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लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या से जन-जीवन पर मंडरा रहा है बहुत बड़ा खतरा।

देश में जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है जन्म दर और मृत्यु दर में उतर-चढ़ाव। साल 2016 के हिसाब से देखें तो जन्म दर 19.3 प्रति 1000 था। यानी एक समय में हज़ार लोगों में 19.3 नए बच्चे जन्म ले रहे है। जबकि 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है

आज हम पूरी तरह से 21वी शताब्दी के अनुसार चल रहे है जहाँ मनुष्य ने अपने जीवन को सफल,सुलभ,सरल और सुरक्षित बनाने के लिए ज्ञान-विज्ञान की नयी नयी तकनीकों को अपने अनुसार ढाल लिया है। आज का मनुष्य अपने रहन-सहन खान-पान को लेकर बहुत चिंताजनक हो गया। हर कोई अपने लिए बड़ा घर और अच्छी नौकरी चाहता है जिससे वह अपने बच्चों के साथ एक आरामदायक ज़िंदगी जी सके। लेकिन ज़रा सोचिये अगर ऐसा होना मुमकिन ही ना हो , यां यूं कहें कि अगर इस धरती पर साँस लेना ही संभव न हो, अचानक से जल का अभाव हो जाये। ज़रा सोचिये अगर चारों तरफ इतने लोग हो जाए कि इस हरी-भरी धरती पर एक भी पेड़ ना बचे तो क्या हो ?? जी हाँ ! आपने बिलकुल सही सोचा इस धरा पर जीवन वयतीत करना ही असंभव हो जाएगा। और वैसे भी जिस गति से आज जनसंख्या बढ़ रही है हमारी आने वाली नस्लों के लिए धरती पर रहना न मुमकिन सा होने वाला है।

क्या होती है जनसंख्या की वृद्धि –

जनसंख्या की वृद्धि का मतलब है जब ऐसी स्तिथि आ जाए के लोगों के रहने के लिए ज़मीन,खाने के अन्न व् अन्य चीज़ो का अभाव होने लगे।

आज पूरे विश्व की आबादी लगभग 7 अरब से अधिक की है. उत्तरी अमेरिका दुनिया के 16 प्रतिशत भू भाग में है जबकि दुनिया की सिर्फ 6% जनता वहां निवास करती है। अगर सिर्फ आपने देश भारत की ही बात की जाए तो पता चलता है कि सिर्फ भारत देश की आबादी आज सवा 100 करोड़ से भी अधिक की है और ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। आज भारत दुनिया की दूसरी सबसे आबादी वाला देश बन चुका है भारत में कई प्रदेशों की जनसंख्या तो विश्व के कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो देश की जनसंख्या इतनी ज्यादा हो गयी है कि देश में प्राकृतिक संसाधनों और स्त्रोतों की कमी नज़र आने लगी है जिससे देश की आर्थिक स्तिथि बिगड़ रही है।

इन कारणों से हो रही है जनसंख्या में वृद्धि –

1. बढ़ता जन्म दर-घटता मृत्यु दर-

देश में जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है जन्म दर और मृत्यु दर  में उतर-चढ़ाव। साल 2016 के हिसाब से देखें तो जन्म दर 19.3 प्रति 1000 था। यानी एक समय में हज़ार लोगों में 19.3 नए बच्चे जन्म ले रहे है। जबकि 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है एक रिपोर्ट के मुताबिक़ आज के समय के हर तीसरे सेकंड में एक बच्चा जन्म ले रहा है. और नौवे सेकंड किसी एक व्यक्ति की मृत्यु हो रही है। जिससे देश और दुनिया की जनसंख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।

2. परिवार नियोजन में पूर्णत अस्थिरता –

देखा जाये तो आज देश में परिवार नियोजन की कमी नज़र आती है तकरीबन हर घर बेटे की ख़्वाहिश में न जाने कितने ही बच्चे पैदा कर देता है। दूसरी और धार्मिक रूढ़िवादिता से भी जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। कुछ लोग सीमित -परिवार योजना को गलत मानते है उनका मानना है कि जो कुछ भी है प्रभु की देन है दूसरी और कुछ अन्य धार्मिक लोगो का मानना  है कि कौम को अधिक से अधिक बढ़ाना चाहिए। बस इसी वजह से घर की आर्थिक स्थिति के साथ साथ देश की जनसंख्या पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

3. कमज़ोर शिक्षा प्रणाली-

देश के अधिकतर लोग आज शिक्षा से अवगत है इसलिए उन्हे लगता है कि परिवार के जितने ज़्यादा सदस्य होंगे उतनी अधिक आमदनी होगी। उनको ये बात समझाना मुश्किल हो जाता है कि जनसंख्या विस्फोट से कितनी समस्याओं का जन्म होगा जो देश और दुनिया के साथ साथ उनके व् उनके बच्चों के लिए भी खतरनाक सिद्ध होंगी।

बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्परिणाम-

आज देश में जिस गति से लोगों की तादाद बढ़ रही है  इसके से दुष्परिणाम लोगों को ही ली डूब रहे है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जंगलों की लगातार कटाई हो रही है जिस से वन्य-जीवन भी ही साथ में कृषि भी खतरे की चपेट में आ गयी है जिसकी वजह से अनाज में कमी आ रही है ,सुनामी भूकंप , बे-मौसम बरसात आदि जैसी बड़ी समस्याएं सिर्फ जंगलों के कटने से उत्पन्न हो रही है। बढ़ती हुई जनसंख्या ने देश में गरीबी, बेकारी और महँगाई का स्तर भी लगातार बढ़ रखा है। आज देश का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का आर्थिक संतुलन खतरे ने नज़र आता दिखाई दे रहा है

बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए वर्ल्ड बैंक के आंकड़े देखें जाये तो पता चलता है कि साल 1960 में दुनिया भर की जनसंख्या 3.03 अरब थी। साल 1980 में यह संख्या बढ़कर 4.43 अरब तक हो गयी। लेकिन अगर साल 2000 में यही आंकड़ा तेज़ी से बढ़कर 6.12 अरब तक पहुंच गया और साल 2017 के अनुसार ये आंकड़ा 7.5 अरब की बड़ी संख्या को भी पार कर चुका है। यानी साल दर साल ये आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इन आंकड़ों की संख्या को देखकर लगता कि अगर इसी गति से जनसंख्या लगातार बढ़ती रही तो वो दिन दूर नहीं जब इस खूबसूरत धरती पर से जन-जीवन भी हमेशा हमेशा के लिए लुप्त हो जाएगा।

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