Opinion ZonePolitics, Law & Society
Trending

महान समाजवादी चिंतक आचार्य नरेंद्र देव जी जीवन और राजनीति दोनो में नैतिकता के पक्षधर रहे। जन्मतिथि विशेष

एक ऐसे राजनेता जो राजनीति के साथ - साथ ज्ञान को भी स्वकर्मो से स्थापित करते हुए गांधी की तरह जीवन और राजनीति दोनो में नैतिकता के पक्षधर रहे

31 अक्टूबर, आज महान समाजवादी चिंतक आचार्य नरेंद्र देव जी की 131वी जयंती है। एक ऐसे राजनेता जो राजनीति के साथ – साथ ज्ञान को भी स्वकर्मो से स्थापित करते हुए गांधी की तरह जीवन और राजनीति दोनो में नैतिकता के पक्षधर रहे। साथ ही साथ उस नैतिक मूल्य की स्थापना के लिए आजीवन हर वह प्रयोग करते रहे जो उनकी दृष्टि में उचित था। उन्ही प्रयोगों में से एक प्रयोग यह भी था कि साम्यवादी मूल्यों की बुनियाद पर भारत वर्ष कैसे खड़ा हो ?

इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को पाने के लिए ही वह तथाकथित कुलीन वर्ग की पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस में ही कांग्रेस समाजवादी दल का एक धड़ा खड़ा कर दिया औऱ तब भी बात बनती नजर नही आयी तो वह कांग्रेस से अलग प्रजा समाजवादी दल का भी निर्माण किये। अंत मे जब उनको यह अहसास हो गया कि राजनीतिक शुद्धता के लिए बौद्धिक विकास अनिवार्य है तो वह माँ सरस्वती के पुजारी बन कर उनके मानस पुत्रो को ज्ञान औऱ सँस्कार से परिपूर्ण करने लगे।

राजनीति से इतर आचार्य जी की दूसरी भूमिका महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के आचार्य की रही जिसमे वह इतिहास ,दर्शन,पुरातत्व,धर्म ,संस्कृति सहित विधि तक का अमूल्य ज्ञान अपने जिज्ञासु विद्यार्थियों को प्रदान करते रहे। उसके साथ ही ज्ञान केंद्रों को प्रशासनिक दृष्टिकोण से आदर्श स्थिति में पहुंचाने के लिए एशिया के सबसे बडे आवासीय विश्विद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के दायित्व के साथ उत्तर प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ पारम्परिक विश्विविद्यालय लखनऊ विश्विविद्यालय के कुलपति के पद को भी धन्य किया।

इन सबके साथ ही उन्होंने राजनीति को सुचितापूर्ण औऱ सार्थक बनाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ,युवा तुर्क चन्द्रशेखर औऱ कमलापति त्रिपाठी जैसे नौजवान विद्यार्थियों को राजनीति में सक्रिय हिस्सेदारी के लिए प्रेरित भी किया। वह दुनिया के पहले ऐसे समाजवादी है जो मार्क्स के सिद्धांतों पर अहिंसा का मुलम्मा चढ़ाकर एक ऐसे साम्यवादी समाज का स्वरूप गढ़ने की बात करते थे जो बोल्शेविक क्रांति की मुखालफत तो करता ही हो, साथ ही ऐसे वर्गविहीन समाज के निर्माण भी कर सके जहाँ आदमियत की हर प्रकार की तरक्की को बढ़ावा मिले।किताबी दुनिया मे भी आचार्य जी की लिखी कई पुस्तकें है जिसमे हिन्दी मे लिखी साहित्य अकादमी पुरस्कार पुरस्कृत बौद्ध धर्म दर्शन और अभिधम्म कोश प्रमुख है । वह हिंदी , अंग्रेजी, संस्कृत पाली के अलावा फ्रेंच औऱ जर्मन सहित कई भाषा के जानकार थे। ऐसे उदभट विद्वान व ऋषि कुल परम्परा के अंतिम कड़ी महान समाजवादी आचार्य नरेंद्र देव जी को नमन ।

Writer : Shammi Kumar Lucknow University
Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close