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क्या होता है हिंदी दिवस ? जानिए हिंदी दिवस के बारे में कुछ रोचक बातें

भारतीय संविधान के अनुसार भाग 17 के अध्‍याय की धारा 343 (1) में हिन्‍दी को राजभाषा बनाए जाने के संदर्भ में कुछ इस तरह का उल्लेख सामने आता है 'संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा.'

हिंदी है अभिमान देश का हिंदी है हम सबकी शान,,
हिंदी से हम भारतवासी हिंदी से अपनी पहचान।

हिंदी हमारे भारत देश की राष्ट्रय भाषा है लेकिन ये भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है। हिंदी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सबसे सरल भाषा में से एक मानी गयी है।

दुनिया की लगभग भाषाओं का इतिहास रखने वाली संस्था एथ्नोलॉग (Ethnologue) की जानकारी के मुताबिक भाषा हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। हिंदी भाषा एक भारतीय होने की सरल पहचान करवाती है क्योकि हमारी भाषा ही हमे दुनिया भर में सम्मान व् पहचान दिलाती है।

आपको बता दें कि हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। इतिहास के पन्ने बताते है कि 14 सितंबर साल 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।

बाद में उस निर्णय के चलते हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर साल 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। भारत के साथ साथ पूरी दुनिया में हिंदी भाषा के दीवानों के लिए यह दिन किसी पर्व से कम नहीं होता है।

14 सितम्बर और हिंदी दिवस – भारत एक ऐसा देश है जहाँ कदम कदम पर एक नयी भाषा सुनने को मिलती है। यदि इसे विभिन्‍न भाषाओं वाला देश कहें तो गलत नहीं होगा है। यहां हर राज्‍य की अपनी अलग सांस्‍कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान है जितनी मिठास इन राज्यों के कला संस्कृति में मिलती है उससे कही अधिक मिठास इनकी भाषाओं में भरी पडी है।

भारत देश अपने सभी राज्यों की कला ,संस्कति राजनीती आदि को आपने सगम के संभाले हुए है। लेकिन इतनी सारी भाषाए होने के बावजूद भी हिन्‍दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा ह।

शायद यही वजह था कि राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिन्‍दी को जनमानस की भाषा कहा था। उन्‍होंने साल 1918 में आयोजित हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन में हिन्‍दी को राष्‍ट्र भाषा बनाने के लिए अपना प्रस्ताव भी रखा था। लेकिन उस समय धर्म,जात और गुलामी की ज़ंजीरों सारे देश के हाथ जकड़े हुए थे।

साल 1947 में आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श करते हुए आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्‍दी भाषा को एक अदभुद सम्मान दिया गया। देश की राज भाषा के रूप में हिंदी भाषा को चुनने अहम फैसला लिया गया।

भारतीय संविधान के अनुसार भाग 17 के अध्‍याय की धारा 343 (1) में हिन्‍दी को राजभाषा बनाए जाने के संदर्भ में कुछ इस तरह का उल्लेख सामने आता है ‘संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा.’

बहुत ही कम लोग जानते होंगे हिन्‍दी विश्‍व में चौथी ऐसी भाषा है जो पूरे विश्व में सबसे अधिक बोली जाती है। हाल ही में मिले आंकड़े बताते है कि सिर्फ हमारे भारत में ही लगभग 43.63 फीसदी लोग हिंदी का प्रयोग करते है।

हालाकिं एक राष्ट्रिय भाषा के लिए यह कोई गर्व की बात नहीं है लेकिन बात पिछले दशकों की करे तो आंकड़ा बेहतर लगता है। क्योकिं 2001 में यह आंकड़ा 41.3 फीसदी था। जनगणना के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच हिन्दी बोलने वाले 10 करोड़ लोग बढ़ गए। यानी हिन्दी देश की सबसे तेजी से बढ़ती भाषा है जो एक गर्व की बात है।

आपको बता दें कि इंटरनेट के प्रसार से किसी को अगर सबसे ज्‍यादा फायदा हुआ है तो वह हिन्‍दी है. 2016 में डिजिटल माध्यम में हिन्दी समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है।

यही नहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्‍तान के साथ साथ नेपाल, बांग्‍लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्‍यूजीलैंड, संयुक्‍त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मॉरिशस और साउथ अफ्रीका समेत ऐसे बहुत से देश है जहाँ हिन्‍दी बोलने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है यह हर भारतीय के साथ साथ हिंदी के प्यारों के लिए भी गर्व की बात है।

लेकिन हिन्‍दी का एक दुर्भाग्‍य यह भी है कि इतनी समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद आज हिन्‍दी लिखते और बोलते वक्‍त ज्‍यादातर अंग्रेजी भाषा के शब्‍दों का प्रयोग किया जाता है, और तो और हिन्‍दी के कई शब्‍द चलन से ही हट गए है।

ऐसे में हिन्‍दी दिवस को मनाना जरूरी है ताकि लोगों को यह याद रहे कि हिन्‍दी उनके देश भारत की राजभाषा है जिसका सम्‍मन व प्रचार-प्रसार करना उनका कर्तव्‍य बनता है। हिन्‍दी दिवस मनाने के पीछे लक्ष्य यही है कि लोगों को एहसास दिलाया जा सके कि जब तक वे अपने दैनिक जीवन में हिंदी भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे तब तक इस भाषा का विकास नहीं हो पाएगा।

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