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ओज़ोन का स्तर लगातार बढ़ने से बढ़ रहा है देश में कईं प्रकार का खतरा: आंकड़े है चिंताजनक !!!

हमारा देश भारत लगातार ओज़ोन गैस से बढ़ती बीमारियों की गिरफ़्त में फँस रहा है। हमारे देश भारत के अधिकतर शहरों के पर्यावरण में ओज़ोन गैस की मात्रा लगातार बढ़ है इसमें दिल्ली ,बम्बई ,कलकत्ता जैसे शहर प्रथम सूची में है। इन सभी में राजधानी दिल्ली के आंकड़े बहुत ही चिंताजनक है। इस बार दिल्ली की गर्मी का तापमान तक़रीबन 47° से 49° तक पहुंचा है जो सच में एक चिंता का विषय है।

देश में लगातार बढ़ रहे वाहन ,मीलों तथा फ़ैक्टरियों की वजह से वायु प्रदूषण की मात्रा में इतनी बढ़ोतरी हो गयी है कि पर्यावरण में ओज़ोन का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिसकी वजह से जानलेवा बीमारियों की पकड़ लोगों पर दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। इस गैस के संपर्क में यदि थोड़े समय के लिए आया जाए तो श्वास की स्थिति और अस्थमा पीड़ितों की स्थिति तुरंत ही बिगड़ सकती है। ओज़ोन गैस के बढ़ते हुए स्तर की जांच करते हुए जानकारों ने सेहत को गंभीर ख़तरा बताया है।

पर्यावरण की दशा को सुधारने के लिए जागरूक करने वाली एक गैर सरकारी संस्था “सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई)” ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सिर्फ राजधानी दिल्ली में इस बार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से भीषण गर्मी और लू अत्यधिक बढ़ गयी है जिसकी वजह से घातक गैस ओज़ोन का स्तर कई गुना बढ़ गया है जोकि लोगों की सेहत के लिए निरंतर गंभीर खतरा बढ़ाती जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल से 15 जून 2019 के दौरान ओज़ोन का स्तर निर्धारित मानक से काफी बढ़ा रहा। विश्लेषण किए गए दिनों में से 16 फीसदी दिन ओज़ोन का स्तर ज्यादा था जिसकी वजह से देश की राजधानी दिल्ली ने इस बार भयानक गर्मी झेली है।

पर्यावरण विशेषज्ञ और सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि “घातक गैस का हमारे पर्यावरण में बढ़ जाना एक बड़ी चिंता का विषय है इस खतरनाक गैस के कई दुष्परिणाम है जैसे अस्थमा और सांस संबंधी अन्य बीमारियाँ जिनकी वजह से पीड़ित की तड़प तड़प कर मृत्यु होना लाज़मी है”

रिपोर्ट के अध्ययन से मिली जानकारी के अनुसार ओज़ोन गैस की मात्रा में वृद्धि होने की वजह से ही तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। तापमान अचानक से उलटफेर खा रहा है और कई नयी बीमारियों को जन्म दे रहा है।

क्या है ओज़ोन ??

आपको बता दें कि ओज़ोन एक वायुमण्डलीय गैस है जोकि प्राणवायु ऑक्सीजन का ही एक प्रकार है ऑक्सीजन के दो परमाणुओं से मिलकर प्राणवायु ऑक्सीजन का निर्माण होता है जिसका उपयोग हम सांस लेने के करते है जबकि इसी ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर ओज़ोन गैस का निर्माण होता है वायुमंडल में ओज़ोन का कुल प्रतिशत अन्य गैसों की तुलना में बहुत ही कम है। प्रत्येक दस लाख वायु अणुओं में दस से भी कम ओज़ोन अणु होते हैं। लेकिन हमारे पर्यावरण के ऊपर समस्त भूमण्डल में ओज़ोन गैस एक मुख्य भूमिका निभाती है इसकी एक परत हमारी पृथ्वी के एक मंडल के चारों तरफ एक सुरक्षा कवच का काम करती है। यह हमारी पृथ्वी को सूर्य की ओर से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (Utraviolet Radiation) किरणों से बचाती है।

वैज्ञानिकों की दृष्टि से देखा जाए तो हमारे पर्यावरण के लिए यह गैस बहुत ही हानिकारक है यदि हमारे पर्यावरण में इसका स्तर बढ़ जाता है तो तापमान में बढ़ोतरी हो जाएगी जिसकी वजह से चमड़ी और सांस के रोगों की मात्रा बढ़ सकती है।

हाल ही में एक शोध में पता चला है कि समताप मंडल में ओज़ोन गैस की परत लगातार घटती जा रही है और हमारे पर्यावरण में इस गैस की मात्रा लगातार बढ़ती ही जा रही है जो सम्पूर्ण पृथ्वी वासियों के लिए चिंता का विषय है।

एक शोध में सामने आया है कि हमारा देश भारत लगातार ओज़ोन गैस से बढ़ती बीमारियों की गिरफ़्त में फँस रहा है। हमारे देश भारत के अधिकतर शहरों के पर्यावरण में ओज़ोन गैस की मात्रा लगातार बढ़ है इसमें दिल्ली ,बम्बई ,कलकत्ता जैसे शहर प्रथम सूची में है।  इन सभी में राजधानी दिल्ली के आंकड़े बहुत ही चिंताजनक है। इस बार दिल्ली की गर्मी का तापमान तक़रीबन 47° से 49° तक पहुंचा है जो सच में एक चिंता का विषय है।

किन कारणों की वजह से बाद रहा ओज़ोन का खतरा

आपको बता दें कि ओज़ोन जैसी जानलेवा गैस के स्तर कई कारणों से बढ़ रहा है। देश में बढ़ रही मीलें,फैक्ट्रियां और बड़े बड़े कारखाने लगातार जानलेवा धुंए को जन्म दे रहे है। जिसकी वजह ओज़ोन गैस हमारे पर्यावरण में बढ़ रही है। लगातार बढ़ रही वाहनों की संख्या भी हर समय ज़हरीले धुंए को पैदा कर रही है जो वायु को सांस लेने के लिए भी नहीं छोड़ते जिसके परिणाम वश एक तो वायु प्रदूषित रही है और दूसरी ओज़ोन जैसी गैसों की बढ़ोतरी हमारे पर्यावरण में  ज़हर घोल रहें है। बढ़ती जनसंख्या की वजह से हुई जंगलों की कटाई का भी वायु को प्रदूषित करने और वातावरण में ओज़ोन को बढ़ाने का पूरा हाथ है।

क्या है समाधान

देश में इस बढ़ते हुए कहर से निजात पाने के बहुत से ऐसे संधान हैं। यदि हम बढ़ रही पेड़ो को कटाई को रोक ले और वायु को शुद्ध करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाएँ तो वातावरण में कहीं न कहीं स्वच्छ्ता आ सकती है। दूसरी ओर हमे कम से कम पेट्रोल व् डीजल वाहनों का प्रयोग करना चाहिए जिससे धुंए का प्रकोप वातावरण पर कम पड़े। कम दूरी के लिए पैदल यात्रा का सहारा लें और कोशिश की जाए कि कोई भी नयी फ़ैक्टरी या कार-खाना अधिक पेड़ो वाले क्षेत्रों में खोला जाए जिससे पेड़ उस दूषित धुएँ को स्वच्छ कर सकें।

यदि हम ऐसा करने में सफल हो जाते है तो हम देश में बढ़ रहे इस खतरे को रोक सकते है नहीं तो एक दिन इस देश में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा..

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