सूखे से मजबूर “किसान संगठन” सरकार को चेतावनी देने पर हुआ मजबूर। रोज़गार के दिनों की संख्या बढ़ाकर 150 दिन करने की भी की मांग।
आपको बता दें कि हमारे देश का किसान पहले से ही कमजोर मानसूनी बारिशों की वजह से करीब 46 फीसदी सूखे का सामना कर रहा है ऐसे में "आईएमडी" द्वारा जारी किए गए आंकड़े देश और किसानों की मुश्किलें और बड़ा सकते है।
हाल ही में ख़बरों की सुर्ख़ियों से पता चला है कि देश के एक बड़े हिस्से में लगातार दूसरे साल सूखा पड़ने की संभावना को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने बड़ी चिंता ज़ाहिर की है। आपको बता दें कि देश के मौसम विभाग “आईएमडी” ने 20 जून को एक चेतावनी ज़ाहिर कर दी थी जिसके अनुसार बताया गया था कि इस साल की बारिशों में लगभग 43 फीसदी की कमी देखने को मिल सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार इस बार मानसून ने बहुत ही धीमी शुरुआत की है। और एक लंबे अरसे के बाद मानसूनी बारिशों में इतनी कमी देखी गयी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में साफ़-साफ़ कहा गया है कि बीते कुछ सालों से मानसूनी बारिशों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इस साल भी मानसून ने देश में बहुत धीमे से शुरुआत की है जिसकी वजह से इस बार भी बारिशों में भारी मात्रा में कमी आने वाली है।
आपको बता दें कि हमारे देश का किसान पहले से ही कमजोर मानसूनी बारिशों की वजह से करीब 46 फीसदी सूखे का सामना कर रहा है ऐसे में “आईएमडी” द्वारा जारी किए गए आंकड़े देश और किसानों की मुश्किलें और बड़ा सकते है।
इसी मामले में “अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति” ने अपने बयान में कहा है कि ‘साफ तौर पर हम एक ऐसी स्थिति देख रहे हैं जो राष्ट्रीय आपदा में बदल सकती है।’ इसलिए हमे इस आने वाली आपदा का मिलकर कोई हल निकलना पड़ेगा।
“एआईकेएससीसी” ने भी अपनी और से जारी की हुई रिपोर्ट में बताया है कि देश के अधिकतर जलाशयों में पानी का स्तर पहले से अधिक घट गया है। आंध्र प्रदेश में पानी के स्तर में सामान्य से 83 फीसदी कमी देखने को मिली है , दूसरी और महाराष्ट्र में पानी सामान्य से लगभग 68 फीसदी और कम तमिलनाडु के जलाशयों में पानी का स्तर सामान्य से से 41 फीसदी कम हो गया है।
“एआईकेएससीसी” के अनुसार भारतवर्ष में पानी की कमी संकट लगातार बढ़ रहा है जिसकी वजह से अधिकतर लोग अपने अपने गांव से पलायन करने को मजबूर गए है। पानी के बँटवारे को लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों में लगातार झगड़े हो रहे हैं, और पशुओं की मौतों में भी वृद्धि हो रही है। ऐसे में लोगों की मुश्किलें और बढ़ने वाली है।
वहीँ अगर आंकड़ों की तुलना बीते साल 2018 से की जाये तो पता चलता है कि बीते साल से इस साल में जून तक खरीफ की बुआई में 9फीसदी की कमी आयी है। तुलना में दलहन फसलों की बुआई सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई है बीते साल से इस साल इन फसलों में की बुआई में 50 फीसदी से भी अधिक की कमी आयी है। जोकि सच में एक चिंता का विषय है।
दूसरी ओर तक़रीबन 41 फीसदी कमी तिलहन फसलों की बुआई में देखी गयी है वहीँ मोटे अनाज की बुआई में 22 फीसदी और 27 फीसदी की कमी पायी गयी है।
बढ़ते हुए संकट को देखते हुए “एआईकेएससीसी” ने सरकार से सूखा घोषित करने में देरी न करने का अनुरोध किया है उन्होंने कहा है कि सरकार को उन सभी जिलों में सूखे की घोषणा करनी चाहिए जहां बुवाई जून महीने में 50% से अधिक प्रभावित हुए हैं। “एआईकेएससीसी” ने कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दी जाने वाली किसानों को राशि समय के साथ साथ पूरी भी दी जानी चाहिए।
इसी मामले में देश के किसान संगठन ने केंद्र सरकार से असिंचित भूमि के लिए सब्सिडी देने पर 10 हजार प्रति एकड़ करने और मनरेगा के तहत रोज़गार के दिनों की संख्या बढ़ाकर 150 दिन करने की भी मांग की है।अब देखना ये होगा की सरकार इनकी मांगो और चेतावनियों पर कितनी जल्दी कोई कदम उठाती है। फैसला जितनी देरी से आया जाएगा मुश्किलें उतनी ही बढ़ती जाएँगी इसलिए हम उम्मीद करते है कि जल्द ही केंद्र की तरफ से कोई नया कदम इस संकट के हल के लिए उठाया जाएगा।