राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी सिर्फ एक सोच नहीं बल्कि एक क्रांति हैं : प्रणब मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में कहा कि गांधी जी ने दुनिया को सत्य,अहिंसा के साथ ही स्वच्छ्ता का संदेश भी दिया था। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को अपनाओ क्योंकि इससे एक ओर तो प्रकृति में प्रदूषण बहुत कम होगा, और दूसरी ओर आप खुद भी प्रकृति के नजदीक रहोगे।
नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय ऑडिटोरियम में आयोजित व्याख्यान में डाला गांधीवादी विचारधारा पर प्रकाश :
नई दिल्ली, 30 सितंबर : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी सिर्फ एक सोच या विचारधारा नहीं बल्कि एक क्रांति का नाम है।
जिन्होंने पूरे विश्व पटल पर भारत की उपस्थिति को मजबूती के साथ और अहिंसात्मक तरीके से उस समय रखा जब जर्मनी में हिटलर व इटली में मुसोलिनी विश्व को विध्वंसकारी आग में झोंकने का काम कर रहे थे। पूरा विश्व दूसरे विश्व युद्ध की आग की लपटों में घिरा पड़ा था।
ये सभी बातें हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय ऑडिटोरियम में आयोजित व्याख्यान के दौरान अपने भाषण कहीं।
उन्होंने कहा कि ये उनकी लाठी की ताक़त ही थी जिसने अंग्रेज़ी शासन को अपनी धरती पर जाने के लिए मजबूर कर दिया। गाँधी वो थे जो पुलिस की लाठी के जवाब में उन्हे लाठी नहीं बल्कि सन्देश देते थे कि भारत छोड़ दो। अहिंसा ही उनका अस्त्र था और अहिंसा ही उनका शस्त्र।
इस अवसर पर डॉ. शक्ति सिंह व सुरेंद्र कुमार ने भी गांधी के सिद्धान्तों पर अपने विचार रखे। आपको बता दें कि राष्ट्रपिता श्री महात्मा गांधी जी का नाम आज भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पूरे आदर के साथ लिया जाता है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में कहा कि गांधी जी ने दुनिया को सत्य,अहिंसा के साथ ही स्वच्छ्ता का संदेश भी दिया था। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को अपनाओ क्योंकि इससे एक ओर तो प्रकृति में प्रदूषण बहुत कम होगा, और दूसरी ओर आप खुद भी प्रकृति के नजदीक रहोगे।
आज के दौर में मनुष्य प्रकृति से बिलकुल दूर हो रहा है और लगातार उससे खिलवाड़ कर रहा है। शायद इसलिए प्राकृति भी उसे अपनी आपदाओं का शिकार बनाने के विवश हो रही है।
उन्होंने कहा कि चाहे अमेजन के जंगलों में लगी आग हो या फिर विश्व भर के कई देशों में आई जानलेवा बाढ़, ये सभी प्रकृति की दूरी व उसके अंधाधुंध दोहन का नतीजा है जो हमारे जन जीवन पर अब बुरा असर डालने लगा है।
अपने भाषण में उन्होंने बताया कि आज दुनिया को सिर्फ सफाई की जरूरत नहीं है ब्लल्कि उन सभी वस्तुओं से भी दूर रहने की आवश्यकता है जो पर्यावरण के पारिस्थितिक तंत्र को बिगाड़ देती हैं।
गांधी जी दूरदर्शी थे, वो भविष्य की परेशानियों पर चिंता ही नहीं करते थे बल्कि उनके निपटान के उपाय भी दुनिया के सामने रखते रहे। यही वजह है कि आज भी उनके सिद्धान्तों को विश्व मानता है।
आपको बता दें कि आज भी हम उनके उपायों से ही अपनी प्रकृति को बर्बाद होने से बचा सकते है नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब ये प्रकृति मनुष्य के रहने के लिए नहीं बचेगी।