नीति आयोग की रणनीति कितनी कारगर
भारत सरकार द्वारा शुरू 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग की घोषणा कर दी गयी थी इसका पूरा नाम '' नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांस्फॉर्मिंग'' है।

क्या है योजना-
यह योजना विश्व के सकारात्मक प्रभावों को अपनाते हुए आर्थिक मोर्चे पर भारत में नए सुझाव रखती है। यह राष्ट्रिय ,अंतराष्टीय विशेषज्ञों के ज्ञान को उपयोग में लाते एक उत्तम प्रणाली का निर्माण करता है तथा राष्ट्रीय कल्याण के लिए नवीन नीतियाँ बनाता है।सहकारी संधवाद इसका मूल सिद्धांत है।
उद्देश्य-
यह लघु आविधि के साथ योजना तैयार करेगा।
योजना का मुख्य उद्देश्य है प्रत्येक राज्य के आर्थिक ,सामाजिक हितों को ध्यान में रखकर यह आयोग अपनी नीतियाँ रखेगा जिससे से हर वर्ग के लोगो का मुनाफ़ा होगा।
लेकिन मिली जानकारी के अनुसार नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया ने इस्तीफ़ा दे दिया था। उनके कारणों से यूं लगा कि वह अब अपनी सरकार की नीतियों से नाखुश है।उन्होंने बताया कि विकास के नाम पर कम कर्मचारी भर्ती किये जाते है और जल्द ही रिटायर कर दिए जाते है पेंशन भी खत्म कर दी गयी है। और फिर भी इन नीतियों का प्रचार किया जाता है।
ग्राम स्तर पर विश्वासनिय योजना तैयार करना।
उन्होंने बताया कि देश के माहौल को देखते हुए मोदी साहब को इसकी घोषणा करने से पहले दो-तीन बार सोचना चाहिए था।
दूसरी ओर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कान्त ने बताया कि देश की शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली अभी बहुत निचले स्तर पर है। बिहार,उत्तर-प्रदेश जैसे राज्य अभी तक पिछड़े है।
वही नीति आयोग से जुड़ी संस्थाओं का कहना है कौशल की कमी की वजह से बे-रोज़गार की समस्या बड़े पैमाने पर बढ़ रही है।
दूसरी तरफ नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि रोज़गार की ज़रूरत है लेकिन निजी क्षेत्र में आरक्षण नही होना चाहिये।
भारतीय मज़दूर संघ ने भी अपने बयान में बताया नीति आयोग कमज़ोर तबके का समर्थन नही करता।