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बढ़ती बाढ़ ने बिहार और असम में मचाया कहर, 25 लाख से अधिक लोग खतरे की चपेट में।

बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए सरकार ने लगभग 152 राहत शिविर खोले हैं जिनमे 45,053 लोगों को शरण दी जा रही है। बताया जा रहा है कि मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा और मुज़फ़्फ़रपुर के 55 प्रखंडों में लगभग 17,96,535 आबादी प्रभावित हुई है।

देश में बढ़ते मानसून ने अब गंभीर रूप धारण करना शुरू कर दिया है। हाल ही में खबरों की सुर्ख़ियों से पता चला है कि असम में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। मानसून ने नदियों में बहते हुए जल के स्तर को बढ़ा दिया है जिससे जनजीवन खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है .

सूत्रों द्वारा मिली जानकारी से पता चला है कि असम में 33 में से 21 जिलों में ब्रह्मपुत्र व् अन्य नदियाँ बाढ़ से उफान पर पहुँच गई है ,जिसमे बहकर छह से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी से पता चला है कि इस साल असम राज्य में बढ़ती हुई बाढ़ ने 1,556 गाँवों के 8.69 लाख से अधिक लोगों को अपनी चपेट में लिया है।

बताया जा रहा है कि इस आपदा से बचने के लिए 8000 से भी अधिक लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर गए है। पानी के क़हर ने फसलों की फसलों को तबाह कर दी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ से 27,864 हेक्टेयर की फसल नष्ट हुई है।

दूसरी ओर बिहार में बढ़ती बाढ़ के हालत असम से भी ज़्यादा खराब होते जा रहे है। ख़बरों की सुर्ख़ियों से पता चला है कि बिहार में बाढ़ के चलते 18 लाख से भी अधिक लोग प्रभावित हुए हैं भारी बारिश के चलते बिहार के सीतामढ़ी, मुज़फ़्फ़रपुर, पूर्वी चंपारण, अररिया, सुपौल, किशनगंज और शिवहर बाढ़ की चपेट में आ गए हैं 

आपको बता दें कि बिहार की बागमती नदी के साथ साथ अन्य सहायक नदियों में जल का प्रभाव लगातार बढ़ने से 200 से अधिक गांव खुद को बचाने के लिए संघर्ष में लगे हुए है। लोग खुद का निर्वाह करने के लिए सरकार द्वारा लगाए कैंपों में रहने को मजबूर दिखाई दे रहे है।

हाल ही में  बिहार के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार, उप- मुख्यमंत्री  सुशील कुमार मोदी और राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बाढ़ से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया जिसमे उन्होंने  राहत शिविरों में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए समुचित व्यवस्था पर नजर रखने के निर्देश दिए है। 

 केंद्रीय जल आयोग द्वारा बताया गया है कि कि भारी वर्षा के कारण बागमती, गंडक, महानंदा, कमला बालान और लालबकिया नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए सरकार ने लगभग 152 राहत शिविर खोले हैं जिनमे 45,053 लोगों को शरण दी जा रही है। बताया जा रहा है कि मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा और मुज़फ़्फ़रपुर के 55 प्रखंडों में लगभग 17,96,535 आबादी प्रभावित हुई है। 

सूत्रों द्वारा मिली जानकारी से पता चला है कि इन सभी क्षेत्रों में से सीतामढ़ी ज़िले का बहुत अधिक नुकसान हुआ है।  यहाँ करीब 11 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। ज़िले के सभी स्कूल और अन्य शिक्षा केंद्र बंद करवा दिए गए है। बचाव और राहत के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के 13 दल सुनिश्चित किये गए है। 

एक रिपोर्ट के द्वारा मिली जानकारी से पता चला है कि नेपाल में लगातार भारी बारिश के चलते कोसी बराज से पानी छोड़े जाने के बाद ही सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार व पूर्णिया के 123 नए इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है जिसके कारण असम और बिहार जैसे प्रदेशों में भारी तबाही मची हुई है। 

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इतने कम समय में भारी मात्रा में आ रही बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन और पेड़ों की कटाई सबसे अधिक ज़िम्मेवार है ,और अगर अभी से ही इनपर काबू नहीं पाया गया तो आगे हालात और भी बुरे हो सकते है। 

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