देश पर मंडरा रहा है पानी की कमी का सबसे बड़ा संकट। साल 2030 के आते आते आधी आबादी को नहीं मिल सकता है पीने का पानी। !!!
प्रदूषित पानी की श्रेणी में भारत का 122 देशों की सूची में 120वा स्थान है। देश का 70 % पानी आज पीने के काबिल भी नहीं बचा है।2030 तक देश की तक़रीबन 40 से 50 % की आबादी पीने के पानी से भी वंचित रहने वाली है।
दोस्तों आपने कई बार सुना या पढ़ा होगा कि जल ही जीवन है यानी जल के बिना इस पृथ्वी पर किसी का भी जीवित रहना संभव नहीं है। जल ही जीवन का आधार है। क्या जल के बिना हम जीवन की परिकल्पना कर सकते है ? नहीं !
लेकिन आज के समय में देश और दुनिया में लगातार पानी का अभाव होता ही जा रहा है, जिससे जीवन ख़तरों से धंस रहा है। जिससे हर रोज़ नए नए रोगों का जन्म होता जा रहा है।
भारत में लगातार पानी की कमी से गांव गांव से लोग पलायन करने को मजबूर रहे है और हर वर्ष इन आंकड़ों में वृद्धि हो रही है। देश में मानसून ने भी इस बार बहुत धीमी शुरुआत की है सोये हुए कछुए की गति से आ रहा मानसून सबसे बड़ा ख़तरा किसानों के लिए ला रहा है।
“द-जनमत” के सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पता है कि चला कि मौसम विभाग के आंकड़ों ने इस बार किसानों से आम जनता तक सभी को निराश किया है। आपको बात दें कि मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में विभाग के लगभग 84 प्रतिशत उप संभागों में बेहद कम बारिश दर्ज की गई है।
दूसरी ओर यदि केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता कि देश के 91 बड़े जलाशयों में सामान्य जल से लगभग 80 प्रतिशत पानी की देखी गयी है और लगभग 11 जलाशयों पानी का नाम भी देखने को नही है। बढ़ती हुई गर्मी में ये आंकड़े बड़े चिंता जनक है।
आपको बता दें भारत में मानसून का मौसम एक जून से कदम रखता है और लगभग 30 सितंबर तक अपने प्रभाव में रहता है। लेकिन इस बार 25 जून तक भी मानसून अपने रंग में नहीं दिखा जिसमे औसतन 39 प्रतिशत कमी देखी गयी। मौसम विभाग ने इस बार 36 उपसंभागों में तक़रीबन 25 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की है। और ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है।
आज जिस गति से भारत की आबादी रही है उससे दुगनी गति से देश में जल संकट की समस्या बढ़ रही है। दुनिया की 16 % आबादी सिर्फ भारत में ही है। जहां से पीने का साफ़ पानी तेज़ी से गायब हो रहा है। शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पानी की मार को हर कोई झेल रहा।
आपको बता दें कि द०भारत का चेन्नई प्रदेश पिछले तीन सालों से सूखे को झेल रहा है। यहाँ अस्पतालों तक में पीने का साफ़ नहीं है। बात बिहार की करें तो वहां पर आज की तारीख में पीने का पानी सिर्फ 5 % बचा हुआ है नतीजा नयी नयी बिमारियों का जन्म।
देश की नदियों के पानी से तालाब और झरनो तक का पानी आज पीने के योग्य भी नहीं बचा है ऐसे में सूखे की मार खतरा लगातार किसानों की जान का दुश्मन बनी हुई है।
आज के समय में भारत की आधी से ज़्यादा आबादी पानी की समस्याओं का शिकार हो रही है बताया जा रहा है कि 2030 तक देश की तक़रीबन 40 से 50 % की आबादी पीने के पानी से भी वंचित रहने वाली है।
आपको बता दें की प्रदूषित पानी की श्रेणी में भारत का 122 देशों की सूची में 120वा स्थान है। देश का 70 % पानी आज पीने के काबिल भी नहीं बचा है। एक शोध के मुताबिक आने वाले साल 2020 तक के आते आते देश के लगभग 20 से 25 बड़े शहर पानी की पहुंच से दूर हो जायेंगे।
आज पानी की कमी से ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन के मामले लगातार सामने आ रहें है,मवेशी मर रहें है ,किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहा है ,फसलें लगातार सड़ रही है जिसका आंकड़ा प्रत्येक वर्ष बढ़ता ही जाता है। जानकारी के अनुसार भारत में हर रोज़ 500 से अधिक लोग सिर्फ पानी की वजह से मरते है। एक साल में लगभग 2 लाख से ज़्यादा लोगों की जाने ज़हरीले पानी की बलि चढ़ जाती है।
यदि ये आंकड़ा इसी तरह बढ़ता रहा तो एक दिन सरकार देश के लोगों को साफ़ पानी ना देने पर मजबूर हो जाएगी क्यों सरकार के पास भी सिर्फ दूषित पानी ही रह जाएगा।
ऐसे में देखना होगा की इस संकट से देश को को अब किस तरह से निकाला जाता है। इस बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए हमारी भी आपसे अपील है कि पानी को कही भी बेवजह जाया न करें,और ना ही किसी प्रकार की गन्दगी को नदियों में फेंके , यदि कहीं भी खुला हुआ नल आदि देखें तो उसे तुरंत बंद कर दें शायद आपका यही नेक काम कल को आपकी प्यास पूरी करे।