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लगातार बढ़ती बलात्कार की वारदातों से दुनिया भर में भारत के आंकड़े चिंताजनक।

2 वर्ष की बच्ची से लेकर 70 वर्ष की बुज़ुर्ग तक, महिलाएं पुरुषों की हवस का लगातार शिकार होती जा रही है। रात का अंधेरा हो या फिर दिन का उजाला देश में आज महिलाएँ खुद को सुरक्षित नहीं कह सकती।

नारी !  ईश्वर द्वारा की गयी वो खूबसूरत रचना जिससे इस संसार की शुरुआत हुई। मनुष्य को इस धरती पर आने के लिए नारी की आवश्यकता पड़ती ही है। हमारे देश भारत में तो नारी को माता और देवी-देवताओं से भी उच्च स्थान प्राप्त है।  लेकिन आज के भारत में नारी को लेकर जो तस्वीर बनती है उसे देखकर भारत देश का सर शर्म से झुक जाता है।

आज भारत मे हो रहे बलात्कारों की संख्या हर दिन लगातार बढ़ती ही जा रही है। 2 वर्ष की बच्ची से लेकर 70 वर्ष की बुज़ुर्ग तक, महिलाएं पुरुषों की हवस का लगातार शिकार होती जा रही है। रात का अंधेरा हो या फिर दिन का उजाला देश में आज महिलाएँ खुद को सुरक्षित नहीं कह सकती। गौरतलब की बात ये है कि यह हालात उस देश की है जो विकास के पथ पर बड़ी तेज़ी से दौड़ने के प्रयास में लगा हुआ है। आज भारत में लिंगानुपात की बात करें, तो यहां प्राकृतिक लिंगानुपात 105 लड़कों पर 100 लड़कियां है और 112 लड़कों के मुक़ाबले सिर्फ 100 लड़कियाँ हैं। लोगों का मानना है कि इसी की वजह से महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। कश्मीर हो यां फिर कन्याकुमारी दुष्कर्म के मामले देश के हर कोने से सामने आ ही जाते है। आज देश में सबसे ख़राब  लिंगानुपात हरियाणा प्रदेश में है।

आंकड़ों की माने तो  हर 20 से 22 सेकंड में आज एक लड़की बलात्कार जैसी अमानवीय घटना का शिकार हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली आज महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक राज्य बन चुका है। जहाँ महिलाओं का अकेले रहना  खतरे से खाली नहीं है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2011 में भारत में कुल बलात्कारों की संख्या लगभग 24,206 थी।

वहीँ अगर साल 2015 की बात करें तो बलात्कार के आंकड़ों में भारी में मात्रा वृद्धि हुई है। साल 2015 भारत में भारत में 34,000 से भी अधिक दुष्कर्म के मामले सामने आतें है। ये आंकड़े सचमुच चौंकाने वाले है। हैरानी की बात ये है कि ये सिर्फ वही आंकड़े है जो दस्तावेज़ों में दाखिल हुए है जो दाखिल नहीं हुए है उनके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।

बात अगर सिर्फ हरियाणा राज्य की करें तो साल 2018 के जनवरी महीने में इस प्रदेश में दस्तावेज़ों में 5 से 12 बलात्कारों के मामले दर्ज हुए।

चौंकाने की बात तो यह है की इनमें लगभग 5 से 7 मामले ऐसे थे जिनमे छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया गया था। वहीँ राजधानी दिल्ली के हाल तो पैरों तले ज़मीन खिसकाने वाले वाले है। सिर्फ साल 2018 दिल्ली में 2000 से भी अधिक बलात्कारों में मामले सामने आये है। इनमे बच्चियों से लेकर बुज़ुर्ग तक महिलाएं पीड़ित है .

बात अगर साल 2019 की करे तो इसी साल कश्मीर में तीन साल की बच्ची के दुष्कर्म का मामला सामने आया। दूसरी ओर जम्मू में भी 2 से 3 मामले जनता के सामने ऐसे आये जिनमे बड़ी क्रूरता के साथ के साथ बलात्कार किए गए। और अभी हाल ही में अलीगढ़ में भी 3 साल की एक मासूम बच्ची के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जैसे प्रदेश में हर दिन तक़रीबन 5 महिलायेँ के साथ बलात्कार जैसी क्रूरताएँ होती है.

यदि हम आंकड़े गिनने बैठे तो नतीजा एक ही निकलेगा। पिछले साल के मुक़ाबले इस साल बलात्कार जैसे अपराध और बढ़ जायेंगे । चूँकि ये आंकड़े बड़ी तेज़ी के साथ लगातार बढ़ते जा रहे है।

साल 2012 के निर्भया गैंगरेप केस के बाद जब सारा भारत उसे न्याय दिलाने के लिए एक जुट हुआ था तो लग रहा था कि अब शायद इन वारदातों में थोड़ी कमी आ जाएगी लेकिन नतीजे इसके बिलकुल विपरीत थे। ये आंकड़े साल दर साल बढ़ते ही जा रहे है जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बदनामी लगातार हो रही है। इसमें किसी एक उम्र,समुदाय या किसी धर्म के लोगों का हाथ नहीं है बल्कि हर धर्म ,हर जाति और समुदाय के लोग इन बलात्कारों के मामलो में शामिल है। कई देशो ने तो भारत को महिलाओं के लिए असुरक्षित देश भी घोषित कर दिया है।

जहाँ देश में एक तरफ विकास लाने की नयी नयी योजनाएँ बनाई जातीं है वहीँ दूसरी और ऐसी वारदातों में आ रही बढ़ोतरी से देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था भी बिगड़ती जा रही है। हैरानी की बात ये है कि हम लोग शिक्षा से जुड़कर भी मानवीय और अमानवीय कार्यों में फ़र्क़ नहीं कर पा रहे है। लेकिन इस बात को कहने में कोई दो राय नहीं है कि

अगर इसी तरह ये आंकड़े बढ़ते रहे तो एक दिन देश की जीवन व्यवस्था ऐसी बिगड़ जायेगी जिसे सुधारते-सुधरते आने वाली नस्लों और सरकारों की कमर टूट जायेगी।

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