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बढ़ती बाल-मजदूरी से देश का भविष्य भी बढ़ रहा खतरे की तरफ। आंकड़े चिंताजनक !!!

आज 60 मिलियन बच्चे ऐसे है जो पढ़ना चाहते है ,शिक्षा के साथ जुड़कर खुद के भविष्य को उज्वल बनाना चाहते है लेकिन बाल मजदूरी के दल-दल में फंसकर वे रोज अपने सपनों को एक एक करके जलाने के लिए मजबूर है। आपको बता दें कि ये आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है

आपने कहीं न कहीं पढ़ा या सुना ज़रूर होगा कि बच्चे भगवान का रूप होते है। लेकिन आज के हालातों को देखते हुए ये कहावत बिलकुल गलत साबित हो रही है। आज भारत में बाल मजदूरी इतनी बढ़ गयी है कि आज देश के हर नुक्कड़ ,हर चौराहे पर आपको कईं बच्चे ऐसे मिलेंगे जो हालातों से जूझते हुए या तो अपने बचपन को खुद जला देते है या फिर जलाने के लिए मजबूर कर दिए जाते है।  

दोस्तों बचपन इस ज़िंदगी का सबसे हसीन पल होता है जहाँ किसी चिंता और ज़िम्मेदारी के बिना ज़िंदगी के खूबसूरत पलों को जिया जाता है। इस संसार में ऐसा कोई नहीं है जो बाल्यावस्था के खेल-कूद और शरारत भरे दिनों से नहीं गुज़रा हो। हर व्यक्ति के लिए बचपन का वक़्त ही सबसे खूबसूरत और सुनहरा होता है लेकिन दुर्भगया ये है दोस्तों कि सबका बचपन एक जैसा नहीं होता।

क्या होती है बाल मजदूरी ?

आज के समय हमारे देश में बाल मजदूरी सबसे बड़ा कलंक है। बाल मजदूरी का अर्थ है 14 साल से कम उम्र से बच्चों से काम करवाना, या यूं कहे जब कोई 14 साल या उससे भी कम उम्र का बच्चा अपने जीवान व्यापन के लिए कहीं मजदूरी करता है तो वह बाल मजदूर कहलाता है। आज भारत में पढ़े-लिखे लोगों के होते हुए भी बाल मज़दूरों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। गौरतलब की बात ये है कि कई पढ़े-लिखे लोग ऐसे भी है जो इस कलंक को मिटाने के बजाय खुद बाल मज़दूरों का सहारा लेते है।

आज जिस गति से देश और दुनिया में जनसंख्या लगतार बढ़ती जा रही है शायद उससे दुगनी गति से ही बाल मजदूरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अगर पूरी दुनिया की बात करें तो पता चलता है कि आज सारे विश्व में लगभग 217  मिलियन से भी अधिक ऐसे बच्चे जो 14 वर्ष की कम आयु में भी मजदूरी करने को भी मजबूर है। ये ऐसे बदनसीब बच्चे है जिनका स्कूल में पढ़ने-लिखने का समय किसी ढाबे,दूकान या किसी होटल में झाड़ू-पोछा करने में निकल रहा है।

बात अगर अपने देश भारत की करें तो आंकड़े बताते है कि साल 1991 की जनगणना के हिसाब से देश में बाल मजदूरों की संख्या 11.3 मिलियन से भी अधिक थी। लेकिन साल 2001 तक पहुंचते पहुचतें यह आंकड़ा बढ़कर 12.7 मिलियन पहुंच गया। वहीँ अगर हम साल 2011 के आंकड़े देखे तो पता चलता है कि साल 2011 में 10.5 मिलियन से भी अधिक ऐसे बच्चे मजदूरी करने लिए मजबूर थे जिनकी उम्र महज़ 5-12 वर्ष की थी। लेकिन ये आंकड़ा साल 2017 में इतनी तेज़ी से बढ़ा कि देखने वालो की पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। साल 2017 के आंकड़े बताते है कि 2017 में देश में 33 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी के हाथों अपने बचपन को बेचने बेचने के लिए मजबूर थे। आपको बता दें कि आज के समय में भारत में सबसे अधिक बाल मजदूरों की संख्या देखने को मिलती  है।

बढ़ते बाल श्रम के कारण

1. गरीबी – आज भारत में आधे से ज़्यादा जनसंख्या ऐसी है जो अपने परिवार का निर्वाह करने में खुद को असमर्थ पाते है इसलिए वह अपने बच्चों को बाल मजदूरी के दल-दल में भेज देते है।  

2. शिक्षा – शिक्षा का अभाव होने के कारण आज देश में बाल मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लोगों का मानना है कि बच्चे जितनी जल्दी कमाना सीख जायेगें उतनी जल्दी ही वे अपने पैरो पर खड़े हो सकेगें। इसलिए वे अपने बच्चों को शिक्षा से दूर रखते है।

3. हिलती हुई कानून व्यवस्था – बाल श्रम के बढ़ने का एक बड़ा कारण यह भी है कि देश की कानून व्यवस्था इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाती जिसकी वजह से लोगों को बाल श्रम जैसे अपराध करने में छूट मिल जाती है।

समाधान

1. देश में बाल मजदूरी करवाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने चाहिए ताकि हर कोई भी इस अपराध को करने के लिए दो बार सोचे।

2. शिक्षा -देश में आज शिक्षा प्रणाली कमज़ोर और महंगी है इसलिए देश में मुफ्त शिक्षा ग्रह खोले जाने चाहिए।  ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से दूर ना रह सके। जिससे देश में बाल मजदूरी की जड़ें कमज़ोर हो सकें ।

3. जागरूकता – देश को शिक्षा के लिए जागरूक करने के लिए सरकार को हर संभव प्रयास करने चाहिए।  जिससे अधिक से अधिक बच्चे शिक्षा से जुड़ जाए। इन प्रयासों में देश के नागरिकों को बाल मजदूरी के दुष्परिणाम के बारे में भी बताया जाना चाहिए जिससे वे इस कलंक को मिटाने में देश का पूरा सहयोग करें।

आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार आज 60 मिलियन बच्चे ऐसे है जो पढ़ना चाहते है ,शिक्षा के साथ जुड़कर खुद के भविष्य को उज्वल बनाना चाहते है लेकिन बाल मजदूरी के दल-दल में फंसकर वे रोज अपने सपनों को एक एक करके जलाने के लिए मजबूर है।  आपको बता दें कि ये आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और अगर ये आंकड़ा इसी तरह बढ़ता रहा तो हमारा भारत देश कभी भी विकास के पथ पर नहीं बढ़ पाएगा। देश के एक ज़िम्मेवार नागरिक होने के नाते ये हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम खुद इस अपराध के खिलाफ आवाज़ उठाने का प्रयास करें। न तो खुद बाल श्रम का सहारा ले और ना ही किसी दूसरे को ये घटिया अपराध करने दें।

हमारा आप सभी पाठकों से अनुरोध है कि आप आसपास अगर कोई भी 14  साल से कम उम्र का बच्चा मजदूरी करते हुए देखे तो एक ज़िम्मेवार नागरिक होने के नाते इसकी सूचना देश की कानून व्यवस्था ज़रूर दें। आपके इस नेक काम से किसी मासूम का बचपन तबाह होने से बच सकता है।

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