सम्पूर्णक्रान्ति दिवस- भारतीय राजनीति को नई दिशा देने का विशेष दिन -जेपी सेनानियों के नाम खुला पत्र।सादात अनवर
आज 5 जून है। सम्पूर्णक्रान्ति दिवस। भारतीय राजनीति को नई दिशा देने का विशेष दिन। जेपी की अगुवाई में जलाई गई मशाल के सभी जियालों,मतवालों,योद्धाओं को याद करते हुए सभी जेपीसेनानियों को सलाम।
आज भी देशभर में जेपी के नाम से अपने आपको जोड़कर सियासी और सामाजिक जीवन में समाज के लिए काम करने वालों की बड़ी संख्या मौजूद है।
जेपी की दिखाई हुई राह और उस कठिन डगर पर साथ साथ चलकर हज़ारों योद्धाओं ने मिलकर जेपी की अगुवाई में भारतीय राजनीति को एक नया आयाम दिया।
जेपी के सियासी वारिस अपने आपको कहने वाले कई लोग आज भी भारतीय राजनीति में अपनी विशेष जगह बनाए हुए हैं। देश का कोई राजनीतिक दल ऐसा नहीं है जिसमे जेपी के शिष्य विराजमान नहीं हों। सत्ता हो या विपक्ष दोनों खेमे में जेपीवादियों की बहुत बड़ी संख्या है।
कुछ ऐसे भी हैं जो जय प्रकाश जी की बातों, किस्से, कहानियों के बखान मात्र से फूले नहीं समाते हैं जबकि दूसरी तरफ ऐसे लोग अभी भी बहुत हैं जो जेपी के नाम पर सत्ता और विपक्ष दोनों में फिट हैं।
अगर हम बिहार की बात करें तो सत्ता पर विराजमान नीतीश कुमार – सुशील मोदी बात बात में जयप्रकाश जी से अपनी निकटता जताते रहते हैं वहीं विपक्षी खेमा लालू यादव, अब्दुल बारी सिद्दीकी, शिवानन्द तिवारी, शरद यादव जैसे नेतागण या इनसे जुड़े लोग भी समय समय पर सम्पूर्ण क्रान्ति और उसके बाद की सियासी तहरीक में अपने आपको जेपी का निकटतम बताने में किसी से कम नहीं। लेकिन जब नईपीढ़ी ऐसे नेताओं की बात सुनती है तो जेपी के शिष्यों की दिन प्रतदिन बढ़ती कटुता,नफरत और टकराव से अपने आपको दूर रहने में ही भलाई समझती है।
अभी तीन चार महीने बाद बिहार विधान सभा का चुनाव होना है।जिसमे सीधी टक्कर जेपी बनाम जेपी की है।
अर्थात नीतीश- सुशील मोदी की जोड़ी वाला सत्ताधारी खेमा भी जेपी की जयजयकार के साथ चुनावी दंगल में उतरा है वहीं विपक्षी खेमे में लालू यादव का परिवार तथा सेक्यूलर कहे जाने वाले सहयोगीदल और उनके नेतागण भी सम्पूर्णक्रान्ति के नारे के साथ सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए कमर कसे हुए हैं।
ऐसे में प्रदेश के आम जन जो शिक्षा, स्वास्थ ,सुरक्षा , रोज़गार और उचित अवसर की बेहतरी की उम्मीद लगाए हुए है वो जेपी के नाम की रट लगाने वाले सत्ता और विपक्ष दोनों के बड़बोलेपन से नाउम्मीद होते जा रहे हैं। ऐसी विपरीत परिस्थिति में क्या जेपी का कोई ऐसा शिष्य भी ज़िंदा है जो मुद्दों पर आधारित राजनीति को आगे बढ़ाने और जेपी बनाम जेपी की छिड़ी जंग से लोगों को निजात दिलाने की पहल कर सके ताकि कटुता के माहौल को कम किया जा सके?
क्या जिन उसूलों और सिद्धांतों पर जेपी ने सम्पूर्ण क्रान्ति के लिए सत्ता से लोहा लेते हुए बिगुल फूंका था उसे आत्मसात करने का साहस करेगा लालू या नीतीश का खेमा?
क्या सत्ता में विराजमान लोगों की दिशा हीन नीतियों का दिन रात बखान करते बिहार के विपक्षी दल जेपी की राह पर चलते हुए #जनतापार्टी की तरह सत्ता के विरूद्ध उठने वाली सभी छोटी बडी आवाज़ों को एकसूत्र में पिरोने का साहस कर सकते हैं?
क्या प्रदेश सरकार की नीतियों से असहमत सभी छोटे बड़े दलों में समन्वय बनाकर नए संकल्प के साथ नए विकल्प प्रस्तुत करने हेतु कोई जेपी की भूमिका निभाने का हौसला रखता है?
क्या सिर्फ जातिगत आधार पर निर्मित दलों में सीटों के बन्दर बांट के आधार पर बिहार में उपजी समस्या का समाधान संभव है?
क्या शरद यादव,शिवानन्द तिवारी, रघुवंश प्रसाद सिंह, यशवंत सिन्हा सरीखे नाम चिन्ह लोगों को जेपी की राह पर चलने की पहल करते हुए सत्ता के विरूद्ध उठने वाली सभी छोटी बडी आवाज़ों को मिलाने में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सबको एकजुट करने की शुरुआत नहीं करनी चाहिए?
अपने गुरु और जेपी के विचारों के ध्वजवाहक रहे जनता पार्टी के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी की एक बात पर अपनी बात समाप्त करूंगा जब युवा तुर्क ने कहा था विपरीत परिस्थितियों में जो अकेले खड़े होने का साहस करते हैं वही इतिहास का निर्माण करते हैं !
क्या आप में से कोई भी ऐसा ज़िंदा बचा नहीं है जो आज कि विपरीत परिस्थितियों में अकेले खड़े होने का साहस कर सके जिससे प्रदेश और देश में विराजमान सत्ता की नीतियों का विरोध करते हुए समान विचारों वाले या विशेषकर जेपी के मानने वालों में एकता स्थापित हो सके?
अपनी अपनी डफ़ली अपना अपना राग से उपर उठने का समय है और जिन्होंने जेपी के आशीर्वाद से सब कुछ प्राप्त कर लिया है वो अब मोह माया त्यागकर जेपी की राह अपनाएं ताकि नई पीढ़ी में आस जग सके।
आशा है कि सभी जेपी सेनानाई और जेपीवादी मेरे जैसे निम्न स्तर के कार्यकर्ता के आग्रह पर अवश्य विचार करेंगे। सम्पूर्ण क्रांति दिवस पर सभी जेपी सेनानियों को बधाई।
जयसमाजवाद जयजयप्रकाश
चन्द्रशेखर स्कूल आफ पॉलिटिक्स
सादात अनवर