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हर्ट अटैक:जानें क्यों होता है हर्ट अटैक? क्या है इससे बचने का सरल उपचार।

पेट की अम्लता लगातार बढ़ने से रक्त मे आती है और हमारा खून में रक्त अम्लता (blood acidity) होने लगती है। जिसकी वजह से अम्लीय रक्त (blood) दिल की नलियों से पूरी तरह से निकल नहीं पाता और दिल की नलियों मे रुकावट ( blockage) रहने लगती है। इसी रुकावट की वजह से व्यक्ति दिल के दौरे जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। अपनी पुस्तक में वागबट जी लिखते है कि इसके बिना दिल का दौरा नहीं पड़ सकता।

भारत जिसका इतिहास सदियों पुराना है. ना जाने कितने ही ऋषियों यहाँ की जन्म लिया और समय समय पर दुनिया ज्ञान का भंडार दिया. कहा जाता है कि लगभग 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे जिनका नाम था महाऋषि वागवट जी था। उनके द्वारा लिखी एक पुस्तक अष्टांग हृदयम!! (Astang hrudayam) में उन्होंने बीमारियों को ठीक करने के लिए लगभग 7000 से अधिक सूत्र लिखे थे !

वागवट जी लिखते है कि जब कभी भी हृदय को घात हो तो समझ जाएँ कि दिल की नलियों मे blockage यानी रुकावट होना शुरू हो रही है। आसान भाषा में कहें तो इसका मतलब है कि हमारे खून में acidity यानी अम्लता बढ़ी हुई है !

आपको बता दें कि अम्लता दो तरह की होती है ! एक पेट कि अम्लता और दूसरी रक्त की अम्लता। ऋषि वागवट जी जी लिखते है कि पेट मे अम्लता जब बढ़ती है तो पेट मे लगातार जलन सी होने लगती है . साथ ही खट्टी खट्टी डकार और मुंह से पानी निकालने लगता है.अगर ये अम्लता (acidity)और बढ़ जाये ! तो शरीर hyperacidity की ओर बढ़ने लगता है .

पेट की अम्लता लगातार बढ़ने से रक्त मे आती है और हमारा खून में रक्त अम्लता (blood acidity) होने लगती है। जिसकी वजह से अम्लीय रक्त (blood) दिल की नलियों से पूरी तरह से निकल नहीं पाता और दिल की नलियों मे रुकावट ( blockage) रहने लगती है। इसी रुकावट की वजह से व्यक्ति दिल के दौरे जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। अपनी पुस्तक में वागबट जी लिखते है कि इसके बिना दिल का दौरा नहीं पड़ सकता .

अपनी पुस्तक वागवट जी इसका उपचार बताते हुए कहते है कि जब रक्त (blood) मे अम्लता (acidity) बढ़ जाए तो हमें ऐसी चीजों का उपयोग करना चाहिए जो क्षारीय यानी ( alkaline ) गुणों से भरपूर है।

पुस्तक में वे अम्ल और क्षार के गुणों को समझते हुए बताते है कि अम्ल और क्षार को मिलाने स्तिथि सामान्य हो जाती है (acid and alkaline=Neutral) वागबट जी लिखते है कि बस इसी तरह रक्त में बढ़ी हुई अम्लता को ठीक करने के लिए रोगी को क्षारीय(alkaline) चीजें नियमित मात्रा में खानी चाहिए। जिससे रक्त की बढ़ती अम्लता (acidity) सामान्य हो जाए। और heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना बने ही नहीं।

अब सवाल आता है कि दिल के दौरे से बचने के लिए ऐसी कोन सी क्षारीय चीज़े खाने चाहिए ? तो आपको बता दें कि हमारी दिनचर्या में ही ऐसी बहुत सी क्षारीय चीज़ें है जिनके नियमित रूप से सेवन करने से कभी भी ह्रदय रोग हमारे नज़दीक नहीं आ पाते।

आपको बता दें कि यदि ह्रदय रोगी अपने आहार में लौकी (bottle gourd)का सेवन नियमित रूप से करने लगें तो वे अपने परेशानी से बहुत हद्द तक निजात पा सकते है क्योकिं लौकी से अधिक कोई भी क्षारीय चीज नहीं है। इसलिए यदि आप रोज लौकी का रस निकाल-निकाल कर पिए या कच्ची लौकी खाएं तो बहुत जल्द आप अपनी बीमारी से राहत पा सकते है।

ऋषि वागवतट जी भी अपनी लिखी पुस्तक में कहते है कि रक्त की अम्लता कम करने की सबसे अधिक शक्ति केवल लौकी मे ही होती है।

इसलिए आप लौकी के रस का हर रोज़ 7 से 10 पत्ते के तुलसी के पत्ते मिलाकर 200 से 300 मिलीग्राम सुबह खाली पेट बाथरूम जाने के बाद पीयें या नाश्ते के आधे घंटे के बाद लें तो आपके रक्त अधिक क्षारीय बन सकता है। इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है। पुदीना भी बहुत क्षारीय होता है।

लेकिन ध्यान रहे कि इस रास में भूल कर भी आयोडीन युक्त नमक न डाले क्योकिं आओडीन नमक भरपूर अम्लीय होता है। इसलिए ह्रदय रोगी ज़रूर वागवट जी की इस चमत्कारी औषधि लौकी व् उसके जूस का सेवन जरूर करे।

महर्षि वागवट जी के इस आयुर्वेदिक नुस्खे को 2 से 3 महीने लगातार उपयोग में लाने से आपको कभी किसी भी आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी और आपके लाखों रुपए भी बच जाएँगे।

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