कोविड-19 अपडेट |पीपीई किट्स, एन95 मास्क और वेंटीलेटर की उपलब्धता
देश में कोविड-19 की रोकथाम, उस पर अंकुश लगाने और उसके प्रबंधन की उच्चतम स्तर पर निगरानी की जा रही है और राज्यों के सहयोग से विभिन्न कार्य शुरू किए गए हैं। पीपीई, मास्क और वेंटीलेटर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले कारखाने चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और आयुध कारखाने चिकित्साकर्मियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड वेंटीलेटर का निर्माण करने जा रहा है, सभी दवा कंपनियों ने सरकार को आश्वासन दिया है कि इस संकट के दौरान दवाओं की कोई कमी नहीं होगी और यहां तक कि ऑटो निर्माता भी वेंटीलेटर विकसित करने और उनका उत्पादन करने के लिए काम कर रहे हैं। चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए वह पूरी तरह तैयार हैं।
व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट का उपयोग चिकित्साकर्मी एकांत वाले क्षेत्रों और गहन देखभाल इकाइयों (इंटेन्सिव केयर यूनिट) में काम करने के लिए कर रहे हैं ताकि वह संक्रमण से बच सकें। वे देश में निर्मित नहीं हो रहे थे। निकट भविष्य में उत्पन्न होने वाले पीपीई की भारी आवश्यकता की संभावना के साथ, भारत सरकार ने देश में उनके निर्माण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
वस्त्र मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इस प्रयास में मिलकर काम कर रहे हैं। घरेलू निर्माता इस अवसर पर तेजी से आगे आए हैं और अब तक 11 निर्माताओं ने गुणवत्ता परीक्षण की मंजूरी दे दी है। उन पर 21 लाख पीपीई कवरॉल (भारी श्रम कार्य के लिए ऊपर से नीचे तक पहने जाने वाला सुरक्षात्मक वस्त्र) के ऑर्डर दिए गए हैं। वर्तमान में वे प्रति दिन 6-7,000 कवरॉल की आपूर्ति कर रहे हैं और यह अगले सप्ताह के भीतर प्रतिदिन 15,000 तक पहुंचने की उम्मीद है। एक और निर्माता ने आज अर्हता प्राप्त की है और उसे 5 लाख कवरॉल का ऑर्डर दिया गया है।
अब तक, देश भर के विभिन्न अस्पतालों में 3.34 लाख पीपीई उपलब्ध हैं। भारत सरकार द्वारा लगभग 60,000 पीपीई किट की खरीद और आपूर्ति की जा चुकी है। भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी ने चीन से 10,000 पीपीई की व्यवस्था की है जो प्राप्त हो चुके हैं और वितरित किए जा रहे हैं। 4 अप्रैल तक अन्य 3 लाख दान किए गए पीपीई कवरॉल आने वाले हैं। 3 लाख पीपीई का एक आर्डर आयुध कारखानों को दिया गया है।
पीपीई किट के विदेशी स्रोतों को दुनिया भर की मांग में भारी वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। विदेश मंत्रालय के माध्यम से उनसे संपर्क किया जा रहा है। सिंगापुर स्थित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की पहचान की गई है जो 10 लाख पीपीई किट की आपूर्ति कर सकता है और उन्हें खरीदने के लिए विदेश मंत्रालय के माध्यम से एक आदेश दिया गया है। कोरिया स्थित एक अन्य आपूर्तिकर्ता, जिसने वियतनाम और तुर्की की उत्पादन कंपनियों के साथ समझौता किया है, उसकी 1 लाख से अधिक पीपीई किट की दैनिक उत्पादन क्षमता के साथ पहचान की गई है। विदेश मंत्रालय के जरिये इस कंपनी को 20 लाख पीपीई किट की आपूर्ति का आदेश दिया गया है।
एन95 मास्क का निर्माण दो घरेलू उत्पादकों द्वारा किया जा रहा है। वे इस समय प्रति दिन 50,000 मास्क की आपूर्ति करने में सक्षम हैं, लेकिन अगले सप्ताह वह अपनी क्षमता को बढ़ाकर प्रति दिन 1 लाख मास्क कर लेंगे। डीआरडीओ स्थानीय निर्माताओं के साथ मिलकर प्रति दिन लगभग 20,000 एन99 मास्क का उत्पादन कर रहा है। यह आपूर्ति एक सप्ताह के समय में उपलब्ध होने की उम्मीद है।
देश के अस्पतालों में अब तक स्टॉक में 11.95 लाख एन95 मास्क हैं। पिछले दो दिनों में अतिरिक्त 5 लाख मास्क वितरित किए गए और 1.40 लाख मास्क आज वितरित किए जा रहे हैं। सिंगापुर से 10 लाख मास्क पीपीई किट का हिस्सा होंगे।
कोविड-19 रोगियों के लिए वेंटीलेटरों की आवश्यकता होती है, क्योंकि उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत होती है और उनमें श्वास रोग सिंड्रोम (एआरडीएस) देखने को मिलता हैं। इस समय कोविड -19 के 20 से कम मरीज वेंटीलेटर सपोर्ट पर हैं। इसके विपरीत, कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए देश भर के विभिन्न अस्पतालों में 14,000 से अधिक वेंटीलेटर की पहचान की गई है।
नोएडा में एक घरेलू निर्माता एगवा हेल्थकेयर उपयुक्त वेंटीलेटर विकसित करने में सक्षम है और उसे 10,000 वेंटीलेटर का ऑर्डर दे दिया गया है। अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक आपूर्ति शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 30,000 वेंटीलेटर का ऑर्डर दिया गया है, जो इस प्रयास में घरेलू निर्माताओं के साथ सहयोग करने जा रहा है। भारतीय ऑटो निर्माता भी वेंटीलेटर बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
इस बीच, हैमिल्टन, माइंड्रे और ड्रेगर जैसी कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को वेंटीलेटर की आपूर्ति करने का आर्डर दिया गया है। विदेश मंत्रालय भी चीन के आपूर्तिकर्ताओं से बातचीत कर रहा है ताकि उनसे 10,000 वेंटीलेटर मंगाए जा सकें।
एसईजेड की इकाइयों/डेवलपर्स/सह-डेवलपर्स को अनुपालन में छूट
वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रकोप तथा पूरे देश में लॉकडाउन को देखते हुए अधिकांश सरकारी सेवाएं बंद हैं और आपातकालीन सेवाओं आदि से जुड़े कार्यालय बहुत कम कर्मचारियों की मदद से चल रहे हैं। इसलिए वाणिज्य विभाग ने विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) की इकाइयों/डेवलपर्स/सह-डेवलपर्स को अनुपालन में उचित छूट देने का निर्णय लिया है। ऐसे अनुपालन जिनमें यह छूट लागू होगी, में शामिल हैः-
- डेवलपर्स/सह-डेवलपर्स द्वारा स्वतंत्र चार्टर्ड इंजीनियरों से सत्यापित त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर) दाखिल करने की आवश्यकता
- आईटी/आईटीईएस इकाइयों द्वारा दाखिल किए जाने वाले सॉफ्टेक्स फार्म
- एसईजेड इकाइयों द्वारा वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट (एपीआर) दाखिल करना
- मंजूरी पत्र (एलओए) का विस्तार जिसकी अवधि निम्न स्थितियों में समाप्त हो सकती हैः-
- डेवलपर्स/सह-डेवलपर्स जो एसईजेड का विकास तथा संचालन करने की प्रक्रिया में हैं
- इकाइयां जिनकी एनएफई मूल्यांकन के लिए 5 वर्ष की अवधि का पूरा होना संभावित है
- इकाइयां जिन्हें अभी संचालन शुरू करना है
एसईजेड के विकास आयुक्तों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि डेवलपर्स/सह-डेवलपर्स/इकाइयों को किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े और विपत्ति की इस अवधि में यदि कोई अनुपालन नहीं हो पाता है तो ऐसे मामलों में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा, जहां तक संभव हो, एलओए के सभी विस्तारों और अन्य अनुपालनों को तय समय-सीमा में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पूरा किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां इलेक्ट्रॉनिक तरीके से विस्तार देना संभव न हो या ऐसे मामले जिनमें आपसी बैठक की आवश्यकता हो, विकास आयुक्तों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि विपत्ति की इस अवधि के दौरान वैधता की समाप्ति के कारण डेवलपर/सह- डेवलपर/इकाइयों को किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े। तदर्थ अंतरिम विस्तार/समाप्ति की तारीख को आगे बढ़ाने को 30 जून, 2020 या विभाग द्वारा जारी कोई अन्य निर्देश, इनमें से जो भी पहले हो, तक की स्वीकृति दी जा सकती है।
आईबीबीआई ने ‘कोविड-19’ के प्रकोप के कारण ‘सीआईआरपी’ नियमों में संशोधन किए इसका मुख्य उद्देश्य ‘कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया’ में राहत प्रदान करना है
‘कोविड-19’ की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के कारण हो रही कठिनाई को दूर करने के लिए भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) ने ‘सीआईआरपी’ नियमों में संशोधन कर संबंधित लोगों को सहूलियत दी है। इसमें बताया गया है कि कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन की अवधि को कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से संबंधित ऐसे किसी भी कार्य के लिए तय की गई समय सीमा में नहीं गिना जाएगा, जो लॉकडाaउन के कारण पूरा नहीं हो सका। हालांकि, इसके तहत संबंधित संहिता (कोड) में दी गई समग्र समय सीमा को ध्यान में रखा जाएगा।
आईबीबीआई ने 29 मार्च, 2020 को भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 (सीआईआरपी नियम) में संशोधन किए।
भारत सरकार ने कोविड-19 को फैलने से रोकने और इसे नियंत्रण में रखने के ठोस कदम के तहत 25 मार्च, 2020 से 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान दिवाला से जुड़े प्रोफेशनलों के लिए प्रक्रिया का संचालन जारी रखना, कर्जदाताओं की समिति के सदस्यों के लिए बैठकों में भाग लेना और समाधान संबंधी संभावित आवेदकों के लिए समाधान योजनाओं को तैयार करना एवं प्रस्तुत करना मुश्किल है। अत: इस स्थिति में सीआईआरपी नियमों में निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर किसी कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के दौरान विभिन्न कार्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। संशोधित नियम 29 मार्च, 2020 से प्रभावी हो गए हैं।
भारतीय रेलवे ने कोविड-19 से बड़े पैमाने पर लड़ने के राष्ट्रीय प्रयासों को चिकित्सकीय सहयोग प्रदान करने की तैयारी की
रेल के डिब्बों को एकांत कोचों के रूप में बदला जाएगा जो आपात स्थिति के लिए उपलब्ध होंगे; आरंभ में 5000 कोचों को बदलने की योजना
निर्धारित चिकित्सा विनिर्देशों के अनुसार 6500 से अधिक अस्पताल के बिस्तर उपलब्ध कराए जाएंगे
रेलवे कोविड-19 से निपटने में सरकार के प्रयासों में वृद्धि करेगा
कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए, भारतीय रेलवे सरकार के स्वास्थ्य देखभाल प्रयासों में अतिरिक्त योगदान देने का पूरा प्रयास कर रहा है। जिन कदमों का विस्तार किया गया है उनमें यात्री कोचों को एकांत कोच के रूप में बदलना, कोविड की जरूरतों को पूरा करने के लिए मौजूदा रेलवे अस्पतालों को उपकरणों से सुसज्जित करना, आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल के बेड चिन्हित करना, अतिरिक्त डॉक्टरों और पैरामेडिक्स की भर्ती आदि शामिल है।
इन सभी सुविधाओं को भारत सरकार द्वारा जरूरत के अनुसार अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। भारतीय रेलवे के जीएम और चिकित्साकर्मियों की देखरेख में सभी जोनों में तैयारियां की जा रही है।भारतीय रेलवे सरकार की जरूरत के समय कोरोना के कुछ रोगियों को एकांत में रखने के किसी भी संभावित संकट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आरंभ में 5000 यात्री डिब्बों को बदलने की योजना बना रहा है। ये कोच चिकित्सा दिशा-निर्देशों के अनुसार एकांत के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से सुसजिजत होंगे। आवश्यकता पड़ने पर अधिक डिब्बों में बदलाव किया जा सकता है। कोच में मच्छरदानी लगी होगी, मोबाइल और लैपटॉप के लिए चार्जिंग प्वाइंट होगा और पैरामेडिक्स के लिए जगह आदि की सुविधा होगी। इन कोचों को जोनवार तैयार किया जाएगा।
भारत में रेलवे के 125 अस्पताल हैं और 70 से अधिक को आवश्यकता पड़ने पर किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार रखने की योजना बनाई जा रही है। इन अस्पतालों में समर्पित कोविड वार्ड या फ्लोर निर्दिष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। मरीजों की संभावित जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल के लगभग 6500 बिस्तर तैयार किए जा रहे हैं।
भारतीय रेलवे ने चिकित्सा निरीक्षण की बढ़ती जरूरत को पूरा करने और क्षेत्र में कोविड-19 नियंत्रण प्रबन्धन के प्रभारी अधिकारियों की सहायता के लिए अस्थायी उपाय के रूप में बाजार से डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को काम पर रखने और सेवानिवृत्त रेलवे डॉक्टरों को दोबारा काम पर रखने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए जोनल प्रमुखों को आगे बढ़ने को कहा है।
इस बात पर गौर किया जा सकता है कि भारतीय रेलवे के इन प्रयासों से न केवल सरकार के प्रयासों में वृद्धि होगी बल्कि कोराना वायरस से लड़ने के राष्ट्रीय प्रयासों में भी योगदान मिलेगा।
तेल विपणन कम्पनियों ने कोविड-19 के दौरान एलपीजी सिलेंडर पहुंचाने वालों और आपूर्ति श्रृंखला में कार्यरत अन्य कर्मियों के लिए 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की
तेल विपणन कम्पनियों-आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने शोरूम स्टाफ, गोदाम में कार्य करने वाले, मैकेनिक, एलपीजी सिलेंडर पहुंचाने वाले जैसे एलपीजी की वितरण श्रृंखला में ड्यूटी कर रहे कर्मियों की कोविड-19 के संक्रमण और प्रभाव के कारण मृत्यु हो जाने जैसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में प्रत्येक को एकमुश्त विशेष उपाय के तौर पर 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान करने की आज घोषणा की।
एलपीजी के आवश्यक वस्तु होने के कारण उसे लॉकडाउन से अलग रखा गया है और ऐसे में इन कर्मियों को देश भर में सभी ग्राहकों तक एलपीजी सिलिंडरों की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए संकट की इस घड़ी के दौरान ड्यूटी करनी पड़ती है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल कम्पनियों की इस पहल का स्वागत किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल’ द्वारा लिए गए इस मानवीय फैसले का स्वागत है। सद्भावना का यह भाव मुश्किलों की इस घड़ी में हमारे कर्मियों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं का सम्मान है। हमारे कर्मियों का कल्याण हमारे लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, यह सहानुभूतिपूर्ण कदम कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई में हमारे कार्यबल की सुरक्षा को और ज्यादा मजबूती प्रदान करेगा।‘