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आरबीआई का ‘99%’ प्रतिशत मुनाफा हर साल हड़प लेती है सरकार :येचुरी

‘‘2014 से मोदी सरकार ने अपने प्रचार अभियानों के लिए हर साल आरबीआई के मुनाफे का 99% हिस्सा लिया। इस बार तो उन्होंने एक झटके में 1.76 लाख करोड़ रुपए हड़प लिए, जिसका इस्तेमाल बैंकों में नई पूंजी डालने के लिए किया जाएगा जिन्हें मोदी के यार-दोस्त लूट चुके हैं।’’

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने भारतीय रिजर्व बैंक से केंद्र को धन के हस्तांतरण पर निशाना साधते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि सरकार 2014 से ही केंद्रीय बैंक का ‘‘99%’’ मुनाफा हड़प चुकी है।

पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा कि ऋण के लिये आरबीआई एक ‘‘अंतिम उपाय’’ है। जिस तरह से आरबीआई की आरक्षित निधि का इस्तेमाल किया जा रहा है, पोलित ब्यूरो ने उसकी निंदा की।

इसने देश में माकपा की सभी इकाइयों से अर्थव्यवस्था एवं लोगों की आजीविका पर ‘‘बेरहमी से किये गये हमले’’ के विरोध में प्रदर्शन का आह्वान किया।

धीमी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिये भाजपा नीत शासन के दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये एक दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांश एवं अधिशेष भार सरकार को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी, जिसके बाद वाम पार्टी की यह प्रतिक्रिया सामने आयी है।

येचुरी ने ट्वीट किया, ‘‘2014 से मोदी सरकार ने अपने प्रचार अभियानों के लिए हर साल आरबीआई के मुनाफे का 99% हिस्सा लिया। इस बार तो उन्होंने एक झटके में 1.76 लाख करोड़ रुपए हड़प लिए, जिसका इस्तेमाल बैंकों में नई पूंजी डालने के लिए किया जाएगा जिन्हें मोदी के यार-दोस्त लूट चुके हैं।’’ 

येचुरी ने ट्वीट किया, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र में हमारे प्रमुख नवरत्न गिरती मांग और सरकार द्वारा उन पर डाले गये वित्तीय भार दोनों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। किसान, मजदूर, एमएसएमई, युवक और महिलाकर्मी सभी वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।’’ 

माकपा नेता ने कहा, ‘‘ अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका पर कभी भी इतनी बेरहमी से हमला नहीं किया गया जितना कि इस सरकार के शासन में हुआ।’’ 

पोलितब्यूरो ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘‘धन सृजन करने वालों’’ का सम्मान करने की बात करते हैं लेकिन धन तभी सृजित हो सकता है जब मूल्य पैदा हो।

इसके अनुसार, ‘‘कामकाजी लोगों की विशाल संख्या है लेकिन मूल्य पैदा करने के लिये उनके पास काम नहीं है। किसान, कामगार, एमएसएमई, युवा और महिला कर्मी बुरी तरह से प्रभावित हैं।’’ 

उन्होंने कहा कि अधिशेष का हस्तांतरण सरकार को ‘‘लाभांश’’ के रूप में जाना जाता है, जो पिछली बार के रिकॉर्ड 65,896 करोड़ रुपये का लगभग दोगुना है।

पोलित ब्यूरो ने कहा कि आर्थिक मंदी का असर नवरत्न कंपनियों की समस्याएं बढ़ा रहा है।

गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को केंद्र सरकार को लाभांश और अधिशेष कोष के मद से 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का निर्णय किया।

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