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देश के लोगों के आर्थिक समस्याओं को सरकार कैसे निपटाने की योजना तैयार कर रही है – चिदम्बरम ने उठाये महत्वपूर्ण सवाल

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 6.3 करोड़ एमएसएमई में 11 करोड़ लोग काम करते हैं। उनमें से ज्यादातर अप्रैल माह में एक दिन भी काम नहीं कर पाए, क्योंकि कोरोना महामारी को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाऊन लागू है। आय के बिना ये लोग अपने और अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे?

आज 29 अप्रैल है। कल इस माह का आखिरी कार्य दिवस है। भारत के 12 करोड़ से ज्यादा लोग सांस रोककर इंतजार कर रहे हैं और वो केवल इतना जानना चाहते हैं कि क्या उन्हें अप्रैल माह के लिए उनका वेतन/भत्ते मिलेगा। स्पष्ट रूप से भारत के मेहनतकश नागरिकों व उनके परिवार तनाव व बढ़ती अनिश्चितता की स्थिति में है।
एमएसएमई क्षेत्र

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 6.3 करोड़ एमएसएमई में 11 करोड़ लोग काम करते हैं। उनमें से ज्यादातर अप्रैल माह में एक दिन भी काम नहीं कर पाए, क्योंकि कोरोना महामारी को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाऊन लागू है। आय के बिना ये लोग अपने और अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे?

इन 11 करोड़ लोगों की रोजी रोटी खतरे में है क्योंकि ज्यादातर नियोक्ता (एम्प्लॉयर्स) उनके वेतन/भत्ते देने की स्थिति में नहीं हैं। इस माह व्यवसायों (businesses) की कोई सेल नहीं हुई और उनके विक्रेताओं के पैसे भी अटक गए हैं, जिससे विक्रेता भी निराश हैं। अधिकांश प्राईवेट सेक्टर को मौद्रिक लिक्विडिटी के मामले में बहुत बड़ा झटका लगा है। इसके अलावा, ये व्यवसाय अपने भविष्य को लेकर भी अनिश्चित हैं। उन्हें नहीं मालूम कि वो अपना व्यवसाय कैसे चला पाएंगे या फिर क्या उन्हें अपना व्यवसाय हमेशा के लिए बंद करना पड़ेगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को बचाने के लिए साहसी निर्णय लेने का समय आ गया है। यदि व्यवसायों को उम्मीद नहीं दिखेगी, तो उन्हें बंद होने पर मजबूर होना पड़ेगा।

इन 11 करोड़ भारतीयों को बचाने तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को उम्मीद की किरण देने के लिए भारत सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना होगा। चौंकाने वाली बात है कि कोविड-19 की महामारी फैलने के बाद से अब तक सरकार द्वारा व्यवसायों के लिए न तो किसी फाईनेंशल पैकेज की घोषणा की गई और न ही किसी सहायता की।हो सकता है की सरकार के पास समय की कमी न हो, लेकिन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इंतजार नहीं कर सकते। वे अभी जानना चाहते हैं कि क्या उन्हें अपना व्यवसाय जारी रखने के लिए कोई सहयोग दिया जाएगा ताकि व्यवसायों पर निर्भर लोगों के वेतन/भत्ते का भुगतान हो सके।

कांग्रेस पार्टी ने काफी सोच विचार करने के बाद 6.3 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को मदद करने के लिए विशिष्ट एवं ठोस उपायों का प्रस्ताव दिया है। हम प्रधानमंत्री जी से निवेदन करते हैं कि वो उस प्रस्ताव पर विचार करते हुए दो विशिष्ट सुझावों के क्रियान्वयन की तत्काल घोषणा करें:

  • अप्रैल माह के लिए वेतन व भत्ते देने में मदद के लिए एमएसएमई क्षेत्र को 1 लाख करोड़ रु. के वेतन सुरक्षा पैकेज (Wage Protection assistance) की घोषणा की जाए;
  • एमएसएमई क्षेत्र के लिए 1 लाख करोड़ रु. के कर्ज गारंटी कोष की स्थापना की जाए, जिससे उन्हें बैंक से ऋण लेने में मदद मिले।
  • गैर एमएसएमई क्षेत्र इसके अलावा, हम सरकार से यह भी आग्रह करते हैं कि अमेरिका की तर्ज पर गैर एमएसएमई क्षेत्र के लिए पेचेक प्रोटेक्शन प्रोग्राम (Paycheque Protection Program) की घोषणा की जाए। यह कानून नहीं, बल्कि एक फाईनेंशल असिस्टैंस पैकेज है।
  • इंकम टैक्स विभाग के अनुसार भारत में लगभग 1 करोड़ लोगों का वेतन 3,50,000 रु. प्रतिवर्ष या 30,000 रु. प्रतिमाह से कम है। 15,000 रु. प्रति माह औसत वेतन मानकर इन 1 करोड़ लोगों के लिए अप्रैल माह के लिए इस सहायता की कुल लागत 15,000 करोड़ रु. आएगी। इन 1 करोड़ लोगों, जिन्होंने इससे पहले तक टैक्स रिटर्न भरे हैं और टैक्स दिया है, उनकी आजीविका बचाने के लिए यह कोई बड़ी राशि नहीं है। इन 1 करोड़ कर्मचारियों के वेतन सुरक्षित करने के लिए सरकार को तत्काल एक पेचेक प्रोटेक्शन प्रोग्राम की घोषणा करनी चाहिए।
  • कांग्रेस पार्टी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआई) में अगले तीन माह तक अल्पकालिक रूप से एम्प्लॉई के कॉन्ट्रिब्यूशन में छूट देने का सुझाव भी देती है। इससे एम्प्लॉयर्स की वेतन नामावली लागत कम करने और कार्यबल को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • समय बहुत महत्वपूर्ण है। इस संकटपूर्ण समय में सरकार की ओर से सहायता के स्पष्ट संकेत के अभाव में प्राईवेट सेक्टर को बड़ी संख्या में नौकरियों की कटौती करने को मजबूर होना पड़ेगा, जिससे करोड़ों लोगों की रोजी रोटी खत्म हो जाएगी। हम प्रधानमंत्री जी से आग्रह करते हैं कि वो तत्काल हस्तक्षेप कर एक राहत पैकेज की घोषणा करें, जिससे अगले कुछ दिनों में बकाया होने वाले वेतन/भत्ते तथा पेचेक की सुरक्षा हो सके।
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Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

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