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उज्वला योजना से कितनी महिलाओं को लाभ मिला है बताना कठिन है

हाल ही में भाजपा प्रत्यार्शी हेमा मालिनी की एक तस्वीर ने उज्वला योजना की सफलता को देश भर में दिखा दिया जिसमें वो एक ग्रामीण महिला के साथ है जो चूल्हा जलाने के लिए सर पर लकड़िओं का बड़ा सा गठ्ठा ले जा रही है।

1 मई 2016 को उत्तरप्रदेश में से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने द्वारा देश भर में गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना की शुरुआत की। योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवार की महिलाओं को मुफ्त में एलपीजी के कनेक्शन बांटे गए।

योजना का मुख्य उद्देश्य-
1.योजना का मुख्य उद्देश्य देश भर की महिलाओं को चूल्हे व लकड़ी के ईंधन से मुक्ति दिलाना।
2. शुद्ध ईंधन को बढ़ावा देते हुए देश में बढ़ते प्रदूषण को कम करना।
3.खाना पकाते समय धुंए द्वारा होने वाली समस्या से छुटकारा ।
4.चूल्हे के इस्तेमाल से महिलाओं एवं छोटे बच्चों होने वाली बीमारियों में गिरावट लाना।
इस योजना को सफल बनाने के लिए कुल 8000 करोड़ का बजट बनाया गया।

योजना के तहत नमो सरकार ने बीते वर्ष 2016-17 में 1.5 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों की महिलाओं को निशुल्क गैस कनेक्शन बांटे। अपने भाषण में  प्रधान मंत्री ने कहा कि इस योजना से देश भर में महिलाओं को रसोई घर में आ रही खाना पकाने की दिक्कत से छुटकारा मिला है साथ ही साथ उनकी स्वस्थ्य सम्बन्धी परेशानियों में भी कमी आयी है।

वही इस मामले में आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते है।
हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक देश के चार बड़े राज्य बिहार,मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अभी भी खाना पकाने के लिए चूल्हे और सूखी लकड़ी का प्रयोग किया जा रहा है।
रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर कंम्पैसनेट इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट से पता चलता है कि चारों बड़े राज्यों में लगभग 85% उज्वला लाभार्थी महिलाएं सिर्फ पैसों की कमी की वजह से आज भी खाना पकाने के लिए चूल्हे-लकड़ी का प्रयोग करने पर मजबूर है। जिससे उनके साथ साथ घर के बाकी सदस्यों पर भी स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा बढ़ रहा है। आपको बता दें कि चूल्हे के धुएँ से फेफड़ों की बीमारी के साथ सांस की बीमारियाँ अधिक होती है। जो कई बार मृत्यु का कारण भी बन जाती है।

एक अध्ययन से पता चलता है कि देश के इन बड़े राज्यों में 76% लोगो के पास तो एलपीजी कनेक्शन ही नही है।
वही सूत्रों के मुताबिक ग्रामीण लोगो का कहना है कि 700 से 800 रुपये का सिलिंडर हर माह उनके लिए भरवाना इतना आसान नही है।

हुलासाखेड़ा गाँव की ग्रामीण का कहना है कि फार्म भरने के बाद भी उन्हे गैस कांनेक्शन नही दिया गया जबकि उनकी कागज़ी कार्यवाही पूरी थी।

हाल ही में भाजपा प्रत्यार्शी हेमा मालिनी की एक तस्वीर ने उज्वला योजना की सफलता को देश भर में दिखा दिया जिसमें वो  एक ग्रामीण महिला के साथ है जो चूल्हा जलाने के लिए सर पर लकड़िओं का बड़ा सा गठ्ठा ले जा रही है।

ऐसे में इस योजना की सफलता के बारे में आप लोग बेहतर अंदाज़ा लगा सकते है। फिर भी योजना से कितनी महिलाओं को लाभ मिला है बताना कठिन है लेकिन देश में महिलाओं की यह दशा सच में चिंता का विषय लगातार बनती ही  जा रही है।

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