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देश में भोजन से गायब होता प्याज आखिर किसके लिए | सोचने पर विवश करती स्थिति  

घाटे में रह कर कर्जे में डूब कर, तीखी गर्मी में सारे दिन खेत में खड़े हो कर यह फसल उगाता है, इतने माल का सरकारी गौदाम में सड़ जाना -- मानवता के प्रति अपराध है -

आम भारतीय के भोजन का विशेष जायकेदार अंग प्याज इन दिनों कम से कम सत्तर और उससे आगे १०० रूपये किलो तक बिक रहा है, महंगाई का यह हाल बीते एक महीने से ज्यादा है। 
आपको जान कर उन लोगों से नफरत हो जायेगी जिनके कारण यह महंगाई है, इसी साल अप्रैल में केन्द्र सरकार ने संकट की घडी के लिए डेढ़ लाख टन प्याज का सुरक्षित भण्डार यानी बफर स्टॉक बनाया था .

सोचने की बात यह है कि जब जरूरत के समय गोदाम खोल कर देखा गया तो  कोई ५७ हज़ार टन प्याज बुरी तरह सड़ गया था, शेष प्याज की हालत भी बेहद खराब थी .

जान लें प्याज उगाने वाला किसान घाटे में रह कर कर्जे में डूब कर, तीखी गर्मी में सारे दिन खेत में खड़े हो कर यह फसल उगाता है, इतने माल का सरकारी गौदाम में सड़ जाना — मानवता के प्रति अपराध है — और इसके जिम्मेदार लोगों को सरकार से वेतन पाने का कोई हक नहीं अब 6090 टन प्याज मंगवाने के लिए इजिप्ट से अनुरोध किया गया है और वहाँ से दिसंबर के मध्य में प्याज आ आएगा- जाहिर है कि पोर्ट से उतरने और बाज़ार जाने में दिसंबर पार हो जाएगा, उसके बाद इजिप्ट का बड़े आकार का प्याज बाजार में होगा —

एक तो इतने दिन महंगा प्याज बिकेगा दूसरा- रबी की फसल (जिसकी बुवाई अक्टूबर में हुई) – उसका माल भी बाज़ार में आने लगेगा- गौर करें  इस तरह भारत के किसान को अपने प्याज का दाम मिलेगा नहीं क्योंकि उस समय मिस्र का सस्ता प्याज पहले से ही बाजार में होगा — किसान फिर हताश होगा क्योंकि उसकी मेहनत मिटटी के दाम बिकेगी .

जानिए अभी कहां कितने रुपए किलो मिल रहा है प्याज?

  • झारखंड की राजधानी रांची में 80 रुपए किलो
  • उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 70 रुपए किलो
  • कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में 85 रुपए किलो
  • पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 100 रुपए किलो
  • मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 70 से 80 रुपए किलो
  • राजस्थान की राजधानी जयपुर में 70 रुपए किलो
  • ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 80 से 85 रुपए किलो
  • गुजरात के अहमदाबाद में 100 रुपए किलो
  • आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 75 रुपए किलो
  • बिहार की राजधानी पटना में 70 रुपए किलो
  • तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 80 रुपए किलो
  • दिल्ली में तो कहीं कहीं 100 रूपये किलो पार है 

स्पष्ट  है कि बफर स्टॉक का सड़ना, विदेश से देर से प्याज मंगवाना और भारतीय  किसान की फसल की आवक के समय बाजार में आयातित माल होना—-अपने आप में एक सुनियोजित प्रक्रिया है  यह सब एक सोची समझी साजिश है जिसमें कई राजनीतिक कालाबाजार और माफिया शामिल हैं – हर कदम पर पैसा बनाया जा रहा है — महंगाई से परेशांन जनता और माकूल दाम न मिलने से हताश किसान कि किसी को परवाह नहीं। तब फिर किसान हमेशा की भांति सड़क पर छोड़ कर जायेंगे। जब लागत मूल्य ही नहीं मिलेगा तो फिर क्या करेगा।

यह सरकार चाँद पर जाने की बात करती है और देश को पालने वाले किसान -धरती के चाँद की कोई सुध ही नहीं। पांच सितारा होटलों से किसान की दशा और दिशा का निर्धारण करने वाली निरंकुश सरकार जिस प्रकार से किसानों के हितों के साथ मज़ाक कर रही है यह सबके समक्ष है।

आप को जान के आस्चर्य होगा कि सरकार ने कभी भी किसानों के उत्पाद के भंडारण के लिए ठोस नीति नहीं बनायीं है नतीजा आलू टमाटर सेव जैसे नगदी फ़सल आज उपेक्षा के शिकार है और मंत्री जी पानी का परीक्षण करने में लगें है और बाकी लोग प्रांतों में सत्ता प्राप्ति के एकमात्र उद्देश्य से जनता के बीच है.

धन्य हो भारत धन्य हो लोकतंत्र
गिरिजा शंकर सिंह मुख्य महासचिव जनता मोर्चा
बातचीत पर आधारित लेख

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Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

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