सरकार ने आर्थिक सुस्ती दूर करने और देश में विश्वस्तरीय बैंक बनाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुये सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की शुक्रवार को घोषणा की। सरकार को उम्मीद है कि उसकी इस पहल से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी और देश को 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।
पिछले सप्ताह कर प्रोत्साहन उपायों की घोषणा करने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों के विलय का एलान किया। उन्होंने यह घोषणा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पहली तिमाही के वृद्धि दर का आंकड़ा आने से ठीक पहले की। इसके मुताबिक 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत रही जो छह साल से भी अधिक समय का न्यूनतम स्तर है।
बैंकों में प्रस्तावित इस विलय के बाद सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जायेगी। वर्ष 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी।
सीतारमण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया जायेगा। इस विलय के बाद पीएनबी भारतीय स्टेट बैंक के बाद दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन जायेगा। सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में जबकि आंध्रा बैंक और कार्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक आफ इंडिया में विलय होगा। वहीं इलाहाबाद बेंक का विलय इंडियन बैंक में करने की घोषणा की गई है।
सरकार 10 बैंकों में उनका पूंजीआधार मजबूत बनाने के लिये 52,250 करोड़ रुपये की पूंजी भी डालेगी।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हम घरेलू स्तर पर मजबूत और वैश्विक पहुंच वाले बैंक चाहते हैं …इस विलय से उनके पास काफी संसाधन होंगे और कर्ज की लागत कम होगी।’’
उन्होंने कहा कि विलय के बाद भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के मजबूत, पर्याप्त पूंजी वाले वाले 12 बैंक होंगे। ‘‘हम अगली पीढ़ी का बैंक तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
वित्त मंत्री की इस घोषणा के कुछ समय बाद चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किये गये। इसके अनुसार आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून में 5 प्रतिशत रही। लगातार पांचवीं तिमाही में इसमें गिरावट दर्ज की गयी। यह 2012-13 की चौथी तिमाही के बाद सबसे कम वृद्धि दर है।
सरकार आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये कदम उठा रही है। सीतारमण ने पिछले सप्ताह करों में कटौती, बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की नकदी में सुधार, वाहन और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर सरकार का खर्च बढ़ाने और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड कार्य में तेजी जैसे उपायों की घोषणा की है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार की बैठक में कोयला खनन, अनुबंध विनिर्माण, एकल खुदरा ब्रांड और डिजिटल मीडिया में विदेशी निवेश के नियमों को उदार बनाया।
आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिये इन उपायों के अलावा अगले कुछ दिनों में रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिये भी प्रोत्साहन पैकेज घोषित किये जाने की संभावना है।
वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि बैंकों के विलय में कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा।
सरकार ने वर्ष 2017 में भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया। उसके बाद पिछले साल बैंक आफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय किया गया।
सरकार का मानना है कि इस विलय से बैंकों के बही-खाते मजबूत होंगे और कर्ज देने की उनकी क्षमता बढ़ेगी। साथ ही बढ़ते कर्ज की तुलना में उनकी स्थिति सुदृढ़ होगी।
इस बारे में मूडीज इनवेस्टर सर्विस के उपाध्यक्ष (वित्तीय संस्थान समूह) श्रीकांत वडालामणि ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय साख के लिहाज से सकारात्मक है क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर परिचालन लाभ मिलेगा। साथ ही वे प्रतिस्पर्धी होंगे।
सीतारमण ने कहा कि बैंक विलय के बाद पंजाब नेशनल बैंक का कारोबार आकार 17.95 लाख करोड़ रुपये जबकि शाखाओं की संख्या 11,437 हो जाएगी। यह भारतीय स्टेट बैंक के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। इससे पहले विजया बैंक, देना बैंक के विलय से बैंक आफ बड़ौदा देश का तीसरा बड़ा बैंक बन गया है।
वहीं सिंडिकेट बैंक के विलय के बाद केनरा बैंक 15.20 लाख करोड़ रुपये के कारोबार और 10,324 शाखाओं के साथ देश का चौथा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बनेगा। उसके बाद आंध्रा बैंक और कार्पोरेशन बैंक के विलय से यूनियन बैंक आफ इंडिया 14.59 लाख करोड़ रुपये के कारोबार और 9,609 शाखाओं के साथ पांचवां सबसे बड़ा बैंक होगा।
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद बैंक के इंडियन बेंक में विलय के बाद वह 8.08 लाख करोड़ रुपये के कारोबार के साथ सातवां सबसे बड़ा बैंक बनेगा और उसकी दक्षिण में अच्छी-खासी संख्या में शाखाएं होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक आफ इंडिया और सेंट्रल बैंक के साथ ही इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक आफ महाराष्ट्र तथा पंजाब एंड सिंध बैंक पूर्व की तरह काम करते रहेंगे। इन बैंकों की अपनी मजबूत क्षेत्रीय स्थिति है।
इन उपायों के साथ वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में संचालन व्यवस्था में सुधारों की भी घोषणा की। इसके तहत तहत उनके निदेशक मंडल को अधिक स्वायत्तता दी जाएगी और वे उत्तराधिकार योजना बना सकेंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक निदेशक मंडल को स्वतंत्र निदेशकों की बैठक में शामिल होने को लेकर राशि तय करने की भी छूट दी जाएगी। गैर-आधिकारिक निदेशकों की भूमिका स्वतंत्र निदेशकों के अनुरूप होगी।
source-P.T.I