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मनरेगा की असली रूपरेखा

जो हर वर्ष ग्रामीण परिवारों के उन वयस्क को रोज़गार दिलवाता है जो हर रोज मात्र 220 रुपये की न्यूनतम मजदूरी करने को तैयार है।

2 अक्तूबर 2005 को विधान द्वारा चलाई गई योजना मनरेगा देश में रोज़गार गारंटी योजना है जो हर वर्ष ग्रामीण परिवारों के उन वयस्क को रोज़गार दिलवाता है जो हर रोज मात्र 220 रुपये की न्यूनतम मजदूरी करने को तैयार है।

योजना-

इस योजना का पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना है।यह केंद्र की सरकार द्वारा चलाई गई है।जिसका मुख्य उद्देश्य देश में बसे गाँव के लोगो को रोज़गार देना और गाँव को शहर सी सुविधाओं देना जिस से लोगो का शहरों की तरफ पलायन रुक जाए।

उद्देश्य-

१. इस योजना का मुख्य उद्देश्य है देश में रोज़गार के स्त्रतो का विकास।

२. ज़मीनी प्रक्रियों का अधिक मजबूत करना।

३. अकाल ,ज़मीन का टूटना, वनों की कटाई जैसी विपदाओं पर नियंत्रण रखना।

४. जल,भूमि,बाढ़ नियंत्रण, लघु सिंचाई आदि में निमित्त रूप से ध्यान में रहना।

यह योजना अपनी शुरूआती दौर से ही आलोचनाओं में रही है।सूत्रों के मुताबिक़ सार्वजनिक योजनाओं (जैसे भूमि-विकास ,सिंचाईं प्रणाली,सड़क निर्माण आदि) का अंतिम उत्पाद सुरक्षित नही है।जिसपर अमीर वर्ग का कब्ज़ा है।

वहीँ दूसरी ओर एसडीएम लालगंज की रिपोर्ट में गजरिया गाँव में मनरेगा द्वारा 83.09 लाख का घोटाला का मामला सामने आया है।

खबरों के रुख से बात करे तो 2018 में ही केंद्र सरकार के घपलों की परतें खुलने लगी थी।मनरेगा सोशल ऑडिट के अनुसार नैनीडाँडा के भौन पंचायत में विकास के लिए 125 सीमेंट बैग के साथ सरिया,रेत आदि दर्शाया गया लेकिन कही उपयोग नही हुआ। रिपोर्ट के अनुसार कई कागज़ी कार्यो में कई हाज़रो का घोटाला हुआ है।

जुलाई 2018 की एक खबर से सामने आया कि एक ओर मजदूरों को रोज़गार देकर दूसरी ओर  मजदूरों के रोज़गार का नाश किया जा रहा। बिचौलियों और अधिकारियों की मदद से सारा काम मशीनों से लिया जा रहा है।जिस से मजदूरों का हक़ मर रहा है।

वही नरेगा की वेबसाइट पर नज़र डाले तो पता चलता है कि सरकार के पास पूरे साल के लिए खर्च होने वाली राशि से 25,000करोड़ रुपये से अधिक की कमी दिख  रही है,जिससे निम्न वर्ग के पास काम की कमी होना लाज़मी है। यह योजना निम्न वर्ग के लोगो के लिए कितनी सफल साबित हुई है बताना मुश्किल है।

हाल ही में देश के प्रधान-मंत्री ने अपने भाषण में मनरेगा योजना को बेकार बताते हुए कहा कि मनरेगा शर्म की बात है।  

यह योजना कितनी लाभदायक रही या इस योजना से आम लोगो को कितना मुनाफा हुआ है कह नहीं सकते लेकिन देश में अभी चुनाव का समय चल रहा है जिसका फायदा उठाते हुए कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने स्वयं को बचाते हुए योजना के अंतर्गत ग़रीबों को 72,000 देने का वादा ज़रूर  कर दिया है।

चुनाव के इस दौर में अब इस योजना से आम जनता को कितना फायदा होगा,किसके खाते में कितने रूपये की धनराशि आएगी  ये तो समय ही बताएगा।

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