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फसल बीमा योजना-

प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गयी फसल बीमा योजना बाग़वानी और वाणिज्यिक फ़सलों के लिए बीमा सुरक्षा देती है।योजना 13 जनवरी 2016 को शुरू की गयी थी।फ़सलों की प्रकृतिक रूप से हुई हानि के बदले किसानों को एक प्रीमियम भुगतान दिया जायेगा।

उद्देश्य-

योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आमदनी को उपलब्ध करवाना।

उनकी खेती में रुचि बनाये रखना।

खेती बाड़ी में किसानों को लोन की सहूलियत दिलवाना।

प्रकृतिक कारणों से ख़राब हुई फ़सलों को बीमा कवर से किसानों की सहायता करना।

कृषि विभाग में नई तकनीकों को बढ़ावा देना।

लेकिन इस योजना का पूर्णत लाभ किसानों को कितना मिला बताना मुश्किल है।

क्योंकि मिली जानकारी के अनुसार अक्तूबर 2018 तक बिमा कम्पनियो को लगभग 66,242 करोड़ रुपये तक का प्रीमियम मिला, जबकि  किसानों के किये गए दावे का भुगतान अभी तक नही हो पाया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के संसदीय मंडल ने कहा है इस योजना में अभी पर्याप्त पूँजी आवंटन की आवश्यकता है।

वही दूसरी ओर इस योजना से निजी कम्पनियो को लगभग 3000 करोड़ का लाभ हुआ है तथा सरकारी बिमा कम्पनियो को4085 करोड़ का घाटा।

आई आर डी ए की द्वारा दी गयी रिपोर्ट पता चलता है कि 11 निजी कम्पनियो ने प्रीमियम के रूप में 11,905 करोड़ वसूलें लेकिन दावे के रूप में सिर्फ 8831 करोड़ का ही भुगतान किया। दूसरी तरफ पांच सरकारी बिमा कम्पनियो ने किसानों के दावे का भुगतान 17,496 करोड़ किया,जबकि  उन्होंने प्रीमियम के रूप में सिर्फ 13,411 करोड़ ही वसूलें।

वही खबरों के रुख से देखे तो किसान की हालत के खास सुधार नही दिखा। 26 अगस्त 2018 की एक खबर के मुताबिक बीमा का प्रीमियम देने के बाद भी 3000 किसानों को दावे का भुगतान नही मिला।

दूसरी ओर हरियाणा के किसान नेता विकल्प प्रचार का कहना है कि 12 जिले के किसानों ने बीमा प्रिय के 380 करोड़ दिए लेकिन दावे की रकम सिर्फ 45 करोड़ मिल पाई।

अपने एक बयान में पी. साईनाथ ने दो टूक शब्दों में इस योजना को राफेल से बड़ा घोटाला बता दिया।

आज देश के लगभग 17 राज्यों के किसानों की कीमत 20,0000 है।जोकि 1300 रुपये महीना होती है।

ऐसे में यह योजना कितनी किसानों के लिये सफल है आप समझ गए होंगे। और यदि किसान की दशा ऐसे ही रही तो देश को एक मुश्किल दौर से गुजरना पड़ सकता है।

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