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Bhai Dooj : जानिए भाई दूज पर्व की सम्पूर्ण लोक कथा।

हमारे हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि संसार के हर धर्म में भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। कहते है कि अपने भाई के लिए बचपन से ही चिंतित रहने वाली बहन के प्रति भाई को अपना स्नेह, प्रेम और विशवास दिखाने का यह सबसे अच्छा मौका होता है। इसलिए भाइयो को अपनी बहनों के साथ यह पर्व प्रेम पूर्वक मनाना चाहिए और बहनों की ख़ुशी का ख्याल करते हुए उन्हे अच्छे से अच्छा तोहफा देना चाहिए।

भाई दूज हमारे देश के बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है। ये पर्व दीपावली के तीसरे दिन मानाया जाता है। पांच दिवसीय पर्वों के दिनों में यह पर्व आखरी दिन मानाया जाता है। कई लोग इस पर्व को यम द्वितीया के नाम भी मनाते है। यह दिन भाई बहन के असीम प्रेम को दर्शाता है।

भाई बहन के प्रेम पर आधारित यह त्यौहार देश भर में बहुत श्रद्धा और प्रेम भावना से मानाया जाता है। यह पर्व रक्षा बंधन के जैसा ही देश और दुनिया को भाई बहन के रिश्ते की परम्परा और विशवास से पूर्णता परिचित करवाता है। उत्तर भारत के कईं राज्यों में भाई दूज को लोग टिक्के के नाम से भी जानते है।

पौराणिक कथा – यह पर्व सूर्य भगवान के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना को समर्पित है। यूं तो इस पर्व को लेकर बहुत सी लोक कथाएं प्रचलित है लेकिन सबसे प्रचलित कथा इस प्रकार है। शात्रों के मुताबिक सूर्य देव की पुत्री यमुना अपने भाई से बहुत प्रेम करती थी और उससे अक्सर निवेदन करती थी कि भाई यम उसके घर पर आकर भोजन करे।

लेकिन यम देव अपने कार्य में इतने व्यस्त रहते थे कि वे यमुना की बात को हर बार किसी न किसी तरह से टाल देते थे। एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज जी बिना अपनी बहन को सूचित किए अचानक से उनके घर पहुँच गए।

भाई को अपने द्वार देख कर यमुना जी इतनी खुश हुई कि उन्होंने अपने भाई जका भव्य स्वागत किया और उन्हे व्यंजनों का भोजन पान करवाया। भव्य स्वागत और भोजन पान से यम देव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुना से कोई भी वर मांगने को कहा।

तब यमुना जी ने अपने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज जी इतने प्रसन्न थे कि उन्होंने बहन को ‘तथास्तु’ कहकर आशीर्वाद दे दिया।

इसलिए आज भी यह मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन यमराज जी के प्रकोप का कोई भी भय नहीं रहता।

यमराज के इस वरदान के बाद ही हर बहन भाई दूज के दिन अपने भाई को यमुना जी जैसे टीका करती हुए उसे भव्य भोजन करवाती है ईश्वर से भाई की लम्बी उम्र की कामना करती है। बदले में भाई भी अपनी बहन की आजीवन रक्षा करने का वचन देता है साथ ही कुछ उपहार देकर बहन को खुश करता है।

हमारे हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि संसार के हर धर्म में भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। कहते है कि अपने भाई के लिए बचपन से ही चिंतित रहने वाली बहन के प्रति भाई को अपना स्नेह, प्रेम और विशवास दिखाने का यह सबसे अच्छा मौका होता है। इसलिए भाइयो को अपनी बहनों के साथ यह पर्व प्रेम पूर्वक मनाना चाहिए और बहनों की ख़ुशी का ख्याल करते हुए उन्हे अच्छे से अच्छा तोहफा देना चाहिए।

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