स्वच्छ और स्वतंत्र राजनीति का भविष्य दिख रहा है “सर्वश्रेष्ठ सभासद पुरस्कार” से सम्मानित “विकास पांडेय” उर्फ़ लाला में ।
पूरे बलिया में जनता की आवाज़ बनके घर घर में गूँज रहा है इन्होने सीधे शब्दों में जनता को अपनी ताक़त कहा है और दो टूक शब्दों में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई लड़ाई का शंखनाद कर दिया है केवल तस्वीरों में बन रहे स्वच्छता के दूतों से लेकर गरीब जनता के शोषितकर्ताओं तक। इनकी लड़ाई हर उस व्यक्ति से है जो भ्रष्ट है या भ्रष्ट्राचारियों का सज्जन है।
हमारा देश भारत शुरू से ही एक लोकताँत्रिक देश रहा है। यहाँ समय समय पर कई ऐसे लोकतांत्रिक नेताओं ने जन्म लिया जिन्होंने देश की जनता के हित के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने ऐसे कितने ही कार्य किए जिससे संपूर्ण जनसमूह उनके मान सम्मान के लिए बढ़ चढ़कर आगे आया। इनमे से भगत सिंह , जय प्रकाश नारायण , चंद्रशेखर , कलाम आज़ाद आदि थे।
आज के दौर में भी इन जैसे नेताओं को अपना आदर्श मानते हुए पूर्वांचल के एक उभरता हुए चेहरे ने जनता का दिल जीत कर राजनीति धर्म में एक मर्यादा के साथ स्वच्छ प्रतिनिधित्व की अतुल्य मिसाल कायम की है।
हम बात कर रहे है बलिया ज़िले के एक युवा तुर्क के बारे में। आज तक युवा तुर्क की संज्ञा केवल देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व०श्री चंद्रशेखर जी को ही दी जाती थी। पर आज उन्ही का एक अनुयायी उन्ही के पद चिन्हों पर चलते हुए बहुत ही कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है। हम बात कर है “विकास पाण्ड्य “जी की। जिन्हे पूर्वांचल के लोग प्यार से “लाला” कहकर भी संबोधित करते है।
यदि हम पिछले 2 या 3 वर्षों के घटनाक्रम पर नज़र डालें तो पता चलता है कि यह व्यक्तित्व हमेशा विवादों में घिरा रहा। कभी मजबूर मज़दूरों के लिए तो कभी निर्मम रेहड़ी व्यापारियों के लिए, कभी विधार्थियों के लिए तो कभी जनता की अन्य समस्याओं के लिए। इन्होने अनेकों बार प्रशासन से टकराने का खतरा मोल लेते हुए मुकदमो की एक लंबी फ़ेहरिस्त अपने साथ जोड़ ली।
लाला जी ने इसी क्रम में विगत नगरपालिका के चुनावों में भारी मतों से जीत हासिल करके महर्षि भृगु ,मंगल पांड्य,चीतु पांड्य,जय प्रकाश नारायण और चंद्रशेखर जी के सपनों की सरकार को स्थापित करने के लिए सभासद पद से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की।
वो कहतें हेना कि “सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं” बस इसी मंत्र को ध्यान में रखते हुए समाजवादी विचारों के प्रेणता क्रांतिकारी “भगत सिंह” जी के “इंक़लाब ज़िंदाबाद” के नारों के साथ जब इन्होने नगरपालिका के अंदर पदार्पण किया तत्पश्चात भ्रष्टाचार के दलदल में रमे हुए भ्रष्ट अधिकारियों और जन-प्रतिनिधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। परिणामस्वरूप ज़िला प्रशासन ने भांति भांति प्रकार आपराधिक मुक़द्दमों, षडयंत्रों, से इनके होंसले तोड़ने की कोशिश की लेकिन तोड़ नहीं सके। याद रहे बलिया हमेशा से ही बगावत की भूमि रही है इस भूमि से उपजे हुए फूलों ने सत्ता के नशे में चूर सत्ताधारियों की सत्ता को जड़ से उखड फेंका है।
आज इनका व्यक्तित्व पूरे बलिया में जनता की आवाज़ बनके घर घर में गूँज रहा है इन्होने ने सीधे शब्दों में जनता को अपनी ताक़त कहा है और दो टूक शब्दों में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई लड़ाई का शंखनाद कर दिया है केवल तस्वीरों में बन रहे स्वच्छता के दूतों से लेकर गरीब जनता के शोषितकर्ताओं तक। इनकी लड़ाई हर उस व्यक्ति से है जो भ्रष्ट है या भ्रष्ट्राचारियों का सज्जन है।
इनका मानना है कि देश में विकास लाने लिए बदलाव लाना होगा और ये बदलाव भ्रष्ट्राचारियों को बेनक़ाब करके ही आएगा। जब तक इस देश में भ्रष्टाचारियों के हाथ सियासत की डोरें है तब तक भोली भाली जनता शोषित होती रहेगी , इसलिए इनकी लड़ाई जनता के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही है। जनता की मांगो को पूरा करने के लक्ष्य के साथ आज “लाला “जी ने नयी मुहीम छेड़ दी है इनका मानना है कि जब तक जनता के अधिकारों को भ्रष्ट नेताओं के पैरो तले कुचला जाएगा तब तक ये लड़ते जाएगें। और तब तक लड़ेंगें जब तक इन्हे इंसाफ़ नहीं मिलता।
अपने कार्यकाल में सर्वश्रेष्ठ सभासद का पुरस्कार पाने के बावजूद भी इनके व्यक्तित्व में ज़रा भी बदलाव या किसी प्रकार का घमंड नहीं आया। इतने बड़े सम्मान के बाद भी ये व्यक्तित्व अपनी बात कुछ इस तरह रखता है
यूं तो बहुत कुछ बदलता है जमाने में हर रोज़ ,
लेकिन मेरा होंसला नहीं बदलता ,
तरीक़ा ज़रूर बदलता है मेरा जमाने में ,
लेकिन भूलकर भी मेरा इरादा नहीं बदलता“
“इंक़लाब ज़िंदाबाद”