में कहा था कि राजनीती में आगे बड़े हुए अपराधियों को वह बख्शने वाले नहीं है। लेकिन सत्ता की ताक़त और कुर्सी के प्रेम में शायद हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अपने पुराने वादे भूल चुके है।

गौर करने की बात है जिनपर खुद बलात्कार जैसे मामले लगे हुए है वे देश की बेटियों की सुरक्षा कैसे कर सकते है?  जिन्हे खुद आतंकवादी होने के आरोप में सज़ा हो चुकी है वह देश को आतंकवाद मुक्त कैसे करेंगे ?? जिन्हे खुद कानून ने हत्या के मामले में कारावास में डाला था वो कैसे हमे बढ़ रहे अपराधों से मुक्त करेंगे ??  अपने कीमती विचार हमारे साथ कमेंट बॉक्स में ज़रूर सांझा कीजियेगा।

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