JANMATNationOpinion ZonePolitcal Room

CAB के विरोध में उप्र के कई शहरों में हिंसा, छह की मौत: राजधानी दिल्ली में भी हुआ हिंसक प्रदर्शन

संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित NRC -एनआरसी के खिलाफ शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के साथ झड़प में कम से कम छह लोगों की मौत हो गयी वहीं राष्ट्रीय राजधानी में भी हजारों लोगों ने रैलियां निकालीं तथा शाम होते होते यहां भी हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये जिसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज किया ।

कई राज्यों में CAA / सीएए और NRC -एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं जिसके बाद सरकार ने इस तरह का संकेत दिया है कि वह इस संबंध में सुझावों पर विचार करने को तैयार है।

दिल्ली के दरियागंज इलाके में प्रदर्शनकारियों ने एक कार को आग के हवाले कर दिया तथा सुरक्षा बलों पर पथराव किया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भीड़ पर पानी की बौछार की और लाठी चार्ज किया।

दिल्ली, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों और कर्नाटक-केरल के सीमावर्ती इलाकों से छिटपुट हिंसा की खबरें हैं। उत्तर प्रदेश के कई शहरों, कर्नाटक के कुछ शहरों एवं राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट तथा एसएमएस सेवाओं पर रोक लगा दी गयी है। हालांकि दिल्ली में कुछ लोगों ने पुलिस को गुलाब का फूल भेंट कर शांति का संदेश देने का प्रयास किया।

संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं। कर्नाटक के मंगलुरू में गुरूवार को पुलिस गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गयी वहीं लखनऊ में कल एक व्यक्ति हिंसा में मारा गया। जिसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बल चौकन्ने हैं।

उत्तर प्रदेश में दो लोग मारे गये, वहीं मेरठ, संभल और फिरोजाबाद में भी एक-एक व्यक्ति की मौत हो गयी। लेकिन अधिकारियों ने कानपुर में भी एक व्यक्ति के मारे जाने की जानकारी है। पुलिस के अनुसार संघर्ष की घटनाओं में 50 से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गये।

प्रदर्शनों के बीच सत्तारूढ़ भाजपा के कुछ सहयोगी दलों ने भी चिंता जाहिर की हैं। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि उनके राज्य में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा, वहीं भाजपा की अन्य सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि प्रदर्शन दिखाते हैं कि केंद्र सरकार समाज के एक बड़े वर्ग में संशय को दूर करने में विफल रही है।

महाराष्ट्र में विरोध मार्च निकालते हुए एआईएमआईएम ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार सीएए और एनआरसी के माध्यम से चाहती है कि भारत में केवल हिंदू रह जाएं।

कांग्रेस ने मोदी सरकार को देश में हो रहे व्यापक प्रदर्शनों के लिए जिम्मेदार ठहराया और नागरिकता संशोधन कानून को वापस लिये जाने की मांग की। मुख्य विपक्षी दल ने प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत की भी वकालत की।

हालांकि एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार विरोध कर रहे लोगों के सुझावों पर विचार करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि नये कानून को लेकर लोगों के भ्रम दूर करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में जगह-जगह बैरिकेड लगाये गये लेकिन निषेधाज्ञा लागू होने और तमाम मेट्रो स्टेशनों के बंद होने के बावजूद जुमे की नमाज के बाद हजारों लोगों को जामा मस्जिद के पास एकत्रित होने से रोका नहीं जा सका। शाम होते-होते इंडिया गेट तथा सेंट्रल पार्क में बड़ी संख्या में तिरंगा और संविधान बचाओ लिखी तख्तियां लिये लोगों ने नारेबाजी की। उन्होंने सरकार पर देश को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा भी इंडिया गेट पर प्रदर्शन में शामिल हुईं।

भीमआर्मी के प्रमुख चंद्रशेखरआजाद ने अनुमति नहीं होने के बावजूद ऐसे ही एक बड़े प्रदर्शन की अगुवाई की। पुलिस आजाद को हिरासत में नहीं ले सकी।

पुलिस ने इलाके में नजर रखने के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल किया। पुरानी दिल्ली के दिल्ली गेट और जामामस्जिद समेत कई मेट्रो स्टेशन बंद कर दिये गये थे।

उत्तर पूर्व जिले में पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला जहां रविवार को हिंसा भड़की थी।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिष्ठा और कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं को नये कानून के विरोध में गृह मंत्री अमित शाह के आवास के पास से हिरासत में लिया गया।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास हजारों लोगों को ‘नो सीएए, नो एनआरसी’ लिखी टोपियां पहने हुए देखा गया।

उत्तर प्रदेश में कई जगहों से हिंसक प्रदर्शनों की खबरें हैं। जुमे की नमाज के बाद गोरखपुर, संभल, भदोही, बहराइच, फर्रुखाबाद, बुलंदशहर तथा फिरोजाबाद समेत कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आईं। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, वाहनों में आग लगा दी और उसके बाद पुलिस ने भी कार्रवाई की।

अलीगढ़, मऊ, आजमगढ़, लखनऊ, कानपुर, बरेली, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, संभल और इलाहाबाद समेत एक दर्जन से अधिक जिलों में इंटरनेट सेवा अस्थाई रूप से रोक दी गयी है।

गुजरात में वड़ोदरा शहर के हाथीखाना इलाके में एक मस्जिद के बाहर एक भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। उन्होंने नमाज के लिए आये लोगों के वीडियो बनाये जाने का विरोध किया।

अधिकारियों ने कहा कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर एहतियातन कदम उठाये जा रहे हैं। तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पथराव में एक वरिष्ठ अधिकारी घायल हो गया।

महाराष्ट्र में भीड़ ने बीड, नांदेड़ और परभनी जिलों में राज्य परिवहन की बसों पर पथराव किया।

केरल में पुलिस पड़ोसी कर्नाटक के मंगलुरू में दो लोगों की मौत के मद्देनजर उत्तरी जिलों में निगरानी बढ़ा दी। केरल के अनेक स्थानों पर कल आधी रात के बाद से विरोध प्रदर्शन और ट्रेनों तथा बसों को रोके जाने की घटनाएं सामने आईं।

प्रदर्शनकारियों ने कोझिकोड में कर्नाटक राज्य परिवहन बसों को रोक दिया। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने मंगलुरू की बस सेवा स्थगित कर दी।

कोझिकोड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और टायर जलाए। एक समूह ने गृह मंत्री अमित शाह का पुतला फूंका ।

केरल से तलाप्पडी सीमा के रास्ते मंगलुरु आने वाले लोगों को पुलिस की सख्त जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। शहर में प्रवेश के इच्छुक लोगों को सिर्फ आपात मामलों में पहचान पत्र दिखाने पर ही प्रवेश मिल रहा है।

सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को मंगलुरु में हुई हिंसा के बाद लोगों को सलाह दी गई है कि वे अपने घरों से निकलने से बचें।

केरल से ट्रेन से आए कम से कम 50 पुरुषों और महिलाओं को बिना पहचान पत्र मंगलुरु में प्रवेश करने का प्रयास करने पर हिरासत में लिया गया है।

सरकारी वेनलॉक अस्पताल में प्रवेश का प्रयास करने वाले मीडियाकर्मियों को भी हिरासत में लिया गया है। अस्पताल में गुरुवार को हुई गोलीबारी में मारे गए लोगों का पोस्टमॉर्टम चल रहा था।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत के बाद शुक्रवार को लोगों से अपील की कि वे अफवाह फैलाने वाले निहित स्वार्थी तत्वों से बच कर रहें।

राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार रात मंगलुरु सिटी और दक्षिण कन्नड़ जिले क्षेत्रों में अगले 48 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद करने का आदेश जारी किया था।

उधर, असम में मोबाइल इंटरनेट सेवा अदालत के आदेश के बाद बहाल कर दी गयी।

मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि वह नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन करने वाले नेताओं से बात करेंगे और वह राज्य के मूल लोगों के अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं ।

Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close