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कश्मीर और कश्मीरी पंडित को न्याय कब मिलेगा

मौजूद सरकार ने भी बहुत वादे किए है कश्मीरी पंडितों से। ये सब वादे कितनी जल्दी पूरे होंगे ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

90 का दौर कश्मीरी पंडितों के लिए सबसे बुरा दौर माना गया है ये वही दौर था जिसमे एक एक करके न जाने कितने ही कश्मीरी पंडित बढ़ते उग्रवाद के कत्लेआम का शिकार हुए।इतिहास के पन्नो में छिपि 19 जनवरी 1990 की तारीख को कश्मीरी पंडित काले दिन के रूप में याद करते है।

राज्य सरकार की जानकारी के में पाया गया कि 90 के दशक में लगभग 1,54,080 की बड़ी संख्या में पंडित और हिन्दू परिवारों ने पलायन किया था। बचे खुचे लोग 1997 से 2003 में हुई हिंसक घटनाओं में पलायन कर गए।

बताया जाता है उन दिनों में आंतकवाद इतना बढ़ चुका था कि जगह जगह दीवारों चेतावनी लिखी जाती थी कि ”कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़े या फिर अपनी जान छोड़े”।असंख्य कश्मीरी बहू-बेटियां बलात्कार का शिकार हुई। आतंकवादी संघठन एक ही नारा दिन रात लागते थे-” हम सब एक है,तुम भागो या मरो”
जानकारी के अनुसार भाजपा के अध्यक्ष तिलक राज तिप्लु की जेकेएलऍफ़ द्वारा हत्या कर दी गयी।

इसके जस्टिस नीलकांत को भी बुरी तरह में मार दिया गया।
उस दौर में हिन्दुओ के दरवाज़ों पर लिख दिया जाता था या तो
मुस्लमान बन जाओ या कश्मीर छोड़ दो। समय समय कश्मीर से कश्मीरी पंडित व हिन्दू धर्म के लोग मौका मिलते ही भगाए गये है।
खबरों के पन्नो से देखे तो


25 जनवरी 1988 को चार कश्मीरी पंडितों को घर में घुस कर गोली मार दी गयी। 17अप्रैल1988 को 27 हिन्दुओ को मौत के घाट उतार गया।जिनमे 11 बच्चे भी शामिल थे। वही 20 मार्च को एक गुरूद्वारे में उत्सव के दौरान 36 सिखों को गोली मार दी गयी। ऐसी बहुत तारीखे है जो गवाह है। जो कश्मीर के नरसंहार की कहानी को बयां करती है। 30 साल से अपने घर के लिए कश्मीरी पंडित दरबदर ठोकरे खा रहे है,सरकारों का दरवाजा खटखटा रहे है। लेकिन कोई पुख्ता हल अभी तक नही निकला। दूसरी ओर नेताओ के भड़काऊ भाषण भी जलती में घी डालने का कार्य कर रहे है।

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री ने अपने एक ब्यान में कहा कि भारत दर्शन के तहत कश्मीरी पंडितों के बच्चों को उनका घर दिखया जायेगा
वर्ष 2015 गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में बसाने की बात रखी थी।
जो अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुँची है।
जम्मू शहर में 48 हज़ार दर्ज कश्मीरी परिवार है।जो घर जाने की उम्मीद को ज़िंदा रखे हुए है।

मौजूद सरकार ने भी बहुत वादे किए है कश्मीरी पंडितों से। ये सब वादे कितनी जल्दी पूरे होंगे ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

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