देश में आखिर कब तक धर्म के नाम पर मरते रहेगें लोग? मज़हब ही सिखाता है क्या आपस में बैर करना?
आखिर कब तक इस देश में धर्म,जाति और समुदाय के नाम पर लोग अपनी जान की बलि देते रहेंगे ? यूं तो विज्ञापनों में हर रोज़ छपा होता है कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत हम सब अपनी नस्लों को समझाते है कि सब इंसान एक जैसे होते है हिन्दू धर्म में तो "सर्वो धर्मो सुखिना" तक कहा गया है और जब हम उसी हिन्दू धर्म के लोगों को राम के नाम पर अन्य समुदायों का क़त्ल करते देखते है तो सर शर्म से झुक जाता है।
दोस्तों एक भारतीय होने के नाते आपने अपने माता-पिता, बुज़ुर्ग या फिर अपने स्कूल में ये पंक्तियाँ ज़रूर सुनी होंगी “मज़हब नहीं सिखाता आपस मैं में बैर करना, हिंदी है हम वतन हैं हिन्दोस्तान हमारा” लेकिन आज के मौजूदा भारत में ये पंक्तियाँ सिर्फ किताबों पर ही देखने को मिलती हैं क्योंकि आज सारे देश में कहीं ना कहीं कोई ना कोई किसी ना किसी जगह पर “मॉब लिंचिंग” का शिकार हो रहा है।
रोज़ की ख़बरों की सुर्ख़ियों ने एक बार फिर बता दिया है हमारे भारत देश में दिन-ब-दिन इंसानियत खत्म सी होती जा रही है। आपको आपको बता दें कि किसी एक धर्म समुदाय के लोग जब किसी अन्य धर्म,जाति या समुदाय के लोगों को बिना वजह अपनी हिंसा का शिकार बनाते है तो उसे “मॉब लिंचिंग” कहा जाता है। और ये “मॉब लिंचिंग” भारत में दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है।
एक रिपोर्ट द्वारा दी गयी जानकारी से पता चलता है की साल सिर्फ साल 2018 में 33 लोग इस “मॉब लिंचिंग” का शिकार होकर अपनी जान से हाथ धो बैठे और तक़रीबन 99 लोग 2018 की धर्म की हिंसक घटनाओं का शिकार होते हुए ज़ख़्मी हुए। साल 2017 में मरने वालों का आंकड़ा 15 से 20 तक के बीच में था। और ये वो आंकड़े है जो सिर्फ रिपोर्टों में दर्ज हुए है।
ऐसे भी कितने सारे मामले है जिन्हे कानून के पन्नों तक में जगह नहीं मिली है। इस मामले में अभी 2019 के आंकड़े आना बाकी है। लेकिन हाल ही में खबरों की सुर्ख़ियों में “मॉब लिंचिंग” मामले कुछ अधिक बढ़ गए हैं।
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि झारखंड के सरायकेला जिले में भीड़ ने बाइक चुराने के शक में तबरेज अंसारी नाम के युवा को बुरी तरह पीट पीट कर उसकी ह्त्या कर दी। ह्त्या का पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 17 जून की देर शाम को तबरेज अंसारी को भीड़ ने बुरी तरह मारा और उससे हिन्दू महज़ब के देवताओं के नारे लगाने पर भी मजबूर किया।
हैरानी की बात ये है कि नारे लगाने के बाद भी भीड़ ने उस शख्स को पीटना बंद नहीं किया और लगातार पीटती रही जिसका नतीजा यह हुआ की 22 जून को अंसारी ने अस्पताल में अपना दम तोड़ दिया। मामला जब राजकीय सुरक्षा अधिकारियों के पास पहुंचा उन्होंने मारपीट करने वाले शख्स को पकड़ने की बजाय तबरेज को गिरफ्तार कर लिया। अब इस गांव का माहौल और भी डरावना सा बन गया है क्योंकि अब दूसरे धर्म व् समुदाय के लोग उस भीड़ के घरवालों को डराने धमकाने लगें है। मतलब साफ़ है कि “मॉब लिंचिंग” का आतंक देश में बढ़ रहा है। इस घटना की निंदा संसद भवन में देश के प्रधान-मंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने भी की है।
आपको बता दें कि इन्ही वारदातों से परेशान होकर मालेगांव में विभिन्न मुस्लिम संगठनों से जुड़े करीब एक लाख से अधिक लोगो ने सरकार से एंटी-लिंचिंग कानून बनाने की मांग की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ये रैली मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलजुल कर निकाली है
बताया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय द्वारा यह पहली रैली है। प्रदर्शनकारियों ने यह शांतिपूर्ण मार्च सरकार से इस मामले पर कोई ठोस क़दम उठाने की मांग के लिए निकाला है। उनका कहना कि उन्हे कानून के शासन पर पूरा विश्वास है वे बदला नहीं कानून का इंसाफ़ चाहते है।
इसी मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना उमरैन महफौज रहमानी ने अपने बयान में कहा है कि ‘मॉब लिचिंग की घटनाओं ने हमारे दिलों में छेद कर दिया है। इसका अंत होता नहीं दिख रहा है. अब ये सब बर्दाश्त के भी बाहर है। मुस्लिम अन्य समुदायों से अलग हैं. अन्य कोई समुदाय निशाने पर होता तो अब तक उन्होंने जवाब दे दिया होता.’
इस रैली में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पीड़ित के परिवारवालों को 50 लाख रुपये तक का मुआवजा देने की भी मांग की है।
अब सवाल ये आता है कि आखिर कब तक इस देश में धर्म,जाति और समुदाय के नाम पर लोग अपनी जान की बलि देते रहेंगे ? यूं तो विज्ञापनों में हर रोज़ छपा होता है कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत हम सब अपनी नस्लों को समझाते है कि सब इंसान एक जैसे होते है हिन्दू धर्म में तो “सर्वो धर्मो सुखिना” तक कहा गया है और जब हम उसी हिन्दू धर्म के लोगों को राम के नाम पर अन्य समुदायों का क़त्ल करते देखते है तो सर शर्म से झुक जाता है।
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