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रफ़ाल लड़ाकू विमान से होगी भारतीय वायुसेना में अधिक मज़बूती।

साल 2022 वायुसेना की मारक क्षमता में 36 रफ़ाल लड़ाके शामिल होंगे लेकिन तब तक वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मिग वर्ग के कुछ स्क्वाड्रन रिटायर हो जायेगें। ऐसे में केवल 36 रफ़ाल विमान ख़रीदने का सौदा देश की सुरक्षा के लिए कितना कारगर सिद्ध होग्स ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

काफी विवादों में फंसने के बाद आखिरकार रफ़ाल लड़ाकू विमान भरतीय बायुसेना में शामिल हो ही गया। राफेल लड़ाका अपनी कीमतों के चलते बहुत देर से विवादों में उलझा हुआ था लेकिन अब ये हिन्दुस्तान की वायु सेना में पूरी तरह शामिल कर लिया गया है।

आपको बता दें कि अपनी अतुल्य ताक़त के साथ यह लड़ाका जंग में दुश्मन के दांत खट्टे करवाने में बहुत कारगर साबित होने वाला है। आसमानी लड़ाई में इसे गेम चेंजर यानी खेल का पासा पलटने वाला कहा गया है। जिस तरह से भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रनों की क्षमता तेजी से गिरती जा रही थी रफ़ाल लड़ाकू विमानों का शामिल होना भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में बहुत राहत देने वाला माना जा रहा है।

फ़्रांस में बने इस लड़ाके रफ़ाल को दसहरे के दिन लेने के लिए भारत के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह जी स्वयं पेरिस की धरती पर पहुंचे।

मिली गयी जानकारी से पता चला है कि सितंबर, 2022 तक भारत की सरज़मी में लगभग 36 रफ़ाल लड़ाकू विमान शामिल होंगे जिससे भारतीय वायु सेना में कुछ बढ़ोतरी होगी। लेकिन सिर्फ 36 रफ़ाल विमानों के 2022 तक शामिल होने भारतीय वायुसेना की चिंताएं दूर नहीं होंगी।

बताया जा रहा ही कि मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना को मज़बूत करने के लिए सेना के खेमे में 42 स्क्वाड्रन होने चाहिये। (एक स्क्वाड्रन में 18 से 20 विमान शामिल होते है.) लेकिन इनकी संख्या आज के समय में घटकर 30 ही रह गई है। जोकि देश की रक्षा प्रणाली के लिए बहुत ही चिंता का विषय है।

जानकार बताते है कि साल 2022 वायुसेना की मारक क्षमता में 36 रफ़ाल लड़ाके शामिल होंगे लेकिन तब तक वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मिग वर्ग के कुछ स्क्वाड्रन रिटायर हो जायेगें। ऐसे में केवल 36 रफ़ाल विमान ख़रीदने का सौदा देश की सुरक्षा के लिए कितना कारगर सिद्ध होगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

भारतीय वायुसेना के एक्स एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ ने बालाकोट स्ट्राइक के दौरान अपने बयान में कहा था कि अगर उस समय मिराज – 2000 लड़ाकू वामनो की जगह हमला अगर रफाल लड़ाके ने किया होता तो दुश्मन के खेमे में तबाही का मंज़र और खतरनाक होता जिससे सभी को वांछित नतीजे मिलते।

वैसे भी कश्मीर के अनुच्छेद 370 के फैसले को लेकर भारत और पडोसी देश पाकिस्तान की सीमाओं में बहुत देर से तनाव की स्तिथि है। बात अगर पकिस्तान की वायुसेना की करें तो उनकी पास मौजूदा समय में भारत के 30 स्क्वाड्रन लड़ाकू विमानों के मुक़ाबले लगभग 28 स्क्वाड्रन लड़ाकू विमान है। यदि दोनों देशों की हवाई फोजों को तुलनात्मक तौर पर देखें तो पाकिस्तान की वायुसेना और भारत की वायुसेना में सिर्फ 18 से 19 का ही फ़र्क़ है।

जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में पाकिस्तानी वायुसेना अमेरिकी एफ़-16 लड़ाकू विमान के अलावा चीनी लड़ाकू विमानों से पूरी तरह से लैस है। अपनी मारक क्षमता को और अधिक बढ़ाने के लिए वह चीनी जेएफ़-17 लड़ाकू विमानों का स्वदेशी उत्पादन भी कर रहा है। इन दोनों विमानों का जत्था युद्ध के समय भारत के लिये मुश्किलें बढ़ा सकते है।

भारतीय वायु सेना में जिस गति से लड़ाकू विमान शामिल किये जा रहे है उसके अधिक गति से रिटायर किए जा रहे है ऐसे में भारतीय खेमा कितना ही मज़बूत रह सकेगा ये तो आनेवाला समय ही निर्धारित करेगा। लेकिन देश की सीमाओं के हालात देखते हुए सरकार को तीनों सेनाओं के गोला-बारूद व् अन्य सुरक्षा हथियारों के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए क्योकि सेना की ताकत ही देश की ताक़त है। इसलिए हम उम्मीद करते है कि बहुत जल्द सरकार देश की वायुसेना की उम्मीदों पर पूर्णता खरी उतरेगी।

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